धनबाद : गया पुल के नये अंडरपास पर फिर ग्रहण लग गया है. कैबिनेट से संशोधित डीपीआर की मंजूरी के 21 दिन बाद भी टेंडर की प्रक्रिया तक शुरू नहीं हुई है. इसका कारण आरसीडी में कार्यपालक अभियंता की पोस्टिंग नहीं होने बताया जा रहा है. आरसीडी के कार्यपालक अभियंता दिनेश प्रसाद 31 दिसंबर 2023 को ही सेवानिवृत्त हो चुके हैं. उनकी जगह अब तक कार्यपालक अभियंता की पोस्टिंग नहीं हुई है. ऐसे में टेंडर की प्रक्रिया लंबित है. गया पुल नये अंडरपास के संशोधित डीपीआर को नौ जनवरी को कैबिनेट की मंजूरी मिली थी. पहले 23.84 करोड़ का डीपीआर था. 5.57 करोड़ रुपये मुआवजा व कुछ नयी योजना को जोड़कर 30.50 करोड़ का नया संशोधित डीपीआर बनाया गया था. पथ निर्माण विभाग के मुताबिक कैबिनेट से मंजूरी के बाद प्रशासनिक स्वीकृति ली जाती है. कार्यपालक अभियंता की पोस्टिंग नहीं होने से प्रशासनिक स्वीकृति की प्रक्रिया भी नहीं शुरू हुई है.
गया पुल के नये अंडरपास के लिए 2019 में ही रेलवे ने एनओसी दिया था. डीपीआर बनाने में पांच साल लग गये. 2023 में अंडरपास के लिए टेंडर हुआ, जो बाद में तकनीकी कारणों से रद्द कर दिया गया. अब संशोधित डीपीआर पर टेंडर होना है लेकिन अधिकारी के नहीं रहने से मामला लटका है.
1956 में बना है गया पुल
गया पुल का इतिहास बहुत पुराना है. जानकारों के मुताबिक 1956 में गया पुल का निर्माण हुआ था. तब जिले की आबादी लगभग दस लाख थी, लेकिन आज यह 30 लाख से अधिक हो गयी है. वाहनों की संख्या भी लगातार बढ़ रही है. 1956 में 37 फीट के अंडरपास का निर्माण हुआ था. इसमें 30 फीट की सड़क व दोनों तरफ मिलाकर सात फीट का फुटपाथ है. नया अंडरपास बनने से यहां ट्रैफिक की समस्या खत्म हो जायेगी.
नया अंडरपास वर्तमान अंडरपास से 14.9 मीटर दूर बनेगा. नया अंडरपास 66 मीटर लंबा व नौ मीटर चौड़ा होगा. इसमें वन वे इंट्री होगी. एक अंडरपास से गाड़ी जायेगी तो दूसरे से गाड़ी आयेगी. नया अंडरपास बनने से श्रमिक चौक में जाम की समस्या समाप्त हो जायेगी.
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