Gorakhpur : गोरखपुर पुलिस को माफिया राकेश यादव की रिमांड मिल गई है. पुलिस की ओर से कोर्ट में यह साबित करने में बड़ी कामयाबी मिली है कि माफिया की धमकी की वजह से सोनू प्रजापति ने रिपोर्ट दर्ज कराने के बाद शपथ पत्र देकर केस न दर्ज कराने की बात कही थी. कोर्ट में अभियोजन अधिकारी द्वारा यह साबित हो गया है कि माफिया की धमकी की वजह से सोनू ने ऐसा किया. जिसके बाद से जेल में बंद माफिया राकेश यादव पर दर्ज तीनों केस में पुलिस ने रिमांड हासिल कर ली है.
गोरखपुर पुलिस माफिया राकेश यादव को जल्द ही रिमांड पर लेकर पूछताछ करेगी. राकेश यादव को तीनों केसों में अलग-अलग जमानत की कोशिश करनी होगी. माफिया राकेश यादव का नाम जिले के टॉप 10 और यूपी के 61 सूची में शामिल है. राकेश यादव पर हाल में ही पुलिस ने 3 और केस दर्ज किया हैं. छोटू प्रजापति और सोनू प्रजापति ने राकेश यादव को धमकी और रंगदारी का केस दर्ज करा है तो वही चिलुआताल थाना क्षेत्र की बरगदही निवासी माया देवी ने उस पर जालसाजी का केस दर्ज कराया है.
केस दर्ज करने के बाद जब पुलिस ने दबाव बनाना शुरू किया तो माफिया राकेश यादव ने कोर्ट में सरेंडर कर दिया. उसके बाद पुलिस और जिला प्रशासन ने माफिया राकेश यादव के बिना नक्शा बनाए मकान पर बुलडोजर चलाया था. इस बीच सोनू प्रजापति ने माफिया राकेश यादव के डर से शपथ पत्र दे दिया कि उसे किसी और काम के लिए सादे पेपर पर हस्ताक्षर कराया गया था. जिसका इस्तेमाल कर केस दर्ज कर लिया गया हैं. पुलिस की जांच में यह सामने आया है कि माफिया के डर से वह अपने बयान से पलट रहा है.
गोरखपुर पुलिस ने कोर्ट से इस प्रकरण में रिमांड हासिल कर लिया हैं. माफिया राकेश यादव पर 56 से ज्यादा मुकदमा दर्ज हैं. इस मामले पर एसपी जांच मनोज अवस्थी ने बताया कि राकेश यादव के तीन केसों में प्रभावी पैरवी से पुलिस को कोर्ट में राकेश की डिमांड की है. जिसके बाद पुलिस उससे पूछताछ करेगी माफिया पर आगे की कार्रवाई जारी रहेगी. फिलहाल माफिया राकेश यादव जेल में बंद है.
गोरखपुर के अपराधियों की टॉप 10 सूची में शामिल राकेश यादव का नाम कोर्ट में सरेंडर करने के बाद फिर से सुर्खियों में है. 90 के दशक में मानीराम के तत्कालीन विधायक ओम प्रकाश पासवान की दिनदहाड़े बम मार कर हत्या करने के बाद माफिया राकेश यादव का नाम पहली बार चर्चा में आया था. धीरे-धीरे राजनीतिक सपोर्ट से राकेश ने अपने काले अपराधिक साम्राज्य को फैलाया और जयराम की दुनिया में आगे बढ़ता गया.
गुलरिया थाना क्षेत्र के झुंगिया गांव का निवासी राकेश यादव अपराध की दुनिया में जाना पहचाना नाम है. शुरुआती दिनों में अपने पिता के साथ दूध का कारोबार करने वाले राकेश यादव ने कम उम्र में ही अपराध की दुनिया में कदम रख दिया था. 90 के दशक में उसने वर्तमान में बीजेपी से सांसद कमलेश पासवान के पिता तत्कालीन विधायक ओमप्रकाश पासवान की एक चुनावी जनसभा के दौरान दिनदहाड़े बम मार कर हत्या कर दी थी.
इस हत्याकांड के मुख्य अभियुक्त ब्रह्मा यादव के साथ राकेश को भी नामजद किया गया, लेकिन बाद में वह कोर्ट से रिहा हो गया. हत्याकांड के बाद राकेश अपराध की दुनिया में किसी परिचय का मोहताज नहीं था, बस इसी का फायदा उठाते हुए उसने जमीन के कारोबार में हाथ डालना शुरू कर दिया। जमीनों पर कब्जा करना, जमीन के एवज में कमीशन लेना और प्रॉपर्टी डीलरों को बगैर अपना कमीशन लिए काम ना करने देना उसका पेशा हो गया. इस अवैध काम में इसने खूब धन कमाया. माफिया के इस काले धंधे में चार चांद लगाने का काम तब की तत्कालीन सरकारो ने भी किया.
जेल में रहने के दौरान पुलिस द्वारा कैदियों को पेशी के लिए ले जाते वक्त वैन में राकेश और ब्रह्मा भी थे. उस वक्त रेलवे चार फाटक क्रॉसिंग के पास वैन पर अचानक बम और गोलियों से हमला शुरू हो गया, अचानक हुए इस हमले की कल्पना किसी को नहीं थी चारों तरफ अफरा-तफरी का माहौल पैदा हो गया बताया जाता है कि उस दौरान कैदियों ने पुलिस के हाथों से राइफल छीन कर खुद मोर्चा संभाल लिया था, मोर्चा संभालने वालों में राकेश और ब्रह्मा यादव भी शामिल थे. हालंकि हमले में किसी की जान नहीं गई थी. इस हमले में ओमप्रकाश के बेटे कमलेश पासवान का नाम सामने आया था बताया जाता है कि यह हमला राकेश और ब्रह्मा से अपने पिता का बदला लेने के लिए वर्तमान बीजेपी सांसद कमलेश पासवान ने ही कराया गया था.
2019 में मारपीट, बलवा और हत्या के प्रयास के एक मामले में जमानत पर चल रहा था माफिया राकेश यादव। आरोप है कि राकेश यादव के इशारे पर् ही गुर्गे विपिन सिंह ने प्रॉपर्टी डीलर छोटू प्रजापति की हत्या का प्रयास किया था और पुलिस के हाथों मुठभेड़ में मारा गया था।उक्त मामले में जमानत पर रिहा होने के बाद राकेश ने मुख्य गवाह छोटू प्रजापति को गवाही न देने के लिए जान से मारने की धमकी दी थी. शिकायत के बाद दिसंबर 2022 में राकेश पर गुंडा एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज हुआ था उस वक्त भी राकेश फरार हो गया था और बाद में अपनी जमानत खारिज कराकर पुलिस को चकमा देते हुए कोर्ट में सरेंडर कर दिया था. बाद में उसे जिला बदर करते हुए देवरिया जेल में स्थानांतरित कर दिया गया था.
देवरिया जेल से जमानत पर रिहा होने के बाद राकेश के खिलाफ एक और मुकदमा दर्ज हुआ. जिसके तहत एक व्यक्ति द्वारा जमीन कब्जा करने और जान से मारने की धमकी का मुकदमा दर्ज कराया जिसके बाद से ही पुलिस राकेश की सरगर्मी से तलाश कर रही थी कि इसी बीच शनिवार को उसने दोबारा शातिराना तरीका से अपनी जमानत खारिज कराते हुए कोर्ट के समक्ष सरेंडर कर पुलिस को फिर से सिर्फ हाथ मलने पर मजबूर कर दिया.
जिस तरह उसने पुलिस को चकमा देते हुए 2 बार अपनी जमानत निरस्त कराकर कोर्ट में सरेंडर कर दिया, यह उसके शातिर दिमाग को भी बखूबी साबित करता है. राकेश यादव कितना दिमागदार और शातिर है, इसका पता उसके इस मामले से भी चलता है, जहां उसने अपने छोटे भाई और उसकी पत्नी को अपने राजनीतिक और अपराधिक रसूख का फायदा उठाते हुए फर्जी दस्तावेज के आधार पर शिक्षा विभाग में नौकरी दिला दी. दोनों महाराजगंज में नौकरी कर रहे थे कि इसी बीच माफियाओं और उनके परिवार की संपत्तियों की जांच के आदेश हुए और यह फर्जीवाड़ा पकड़ा गया. फिलहाल दोनों पति पत्नी के खिलाफ मुकदमा दर्ज है मामले की जांच चल रही है.
रिपोर्ट–कुमार प्रदीप, गोरखपुर