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Pongal 2023: इस दिन है पोंगल का त्योहार, जानें इस त्‍योहार से जुड़ी अनोखी परंपराएं

Pongal 2023: पोंगल तमिलनाडु का खास पर्व है. यह फसल और खेती से जुड़ा पर्व है. तमिल कैलेंडर के मुताबिक सूर्य जब 14-15 जनवरी के दिन मकर राशि में गोचर करते हैं तब नए साल की पहली तारीख होती है.

By Shaurya Punj | January 13, 2023 7:59 AM

Pongal 2023:  पोंगल का त्‍योहार चार दिनों तक चलता है. इस बार यह 15 जनवरी से 18 जनवरी 2023 तक मनाया जाएगा.  पहले दिन भोगी पोंगल, दूसरे दिन सूर्य पोंगल, तीसरे दिन मट्टू पोंगल और चौथे दिन कानुम पोंगल मनाते हैं. बता दें तमिलनाडु के नये वर्ष की शुरुआत भी पोंगल के दिन से होती है.

भगवान का धन्‍यवाद देने का अवसर

पोंगल का यह त्‍योहार तमिलनाडु में मुख्‍य रूप से भगवान का धन्‍यवाद देने के अवसर के रूप में माना जाता है. यह त्‍योहार फसल की कटाई ईश्‍वर के प्रति आस्‍था प्रकट करने का पर्व है कि उन्‍होंने हमें इस लायक बनाया कि हम आपस में खुशियां बांट सकें. इस पर्व को सफाई, प्रार्थना, सजावट और जीवन की प्रेरणा के रूप में देखा जाता है.

थाई पोंगल पर लोग सूर्य भगवान को अर्घ्‍य देते हैं

इस पर्व को 4 दिन अलग-अलग रूप में मनाया जाता है. भोगी पोंगल में सफाई प्रक्रिया शामिल है. इस दिन लोग अपने घरों से सभी फालतू सामान और कबाड़ा निकालकर बाहर फेंक देते हैं. दूसरे दिन थाई पोंगल पर लोग सूर्य भगवान को अर्घ्‍य देते हैं. इसके साथ ही इस दिन मिट्टी के बर्तन में लोग दूध, चावल और गुड़ जैसी विभिन्‍न सामग्रियों से स्‍वादिष्‍ट पकवान बनाते हैं.

तीसरे दिन मनाया जाता है मट्टू पोंगल

मट्टू पोंगल तीसरे दिन का पर्व है. इसमें लोग खेती में मदद करने वाले जानवरों के प्रति आभार व्‍यक्‍त करते हैं और उनकी सेवा करते हैं. इस दिन खास तौर पर जानवरों को खिलाने के लिए विशेष पकवान तैयार किए जाते हैं. पोंगल के अंतिम दिन कूनम पोंगल पर लोग अपने दोस्‍तों और रिश्‍तेदारों से मिलते हैं और एक-दूसरे को उपहार देकर खुशियां मनाते हैं.

क्यों मनाते हैं पोंगल (Pongal 2023 Significance)

पोंगल तमिलनाडु का खास पर्व है. यह फसल और खेती से जुड़ा पर्व है. तमिल कैलेंडर के मुताबिक सूर्य जब 14-15 जनवरी के दिन मकर राशि में गोचर करते हैं तब नए साल की पहली तारीख होती है. साथ ही इस दिन तक धान और गन्ने की फसल तैयार हो जाती है. किसान अपने फसलों से खुश रहते हैं और प्रकृति को आभार प्रकट करते हैं. इस दौरान किसान सूर्य देव, इन्द्रदेव और पशु की पूजा करते हैं.

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