आदित्यपुर (सरायकेला-खरसावां), प्रियरंजन : पेयजल की गंभीर समस्या झेल रहे आदित्यपुर के लोगों को इस गर्मी भी 400 करोड़ रुपये की वृहत जलापूर्ति योजना से पानी मिलने की उम्मीद नहीं है. अब भी बड़ी आबादी पाइपलाइन जलापूर्ति से वंचित है. जमीन के कागजात और नियम-कानून के चक्कर में तीन साल की जलापूर्ति योजना चार सालों में भी पूरी नहीं हो पायी है. दिसंबर 2018 में शुरू हुई इस योजना को 36 माह में पूरी करनी थी. बाद में इस योजना को जून 2023 तक का अवधि विस्तार दिया गया. हालांकि, योजना की स्थिति यह है कि इसे पूरा होने में अभी दो साल और लग सकते हैं. योजना के वन भूमि वाले भाग का काम रुका हुआ है, क्योंकि जमीन के कागजात नहीं होने की वजह से वन विभाग से एनओसी नहीं मिल रहा है.
वन विभाग से मांगी गयी है एनओसी
डीएफओ आदित्य नारायण ने बताया कि अंचल कार्यालय से सीतारामपुर के वाटर ट्रिटमेंट प्लांट, औद्योगिक क्षेत्र स्थित रिजर्वायर, सापड़ा की पानी टंकी और दर्जनों किमी पाइपलाइन बिछाने का काम वनभूमि पर होना है. इसके लिए एनओसी मांगी गयी है. जिस जमीन के लिए एनओसी चाहिए, अंचल कार्यालय से उसके कागजात के साथ जमीन का विवरण नहीं मिला है. अंचलाधिकारी मनोज कुमार ने बताया कि कुछ भूखंड के कागजात नहीं मिले हैं. उसका पता लगाया जा रहा है.
चाईबासा में भी ढूंढ़े जा रहे जमीन के कागजात
अंचल कार्यालय और नगर निगम के सूत्र बताते हैं कि जमीन के कागजात की स्थिति की सही जानकारी नहीं मिल पा रही है. एकीकृत सिंहभूम जिला के समय से जमीन के विवरण से संबंधित कागजात चाईबासा में उपलब्ध थे. जलापूर्ति योजना के लिए जब जमीन की आवश्यकता हुई, तो गम्हरिया अंचल कार्यालय में कागजात नहीं मिलने पर इसका पता चाईबासा तक में लगाया जा रहा है, लेकिन वे कागजात नहीं मिल रहे हैं.
वन विभाग कर चुका है कार्रवाई
वन विभाग की नीति का शिकार आदित्यपुर जलापूर्ति योजना हुई है. योजना का काम करवाते समय वन विभाग ने अपनी जमीन पर काम होता देख कार्रवाई की थी. इसमें गम्हरिया में जेसीबी जब्त करते हुए नगर निगम के नगर प्रबंधक अजय कुमार पर केस कर दिया गया था. उन्हें आज भी इसके लिए कोर्ट का चक्कर लगाना पड़ रहा है. उन्हें जमानत तो मिल गयी, लेकिन केस समाप्त करवाना पड़ेगा.
हजारों एकड़ वनभूमि का हो चुका है अतिक्रमण
दूसरी ओर, हजारों एकड़ वन भूमि पर अतिक्रमण हो चुका है. इन पर दर्जनों बस्तियां बस चुकी हैं और हजारों पक्के निर्माण हो चुके हैं, लेकिन विभाग इनके विरुद्ध कार्रवाई करने से बचता है. यह सिर्फ सरकारी काम से वन भूमि को बचाने में लगा रहता है.
390 किमी बिछायी जा चुकी है पाइपलाइन
इस वृहत जलापूर्ति योजना के तहत 480 किमी पाइपलाइन बिछाई जानी थी, जिसमें 390 किमी पाइप बिछायी गयी है. 11 टंकी में मात्र दो टंकी का कार्य करीब-करीब पूरा हुआ है. वर्तमान में आधा कार्य भी पूरा नहीं हो सका है.
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एमबीआर सभी टंकी से जुड़ा रहेगा
योजना के तहत वर्तमान में पुरानी टंकी के पास एक और मास वेलेंसिंग रिजर्वायर (एमबीआर) टंकी बनायी जायेगी. इसका इस्तेमाल आपातकालीन स्थिति में किया जायेगा. इस टंकी की क्षमता करीब तीन लाख लीटर तक होगी. यह टंकी योजना के तहत बनायी गयी 11 टंकी से जुड़ी रहेगी.
टंकी के काम की रफ्तार धीमी
देखा जाये, तो वन विभाग के कारण कई कार्य अभी तक शुरू नहीं हुए हैं, लेकिन वहीं दूसरी जगह कुछ वैसे भी कार्य हैं, जो धीमी गति से चल रहे हैं. यहां कोई विवाद या बाधा नहीं है. एक-दो टंकी का कार्य तो शुरू हुआ था, लेकिन वर्तमान में वह भी बंद पड़ा हुआ है.