सरायकेला-खरसावां, शचिंद्र कुमार दाश. इस साल मानसून की दगाबाजी के बावजूद खरसावां, कुचाई क्षेत्र के तसर किसानों ने खेती की आस नहीं छोड़ी है. क्षेत्र के तसर किसान इन दिनों अर्जुन व आसन के पेड़ों पर तसर कीटपालन में जुटे हुए हैं. इसमें विभाग का भी भरपूर सहयोग मिल रहा है. तसर की खेती में करीब एक माह की देरी हुई है, लेकिन किसानों के हौसले बुलंद हैं. किसानों को उम्मीद है कि मानसून की बेरुखी के बावजूद तसर की अच्छी पैदावार करेंगे. पहले चरण की खेती में अगले डेढ़ माह तक तसर कीटपालन कर तसर कोसा का उत्पादन किया जायेगा. अमूमन देखा जाता है कि 15 से 20 जून के बीच ही क्षेत्र में तसर कीट पालन शुरू हो जाता है, लेकिन इस साल 15 जुलाई के बाद किसानों में तसर के अंडों (डीएफएल) का वितरण किया गया. मानसून आने में हुई देरी के कारण डीएफएल के उत्पादन भी में देरी हुई.
सितंबर में दूसरे चरण की खेती के लिये तैयार होगा बीजागार
इसके बाद सितंबर के दूसरे व तीसरे सप्ताह में दूसरे चरण के तसर की खेती का कार्य शुरू हो जायेगा. पहले चरण की खेती में तैयार होने वाले दो लाख बीज कोकून का बीजागार कर फिर से तसर के अंडे (डीएफएल) तैयार किये जायेंगे. इन डीएफएल को बीज संलग्न वाणिज्य कीट पालकों (समूह) में वितरण कर तसर की खेती करायी जायेगी. प्रत्येक समूह में 20 से 25 तसर किसान जुड़े हुए हैं. इन डीएफएल से तसर किसान अर्जुन और आसन के पेड़ों में तसर कीट पालन कर तसर कोसा तैयार करेंगे. दूसरे चरण का तसर कोसा नवंबर माह में तैयार हो जायेगा. संभावना व्यक्त की जा रही है कि दूसरे चरण की खेती में खरसावां-कुचाई में करीब तीन से चार करोड़ तसर कोसा का उत्पादन होगा.
खरसावां कुचाई के 165 रेशम दूतों में 42 हजार डीएफएल का वितरण
अग्र परियोजना केंद्र की ओर से खरसावां के 90 और कुचाई के 75 रेशम दूतों के बीच करीब 42 हजार तसर के अंडों (डीएफएल) का वितरण किया गया है. खरसावां पीपीसी में इस बार 24 हजार डीएफएल का उत्पादन हुआ, जबकि सेंट्रल सिल्क बोर्ड के खरसावां सेंटर से 7,285 और मधुपुर (देवघर) सेंटर से 10,400 डीएफएल मंगा कर रेशम दूतों में वितरण किया गया. साथ ही सेंट्रल सिल्क बोर्ड (कपड़ा मंत्रालय, भारत सरकार) के बीएसएमटीसी की ओर से क्षेत्र के रेशम दूतों में एक हजार डीएफएल का वितरण किया गया है. इसके अलावा कई संस्थानों की ओर से भी तसर की खेती कराई जा रही है. बताया जा रहा है कि प्रत्येक रेशम दूत के साथ दो बीज कीट पालक भी इस कार्य में लगे हुए हैं. सितंबर के पहले सप्ताह तक इससे करीब दो लाख बीज कोकून तैयार होगा.
तसर की खेती के लिये इस वर्ष मौसम नहीं है अनुकूल
तसर की खेती के लिये इस वर्ष मौसम का साथ नहीं मिला है. राज्य के सिल्क जोन के रूप में मसहूर खरसावां-कुचाई क्षेत्र में इस साल मानसून सही समय पर नहीं आने से तसर के अंडों (डीएफएल) का उत्पादन भी सही समय पर नहीं हो सका. खरसावां पीपीओ केके यादव के पहल पर खरसावां पीपीसी में उत्पादित डीएफएल के साथ साथ सीएसबी से डीएफएल लाकर किसानों में बांटा गया. अर्जुन-आसन के पेड़ों पर तसर कीट की रक्षा के लिये पेड़ों को नेट से ढंक कर रखा गया है. रेशम दूत स्वयं खेतों में जाकर रेशम कीटों की रखवाली कर रहे हैं.
खरसावां-कुचाई में तैयार होता है ऑर्गेनिक रेशम
खरसावां-कुचाई ऑर्गेनिक रेशम उत्पादन के लिये पूरे देश में प्रसिद्ध है. यहां रेशम कीट पालन से लेकर कोसा उत्पादन तक में किसी प्रकार के रसायन का उपयोग नहीं होता है. यहां के ऑर्गेनिक कोकून की भारी मांग है.
क्या कहते हैं तसर किसान?
तसर की खेती ही हमारा मुख्य पेशा है. समय पर मानसून के नहीं आने से पहले चरण के तसर की खेती काफी हद तक प्रभावित हुई हैं. तसर कीटपालन शुरू कर दिया गया है. उम्मीद है कि समय के साथ सब कुछ ठीक होगा और अच्छी खेती होगी. पूरे परिवार के साथ तसर की खेती में जुटे हुए हैं.जोगेन मुंडा, रेशम दूत, मरांगहातु, कुचाई
इस साल मानसून सही समय पर नहीं आने के कारण डीएफएल बनने में देरी हुई. पीपीसी की ओर से तसर की कीट पालन के लिये डीएफएल उपलब्ध कराया गया है. जुलाई के दूसरे सप्ताह में हुई बारिश के साथ ही तसर कीट पालन शुरू हो गया है. पूरे परिवार के साथ मिल कर तसर की खेती कर रहे हैं. अच्छी पैदावार होने को लेकर आवांशित है.सुजन सिंह चौड़ा, रेशम दूत, बायांग, कुचाई
क्या कहते हैं विशेषज्ञ?
इस साल मानसून के आने में देरी हुई. साथ ही तेज धूप के कारण डीएफएल का उत्पादन प्रभावित हुआ. जुलाई में हुई बारिश के बाद पीपीसी में करीब 24 हजार डीएफएल तैयार हुए. सेंट्रल सिल्क बोर्ड के खरसावां व मधुपुर सेंटर से अतिरिक्त डीएफएल मंगा कर तसर किसानों में बांटा गया है. आगे भी किसानों के लिये डीएफएल की कमी होने नहीं दी जायेगी. तसर कीट पालन के साथ-साथ तसर की अच्छी पैदावार हो इस पर विभाग का पूरा फोकस है.केके यादव, अग्र परियोजना पदाधिकारी, खरसावां पीपीसी
खरसावां-कुचाई के किसानों में अब तक करीब 42 हजार से अधिक डीएफएल का वितरण किया गया है. किसान तसर कीटपालन में जुटे हुए हैं. पीपीसी से भी लगातार तसर कीटपालन की मॉनिटरिंग की जा रही है. उम्मीद है कि बेहतर रिजल्ट सामने आयेंगे. पहला फसल अगले सितंबर माह के पहले सप्ताह तक तैयार हो जायेगा. इसके बाद दूसरे फसल की तैयारी में जुट जाना है.लक्ष्मण बिरुआ, ओवरसियर, खरसावां पीपीसी