रांची: आइएएस अधिकारी पूजा सिंघल हाल के दिनों में काफी चर्चा में थीं. खूंटी के मनरेगा घोटाला में प्रवर्तन निदेशालय (इडी) की टीम उनके खिलाफ इतनी बड़ी कार्रवाई करेगी, इसकी भनक किसी को नहीं थी. शुक्रवार को केंद्रीय एजेंसी की टीम ने जब पूजा सिंघल, उनके पति अभिषेक झा और रिश्तेदारों के ठिकानों पर एक साथ छापेमारी की, तो हड़कंप मच गयी. काफी देर तक कई मीडिया साइट पर यह खबर चलती रही कि छापामारी की कार्रवाई खनन लीज के मामले में हुई है.
बाद में मामला साफ हुआ कि यह कार्रवाई खूंटी मनरेगा घोटाला से जुड़ा है. बुधवार और गुरुवार को बाहर से इडी के कई अधिकारी रांची पहुंचे. एयरपोर्ट रोड स्थित इडी के दफ्तर (पूर्व में पूर्व मंत्री एनोस एक्का का आवास) पर ऑपरेशन की ब्लू प्रिंट को अंतिम रूप दिया गया.
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छापेमारी के लिए तैयार इडी की टीम गुरुवार की रात दफ्तर में ही रुकी रही. सुबह में टीम एक साथ स्कूल बस, कार सहित अन्य वाहनों से पूजा सिंघल के पति अभिषेक झा के पल्स अस्पताल सहित अन्य ठिकानों पर पहुंची. वहीं कई अधिकारियों ने पैदल ही पल्स अस्पताल में प्रवेश किया. छापेमारी में इडी ने सीआरपीएफ और सीआइएसएफ के जवानों को साथ लिया. वहीं रांची जिला बल के जवानों से दूरी बनाये रखी. पल्स अस्पताल को पूरी तरह कब्जे में लेने के बाद अस्पताल से बाहर आनेवाले हर शख्स का परिचय पत्र और सामानों की चेकिंग होने लगी.
विवादित जमीन पर पास करा लिया 23 करोड़ का लोन
राजधानी के बूटी रोड (बरियातू) स्थित पल्स हॉस्पिटल का निर्माण विवादित जमीन पर कराने का आरोप लगा था. विवादित जमीन होने के बावजूद इस जमीन पर एचडीएफसी बैंक से करीब 23 करोड़ रुपये का लोन पास करा लिया गया. उस वक्त रांची के किसी भी बैंक ने जमीन का नेचर देखते हुए फाइनांस करने (लोन देने) से मना कर दिया था.
अस्पताल को इतने बड़े कर्ज को पूजा सिंघल ने अपने रसूख का इस्तेमाल किया था. बैंक की एक स्पेशल टीम कोलकाता से आयी थी और प्रोजेक्ट के विवादित होने के बावजूद उसे वित्तीय मदद उपलब्ध करायी. बाद में जब प्रभात खबर ने इसकी पड़ताल कर गड़बड़ियों पर अभिषेक झा से बात करनी चाही तो उन्होंने उस वक्त कोई जवाब नहीं दिया था.
भुईंहरी जमीन पर है अस्पताल
इस मल्टीस्पेशियलिटी हॉस्पिटल का निर्माण जिस जमीन पर हुआ है, वह भुईंहरी है. बड़गाईं अंचल में मौजा मोरहाबादी, थाना नंबर-192, खाता संख्या-162, खेसरा संख्या- 1248 में यह 33 डिसमिल जमीन चिह्नित है. फरवरी 2020 में बड़गाईं सीओ ने भी अपनी रिपोर्ट में भी इसका जिक्र करते हुए इसके दावे को खारिज कर दिया था. इस रिपोर्ट को तत्कालीन अपर समाहर्ता सत्येंद्र कुमार को भी सौंपा गया था. उस वक्त शिकायत के बाद मुख्यमंत्री ने रांची उपायुक्त से पूरे मामले की जांच कर रिपोर्ट देने को कहा था. हालांकि, वहां से कार्रवाई आगे नहीं बढ़ सकी.
Posted By: Sameer Oraon