प्रभात खबर परिचर्चा कार्यक्रम : गढ़वा में एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट की उठी मांग, सरकार से लागू करने की अपील
गढ़वा में आयोजित प्रभात खबर परिचर्चा कार्यक्रम में अधिवक्ताओं ने एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट को लागू करने की एकस्वर में मांग की. कहा कि वे आये दिन क्रिमिनल एवं दीवानी दोनों तरह के मुकदमे की पैरवी करते हैं. इसमें प्रभावित पक्ष के निशाने पर वे रहते हैं.
Jharkhand News: प्रभात खबर की ओर से गढ़वा जिला अधिवक्ता के कांफ्रेंस हॉल में सोमवार को एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट (Advocate Protection Act) पर परिचर्चा का आयोजन किया गया. इसमें जिला अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष गौतम कृष्ण सिन्हा उर्फ बुलू बाबू की अध्यक्षता में आयोजित परिचर्चा में उपस्थित अधिवक्ताओं ने इस बात पर जोर दिया कि अधिवक्ताओं की सुरक्षा के लिए एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट जरूरी है. वे आये दिन क्रिमिनल एवं दीवानी दोनों तरह के मुकदमे की पैरवी करते हैं. इसमें प्रभावित पक्ष के निशाने पर वे रहते हैं.
काफी समय से हो रही एडवाेकेट प्रोटेक्शन एक्ट की मांग
ऐसी कई घटनाएं अब तक घट चुकी है. इसके कारण अधिवक्ताओं में विशेषकर क्रिमिनल मामलों में अपने मुवक्किल की पैरवी करने में भय का सामना करना पड़ता है. इसको देखते हुए काफी पहले से एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट की मांग की जा रही है, लेकिन अभी तक इसे सरकार द्वारा लागू नहीं किया गया है. इसके कारण अधिवक्ता निर्भीक होकर मुकदमों की पैरवी नहीं कर पा रहे हैं.
अधिवक्ताओं को सुरक्षा की जरूरत : गौतम कृष्ण सिन्हा
जिला अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष गौतम कृष्ण सिन्हा ने कहा कि समय के साथ जैसे-जैसे अपराध में परिवर्तन आयेगा, वैसे-वैसे आईपीसी में भी बदलाव आयेगा. अधिवक्ता पूरी ईमानदारी के साथ काम करते हैं. इसलिए उन्हें प्रोटेक्शन की जरूरत है. उन्होंने कहा कि एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट के विषय पर सभी अधिवक्ताओं की एक राय है. इसलिए सरकार को इस पर तुरंत पहल करनी चाहिए. उन्होंने इस समसामयिक विषय पर प्रभात खबर के पहल की सराहना की. उन्होंने कहा कि प्रभात खबर द्वारा समसामयिक विषयों पर इस प्रकार के पहल की आगे भी जरूरत है.
Also Read: प्रभात खबर परिचर्चा कार्यक्रम : हजारीबाग में Advocates ने की झारखंड हाईकोर्ट के सर्किट बेंच खोलने की मांगअगर अधिवक्ता डरे-सहमे रहेंगे, तो कोर्ट में कैसे रख पाएंगे अपनी बात : सतीश मिश्र
वरिष्ठ अधिवक्ता सतीश कुमार मिश्र ने कहा कि जहां असुरक्षा की भावना है, वहां प्रोटेक्शन की जरूरत महसूस की जाती है. कहा कि अधिवक्ता अपने मुवक्किल की आवाज बनकर उनकी बात को न्यायाधीश के समक्ष अदालत में रखते हैं. यदि वे डरे और सहमे हुए रहेंगे, तो वे निर्भिकता से अपनी बात को नहीं रख पायेंगे. उन्होंने कहा कि अधिवक्ता सरकारी नौकर नहीं हैं. यदि वे अपनी बात को न्यायपालिका के समक्ष नहीं उठा पायें, तो यह शर्मनाक बात हो जाती है. उनके ऊपर पर्सनल अटैक जानमाल की क्षति आदि का डर बना रहता है. ऐसे में अधिवक्ताअों को प्रोटेक्शन एक्ट की जरूरत है.
1990 में UNO में यह बात उठी थी : परेश कुमार तिवारी
जीपी परेश कुमार तिवारी ने कहा कि पूरे विश्व में अधिवक्ताओं पर जुल्म बढ़ रहा है. साल 1990 में यूएनओ में यह बात उठी. इसके बाद कई देशों में अधिवक्ता सुरक्षा कानून बनाया गया, लेकिन भारत में यह कानून तो बना, लेकिन सरकार द्वारा इसे अभी तक पारित नहीं किया जा सका है. उन्होंने कहा कि अधिवक्ता अपराधियों से घिरे रहते हैं. ज्यादातर अधिवक्ता असुरक्षित हैं. उनकी कोई सुरक्षा नहीं है. इसलिए इस पर कानून बनना जरूरी है. इस दौरान उन्होंने साल 1990 के यूएनओ सम्मेलन एवं साल जून 2021 के बार कॉन्सिल ऑफ इंडिया द्वारा सात सदस्यीय समिति के बनाये गये मसौदे पर विस्तृत प्रकाश डाला.
प्रभात खबर की पहल स्वागतयोग्य : प्रभात कुमार चौबे
वरिष्ठ अधिवक्ता प्रभात कुमार चौबे ने कहा कि अधिवक्ता सुरक्षा कानून काफी जरूरी है. अधिवक्ताओं पर समाज के महत्वपूर्ण कार्य का दायित्व रहता है. उन्हें न्याय दिलाने के लिए कई तरह के रास्तों से गुजरना पड़ता है. ऐसे में सुरक्षा कानून के अभाव में अधिवक्ताओं में भय बना रहता है. इसका निदान अधिवक्ता सुरक्षा कानून को लागू करके ही किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि लोकतंत्र के चौथे स्तंभ प्रेस द्वारा इस तरह अधिवक्ताओं के हित से जुड़े विषयों पर पहल करना स्वागतयोग्य कदम है.
Also Read: सूखा राहत राशि लेने के लाइन में गढ़वा के किसान, पर पैक्स संचालक चाहते हैं धान क्रय केंद्र खुलेअधिवक्ताओं के साथ घटित घटना का उल्लेख : उपेंद्र सिंह
वरिष्ठ अधिवक्ता उपेंद्र सिंह ने कहा कि आये दिन अधिवक्ताओं के साथ घटनाए घटित होते रहती है. उन्होंने गढ़वा के अधिवक्ताओं के साथ घटित कई घटनाओं का उल्लेख करते हुए कहा कि इसके कारण अधिवक्ताओं में अपने पेशे को ईमानदारी से करने में भय बना रहता है. ऐसे में अधिवक्ता सुरक्षा कानून लागू करना जरूरी है. उन्होंने सरकार से इस पर अविलंब अमल करने की मांग की.
जो कानून जानता है, वही कानून से डरता है : मृत्युंजय तिवारी
संघ के महासचिव मृत्युंजय तिवारी ने कहा कि जो कानून जानता है और मानता है वही कानून से डरता है. प्रभात खबर का अधिवक्ताओं के हित से जुड़ा यह अभियान काफी प्रासंगिक है. प्रभात खबर को इसके लिए जितना धन्यवाद दिया जाये, वह कम होगा.
कार्यक्रम में इनकी रही उपस्थिति
कार्यक्रम में विषय प्रवेश प्रभात खबर के ब्यूरो चीफ विनोद पाठक तथा संचालन संघ के महासचिव मृत्युंजय कुमार तिवारी ने किया. इस मौके पर अशोक कुमार तिवारी, सौरभ धरदूबे, बृजदेव विश्वकर्मा, बसंत राम, विनोद पाल, अरविंद तिवारी, अवध किशोर चौबे, दीपक कुमार, दिग्विजय तिवारी, विकास कुमार पांडेय, प्रवीण कुमार पांडेय, अमरेंद्र कुमार, श्वेता रौशन, अनिता रंजन, रिमझिम कुमारी, गोरख चौबे, शिव कुमार, विजय पाल, कुमार चितरंजन, राकेश कुमार शुक्ला आदि अधिवक्ता उपस्थित थे. इस कार्यक्रम को सफल बनाने में प्रभात खबर के प्रतिनिधि पीयूष तिवारी एवं हीरा दूबे ने सक्रिय योगदान दिया.
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