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Poonch Attack: बच्चों को सेना में अफसर बनाने की हसरत के साथ शहीद हो गए लांस नायक करण, फरवरी में आना था गांव

करण की शहादत के बाद से ही पिता बाबूलाल को सांत्वना देने के लिए लोग पहुंच रहे हैं. सेना और प्रशासन से जुड़े अधिकारियों से लेकर सियासी दलों के लोगों का उनका घर पर पहुंचने का सिल​सिला जारी है. रिश्तेदार भी करण की शहादत को याद कर भावुक हो रहे हैं.

Kanpur News: जम्मू-कश्मीर के राजौरी में आतंकी हमले के शहीदों में यूपी का लाल भी शामिल है. शहीदों के पार्थिव शरीर उनके परिवार के पास रवाना कर दिए गए हैं, इनमें कानपुर के करण सिंह का नाम भी शामिल है. उनके अंतिम संस्कार पर भारी संख्या में लोगों की भीड़ उमड़ने की संभावना है. शहादत के बाद से ही पूरे इलाके में शोक का माहौल है. चौबेपुर के भाऊपुर गांव निवासी कानपुर के प्राणों की आहूति देने की खबर मिलते ही इलाके में शोक की लहर दौड़ गई. पहले तो लोगों को इस पर यकीन करना मुश्किल हो गया. गांव के लोग करण सिंह को याद कर बेहद भावुक हो रहे हैं. चौबेपुर भाऊपुर गांव निवासी बाबू लाल के 30 वर्षीय करन सिंह यादव जम्मू कश्मीर के पुंछ सेक्टर में 48 आरआर बटालियन में लायंस नायक के पद पर तैनात थे. सीमा की सुरक्षा करते समय आतंकियों के हमले में सेना के जिन जवानों का बलिदान हुआ है, उसमें कानपुर के करन सिंह यादव भी शामिल हैं.

बचपन से ही सेना में शामिल होना चाहते थे करण

कानपुर के लाल की शहादत पर पिता बाबूलाल बताते हैं कि पुत्र करण सिंह का शुरुआत से ही सेना में जाने का मन था. वह देश की सेवा करने की बात करता था और उसका यही एकमात्र सपना था कि सेना में शामिल हो. इसके लिए उसने कड़ी मेहनत की और वर्ष 2013 में सेना में नौकरी हासिल करने में सफल रहा. परिवार को उस पर गर्व है. करण की शादी छह वर्ष पहले पहले अंजू से हुई थी. उसकी पांच वर्षीय बेटी आर्या और डेढ़ वर्षीय बेटा आयुष है. बहू कानपुर के लाल बग्ला में रहकर बेटी को सैनिक स्कूल में पढ़ा रही है. बेटे को याद करते हुए पिता बाबूलाल बताते हैं कि अगस्त में रक्षाबंधन के पर्व पर वह घर आया था. तब करण ने फरवरी में घर आने की बात कही थी. सभी उसके आने का इंतजार कर रहे थे. बेटा तो नहीं आया, उसकी शहादत की खबर जरूर आ गई. पूरे परिवार और शहर को उसके बलिदान पर गर्व है. वह हमारा होनहार बेटा था.

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घर पर उमड़ रही लोगों की भीड़

करण की शहादत के बाद से ही पिता बाबूलाल को सांत्वना देने के लिए लोग पहुंच रहे हैं. सेना और प्रशासन से जुड़े अधिकारियों से लेकर सियासी दलों के लोगों का उनका घर पर पहुंचने का सिल​सिला जारी है. रिश्तेदार भी करण की शहादत को याद कर भावुक हो रहे हैं. करण के छोटे भाई अरुण यादव ने बताया कि भाई अक्सर देश की सेवा के लिए उसे भी प्रेरित करते थे. इसी प्रेरणा से वह सेना में भर्ती की तैयारी कर रहा है. परिवार सहित पूरे क्षेत्र में गम का माहौल है. हर कोई इस शहादत से बेहद गमगीन है.

करण की बहादुरी के किस्से याद कर रहे साथी

करण के दोस्त भी उसकी बहादुरी के किस्स याद कर रहे हैं. वह उसकी देशभक्ति की बातों का भी याद कर रहे हैं. करण के मिलनसार स्वभाव के सभी मुरीद थे. लायंस नायक करण गांव में बच्चों, युवाओं से लेकर बुजुर्गों के बीच काफी लोकप्रिय थे. छुट्टी पर आने के दौरान वह सभी से बेहद लगाव से मिलते थे. वह अक्सर सेना से जुड़े किस्से लोगों को बताते थे. पिता बाबूलाल, भाई अरुण के साथ खेतों पर काम करने में भी करण को काफी आनंद आता था.

बच्चों को सेना में अफसर बनाना चाहते थे करण

खुद सेना में जाने वाले करण ने जहां भाई को भी इसके लिए प्रेरित किया, वहीं उनकी इच्छा था कि उनके बच्चे भी इसी तरह का काम करें. वह बच्चों को सेना में अफसर बनाना चाहते थे. उनकी पत्नी कानपुर में किराए के मकान में रहती है, जहां बेटी का दाखिला सैनिक स्कूल में कराया है. गमगीन पत्नी अंजू ने बताया कि पति का सपना था कि उनके बच्चे सेना में अधिकारी बने. वहीं भाई के बलिदा के बाद बहनें भी बेहद शोक में हैं. करण की तीन बहनों में साधना की शादी हो चुकी है. ज​बकि आराधना और सोनम अविवाहित हैं. भाई के साथ मनाई आखिरी रक्षाबंधन को याद कर उनके आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे हैं. उनका कहना है कि वह अब कभी भाई की कलाई में राखी नहीं बांध पाएगी. उसकी शहादत पर सभी को बेहद गर्व है.

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