Bareilly : भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष एवं पूर्व कैबिनेट मंत्री राजेश अग्रवाल ने लंबे समय बाद बरेली के सियासत पर अपने लव (जुंबा) खोली है. मगर, इस बार उनके जुंबा खोलते ही बरेली की सियासत में चर्चाएं शुरू हो गई हैं. उन्होंने घर पर मीडिया को बुलाकर लोकसभा चुनाव 2024 की तैयारियों के बीच “अगली पीढ़ी के लिए बुजुर्गों को छोड़ने होंगे पद” की बात कही थी.
इसके बाद तरह-तरह की चर्चाएं शुरू हो गई है. हालांकि, उनके बरेली लोकसभा से सांसद एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री संतोष गंगवार से रिश्ते लंबे समय से तल्ख हैं. यह जगजाहिर है. मगर, दोनों ही नेता कभी एक दूसरे पर खुलकर नहीं बोले, लेकिन इस बार भाजपा के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष राजेश अग्रवाल के बयान के बाद अलग अलग मायने निकाले जा रहे हैं. सियासत के जानकार बता रहे हैं कि राजेश अग्रवाल काफी पुराने सियासी हैं.
बरेली की शहर और कैंट विधानसभा से 6 बार विधायक रहे हैं तो वहीं यूपी की भाजपा सरकार में दो बार मंत्री रह चुके हैं. इतना बड़ा बयान बिना पार्टी हाईकमान की मंशा के नहीं देंगे. वह मीडिया में बयान देकर सुर्खियों से बचते हैं. हालांकि, मीडिया वालों से रिश्ते बेहतर हैं. मगर, इस बार मीडिया को घर बुलाकर बयान दिया है.
इससे उम्मीद जताई जा रही है कि बरेली लोकसभा के सांसद के खिलाफ बयान दिलाने में भाजपा हाईकमान का भी इशारा हो. क्योंकि, पूर्व कैबिनेट मंत्री राजेश अग्रवाल की अदावत (रिश्ते खराब) लंबे समय से हैं. मगर, कभी मीडिया बुलाकर अपनी ही पार्टी के सांसद पर इशारों में सियासी हमला नहीं बोला.
पूर्व कैबिनेट मंत्री राजेश अग्रवाल यूपी सरकार में कैबिनेट वित्त मंत्री थे. मगर 75 वर्ष की उम्र पूरी होने के बाद उन्होंने इस्तीफा दे दिया था. मगर, वह पार्टी के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष हैं, लेकिन अब बरेली के सांसद संतोष गंगवार की लोकसभा चुनाव 2024 से पहले 75 की हो जायेगी.
उनका जन्म 1 नवम्बर 1948 को हुआ था. वह 1 नवंबर, 2023 को 75 वर्ष के हो जाएंगे. हालांकि, 75 की उम्र पूरी होने वालों को पीएम नरेंद्र मोदी भी आराम करने की सलाह दे चुके हैं. इसको लेकर कई बड़े नेताओं के टिकट कट चुके हैं. इससे सांसद संतोष गंगवार के टिकट को लेकर चर्चाएं शुरू हो गई हैं.
पूर्व केंद्रीय मंत्री संतोष गंगवार सियासत में काफी पुराने हैं. उन्होंने वर्ष 1980 में पहली बार भोजीपुरा विधानसभा से चुनाव लड़ा था. मगर, चुनाव हार गए थे. इसके बाद वर्ष 1984 में लोकसभा का चुनाव लड़ा. इस बार फिर हार गए, लेकिन उनका हौसला कम नहीं हुआ. मगर,वर्ष 1989 लोकसभा चुनाव में संतोष गंगवार ने कांग्रेस सांसद बेगम आबिदा को चुनाव हराया था. वह यहां से दो बार की सांसद थी.
इस चुनाव में संतोष गंगवार को 159502 वोट मिले थे, जबकि बेगम आबिदा को 116337 वोट मिले. इसके बाद वर्ष 1991, 1996, 1998, 1999, और 2004 के लोकसभा चुनाव लगातार जीतकर संसद पहुंचे. हालांकि, वह वर्ष 2009 में कांग्रेस के प्रवीण सिंह ऐरन से चुनाव हार गए थे. मगर, 2014 में लंबे अंतर से चुनाव जीत दर्ज की. इसके बाद वर्ष 2019 में भी जीत दर्ज की. वह वर्तमान में सांसद हैं.
सबसे पहली बार 13 वीं लोकसभा में पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेई की सरकार में पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस राज्य मंत्री और संसदीय कार्य मंत्री की जिम्मेदारी मिली थी. वह विज्ञान एवं तकनीकी मंत्री भी रह चुके हैं. वर्ष 2014, और 2019 की पीएम मोदी की सरकार में केंद्रीय मंत्री रहे थे. मगर,कुछ समय पहले उन्हें मंत्रिमंडल से हटा दिया गया था.
बरेली लोकसभा में 5 विधानसभा हैं.इसमें नवाबगंज, भोजीपुरा, और मीरगंज संतोष गंगवार जीतते हैं, लेकिन शहर, और कैंट विधानसभा में भाजपा जीतती है. इसलिए सांसद संतोष गंगवार के लिए भाजपा से जीत के समीकरण काफी बेहतर हैं, क्योंकि, शहर ,और कैंट में भाजपा के टिकट की वजह से वोट मिलता है.
इसी तरह से भाजपा का कोई भी कैंडिडेट शहर और कैंट में जीत दर्ज कर सकता है, लेकिन नवाबगंज, भोजीपुरा, और मीरगंज में वोट लेना काफी मुश्किल होगा. हालांकि, वर्ष 2014 में भी उनके टिकट कटने की चर्चा थी, लेकिन भाजपा हिम्मत नहीं जुटा पाई. यही चर्चा लोकसभा चुनाव 2019 में थी. मगर, उस वक्त भी नही कटा, लेकिन इस बार काफी चर्चा है.
बरेली लोकसभा सीट से भाजपा के पास कई दावेदार हैं. मगर, इसमें सबसे बड़े दावेदार के रूप में मेयर उमेश गौतम का नाम चर्चा में चल रहा है.उनके लोग लोकसभा चुनाव लड़ने की बात भी कहते हैं. इसके साथ ही पूर्व मंत्री बहोरन लाल मौर्य, विधायक डॉ.डीसी वर्मा समेत कई दावेदार हैं.इसके साथ ही सपा के भी दो नेताओं के भाजपा में आकर चुनाव लड़ने की चर्चा है.
भाजपा के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष राजेश अग्रवाल ने कहा था कि लोकसभा चुनाव 2024 अगली पीढ़ी का है. युवाओं को आगे आना होगा. बरेली की मौजूदा राजनीति पर इशारा करते हुए कहा कि 75 साल की उम्र पूरी कर चुके लोगों को अब इस्तीफा दे देना चाहिए, और युवाओं को मौका देना चाहिए. खुद का जिक्र करते हुए कहा कि मैंने 75 की उम्र होने पर मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था. प्रधानमंत्री युवाओं को आगे बढ़ा रहे हैं.
नए चेहरों व नए जोश के साथ पार्टी एक बार फिर 300 से अधिक सीटों पर परचम लहराएगी. उनका कहना था कि लखनऊ से दिल्ली जाने का रास्ता बरेली से होकर गुजरता है, मगर जिम्मेदार लोगों की सुस्ती की वजह से लोग इस रास्ते की जगह एक्सप्रेस वे का इस्तेमाल करने लगे, और बरेली पिछड़ गया. पिछले 20-25 वर्षों में बरेली के तमाम कारखाने बंद हो गए.
रेल कोच फैक्टरी यहां से शिफ्ट हो गई. जिस शहर को सरकार की ओर से काउंटर मैग्नेट सिटी का दर्जा मिला था, उसकी दुर्दशा हुई.अगर जिम्मेदार जरा सी भी कोशिश कर लेते, तो बरेली का स्वरूप आज दूसरा होता. हमारे युवाओं को नौकरी के लिए भटकना नहीं पड़ता है. यहां तो घोषणा के बाद टेक्सटाइल पार्क, मेगा फूड पार्क भी नहीं बचा पाए. इसलिए अब जरूरी है कि हमें बरेली के विकास के लिए नए सिरे से सोचना होगा.
रिपोर्ट- मुहम्मद साजिद, बरेली