Power Crisis: धनबाद में 10 घंटे की अघोषित बिजली कटौती से लोग हलकान, कारोबार व खनन कार्य प्रभावित
धनबाद में हर दिन लगभग 344 किलोलीटर डीजल की खपत होती है. जेनसेट में लगभग 30 से 40 केएल यानी 37 लाख रुपये का अतिरिक्त जल रहा है. इससे दुकानदारों का बजट प्रभावित हो रहा है, तो जनरेटर के धुआं व शोर से ध्वनि और वायु प्रदूषण फैल रहा है. हालात हैं कि खदानों में प्रोडक्शन प्रभावित हो रहा है.
Dhanbad News: शहर इन दिनों 10 घंटे की अघोषित बिजली कटौती से परेशान है. यह सिलसिला एक माह से अधिक समय से जारी है. इस कारण उद्योग जगत और आमजन परेशान हैं. एग्जाम टाइम के चलते छात्र भी प्रभावित हैं. सबसे ज्यादा दिक्कत जीवनरक्षक दवा रखने वाले दुकानदारों व कुटीर उद्योगों को हो रही है. उनकी निर्भरता जेनसेट पर बढ़ गयी है.
एक अनुमान के अनुसार, जिले में हर दिन लगभग 344 किलोलीटर डीजल की खपत होती है. जेनसेट में लगभग 30 से 40 केएल यानी 37 लाख रुपये का अतिरिक्त जल रहा है. इससे दुकानदारों का बजट प्रभावित हो रहा है, तो जनरेटर के धुआं व शोर से ध्वनि और वायु प्रदूषण फैल रहा है. हालात हैं कि खदानों में प्रोडक्शन प्रभावित हो रहा है. ग्रामीण क्षेत्रों की स्थिति और विकट है. लोगों का कहना है कि अगर गर्मी का दिन होता तो शायद स्थिति काफी गंभीर हो जाती. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पूरी बिजली देने की मांग कर चुके हैं, बावजूद कोई निर्णय नहीं होना काफी दुख दे रहा है.
दिन की कटौती से उद्योग जगत, तो आम लोगों की जिंदगी भी हुई प्रभावित
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जीवनरक्षक दवाओं के लिए दुकानदार ले रहे हैं जनरेटर का सहारा
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पानी भरने के लिए देर रात तक जगते हैं लोग, एग्जाम टाइम के चलते बच्चे भी परेशान
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कह रहे लोग- जाड़े की वजह से है अभी राहत, गर्मी होती तो तड़प उठते
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डीवीसी करार से 40 प्रतिशत कम बिजली कर रहा धनबाद को सप्लाई
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ऐसे समझिए कैसे उद्योग व व्यापारियों को उठाना पड़ रहा नुकसान
सरायढेला-गोविंदपुर स्थित एक माॅल में हर माह औसतन 300 से 400 लीटर डीजल की खपत होती थी. बिजली कटौती के कारण नवंबर माह में तीन सौ लीटर अतिरिक्त डीजल मंगवाया गया. मॉल के मैनेजर के अनुसार, अक्टूबर माह के अंत से ही संकट बढ़ गया है. इस कारण अतिरिक्त 20 हजार रुपये का खर्च बढ़ गया है. शहर में कई बड़े संस्थान हैं. एक आंकड़े के अनुसार, सबको मिला कर लाखों रुपये का अतिरिक्त डीजल जल रहा है.
हीरापुर के ज्वेलरी शोरूम के संचालक संजय केडिया कहते है िक अभी शादी-विवाह का सीजन चल रहा है. दुकानों में ग्राहक भरे रहते हैं. बिजली का आना-जाना लगा रहता है. िबजली नहीं रहने से जनरेटर के भरोसे कारोबार चल रहा है. उनके अनुसार, हालत यह है कि एक माह का बिजली बिल सात हजार रुपये आ रहा है, तो इंवर्टर होने के बाद भी 10 हजार रुपये डीजल पर अतिरिक्त खर्च करने पड़ रहे हैं. कुछ ऐसी ही स्थिति अन्य दुकानदारों की भी है.
क्या है संकट का कारण
झारखंड बिजली वितरण निगम लिमिटेड (जेबीवीएनएल) के अधिकारियों के अनुसार, संकट की मुख्य वजह डीवीसी से कम बिजली मिलना है. डीवीसी करार से लगभग 40 प्रतिशत कम बिजली सप्लाई कर रहा है.
कटौती का कारण यह भी
दामोदर वैली कॉरपोरेशन (डीवीसी) के पुटकी स्थित यार्ड में लगे एक पावर ट्रांसफॉर्मर में आयी खराबी लगभग एक माह बाद भी ठीक नहीं हुई है. 10 नवंबर को ही ट्रांसफॉर्मर में खराबी आयी थी. इससे दिक्कत है. कटौती बंद करने के लिए डीवीसी से कई बार आग्रह किया गया. समस्या से वरीय अधिकारियों को भी अवगत कराया जा चुका है. डीवीसी के अधिकारियों को पुटकी में आयी खराबी जल्द दुरुस्त करने को कहा गया है, ताकि निर्बाध बिजली आपूर्ति की दिशा में कार्य किया जा सके.
रिपोर्ट : विक्की प्रसाद, धनबाद