कोलकाता: विधानसभा चुनाव (Bengal Chunav 2021) के बाद पश्चिम बंगाल के अलग-अलग हिस्सों में हुई हिंसा (Post Poll Violence in Bengal) को लेकर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) द्वारा जमा की गयी रिपोर्ट पर ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) की सरकार के गृह सचिव ने 95 पन्नों का हलफनामा जमा किया है.
मामले की सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने कलकत्ता हाइकोर्ट (Calcutta High Court) के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल की नेतृत्व वाली पांच सदस्यीय बेंच के समक्ष अतिरिक्त जवाबी हलफनामा जमा करने के लिए समय की मांग की, जिसे हाइकोर्ट ने स्वीकार कर लिया. कोर्ट ने सरकार से कहा है कि 31 जुलाई तक वह अपना हलफनामा दाखिल कर दे. इसके बाद मामले की सुनवाई के लिए दो अगस्त की तारीख मुकर्रर कर दी गयी.
वहीं, चुनाव बाद हिंसा में मारे गये भारतीय जनता पार्टी (BJP) के कार्यकर्ता अभिजीत सरकार की डीएनए रिपोर्ट (Abhijit Sarkar DNA Report) कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल सहित पांच जजों की पीठ में पेश की गयी. एक ओर कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश की बेंच पर इस मामले की सुनवाई चल रही थी, तो दूसरी ओर वकीलों का एक धड़ा कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश की अदालत का बहिष्कार जारी रखते हुए विरोध प्रदर्शन कर रहा था.
मामले की सुनवाई के दौरान राज्य सरकार के वकील ने कहा कि वह तृणमूल नेताओं पार्थ भौमिक और ज्योतिप्रिय मल्लिक से पूछताछ करेंगे. उसके बाद उनका पक्ष भी अदालत में रखेंगे. हालांकि, उनका तर्क था कि वकीलों ने बहिष्कार करने का फैसला किया है, इसलिए मामले को सोमवार तक के लिए टाल दिया जाना चाहए.
वहीं, जनहित याचिका दाखिल करने वाली प्रियंका टिबरेवाल ने कहा कि राज्य की जनता पिछले तीन महीनों से चुनाव के बाद की हिंसा से पीड़ित है. ऐसे में आवेदन की सुनवाई में तेजी लाने की जरूरत है. इस बीच, अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल वाइजे दस्तूर ने कांकुड़गाछी के अभिजीत सरकार की डीएनए रिपोर्ट पेश की.
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राज्य सरकार की ओर से कहा गया है कि उसे मानवाधिकार आयोग की रिपोर्ट को पढ़ने के लिए और समय चाहिए. इसलिए इसे फिलहाल के लिए टाल दिया जाये. इसके बाद बेंच ने कहा कि राज्य को अतिरिक्त हलफनामा दाखिल करने के लिए सिर्फ 31 जुलाई तक का समय दिया जायेगा.
मामले की सुनवाई के दौरान बुधवार को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के वकील सुबीर सान्याल ने कहा कि एनएचआरसी द्वारा 13 जुलाई को रिपोर्ट जमा की गयी है. रिपोर्ट सौंपे जाने के बाद भी राज्य के विभिन्न क्षेत्रों से कई शिकायतें मिलीं हैं. इनमें से 16 ऐसे मामले हैं, जहां पुलिस या स्थानीय नेता पीड़ितों पर शिकायतें वापस लेने की धमकी दे रहे हैं. इसलिए वह इसे लेकर अतिरिक्त रिपोर्ट देना चाहते हैं. बेंच ने इसकी अनुमति नहीं दी.
Posted By: Mithilesh Jha