Loading election data...

Prabhat Khabar Exclusive: झारखंड के ‘हल्दी’ गांव पहुंची ट्राइफेड की टीम, आर्थिक सेहत सुधारने में जुटे किसान

ट्राइफेड की टीम गुरुवार को झारखंड के 'हल्दी' गांव रायजेमा पहुंची. इस दौरान हल्दी की खेती कर रहे किसानों से बात की. बताया गया कि ‘खरसावां हल्दी’ की मांग देश भर में है. इस बार बंपर उत्पादन हुआ है.

By Prabhat Khabar News Desk | April 7, 2023 4:24 AM

सरायकेला, शचिंद्र कुमार दाश : केंद्रीय जनजातीय मंत्री अर्जुन मुंडा के निर्देश पर मंत्रालय का उपक्रम भारतीय जनजातीय सहकारी विपणन विकास परिसंघ (ट्राइफेड) की एक टीम गुरुवार को खरसावां पहुंची. जनजातीय कार्य मंत्रालय की संयुक्त सचिव सह ट्राइफेड की प्रबंध निदेशक गीतांजलि कुमारी ने बीहड़ गांव रायजेमा में हल्दी की खेती कर रहे किसानों से बात की. किसानों ने बताया कि खरसावां के रायजेमा से कुचाई के गोमियाडीह के पहाड़ी क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर हल्दी का उत्पादन हुआ है. कहा कि रायजेमा की हल्दी को ट्राइफेड बाजार उपलब्ध करायेगा. देशभर में ट्राइब्स इंडिया के सभी आउटलेट पर ‘खरसावां हल्दी’ बिक रही है. इसका बाजार और बढ़ाने पर विचार हो रहा है. गीतांजलि ने बताया कि ‘खरसावां हल्दी’ की मांग देश भर में है. पारंपरिक रूप से हल्दी की खेती कर रहे किसानों की समस्याओं का समाधान किया जायेगा.

Prabhat khabar exclusive: झारखंड के 'हल्दी' गांव पहुंची ट्राइफेड की टीम, आर्थिक सेहत सुधारने में जुटे किसान 5

किसान बोले- मशीन या प्रोसेसिंग यूनिट लगे

हल्दी की खेती कर रहे किसानों ने कहा कि गांव में हल्दी की पिसाई के लिए मशीन या प्रोसेसिंग यूनिट लगाया जाये. इस दौरान ट्राइफेड के क्षेत्रीय प्रबंधक (बिहार-झारखंड) शैलेंद्र कुमार, डिप्टी मैनेजर ओम प्रकाश, खरसावां के सामाजिक कार्यकर्ता दुलाल स्वांसी आदि उपस्थित थे. मालूम हो कि रायजेमा की ऑर्गेनिक हल्दी में सात फीसदी से अधिक करक्यूमिन पाया जाता है, जो इसकी विशेषता है. करक्यूमिन दर्द से आराम दिलाता है. दिल की बीमारियों से सुरक्षित करता है. यह तत्व इंसुलिन लेवल को बनाये रखता है. डायबिटीज की दवाओं के असर को बढ़ाने का काम करता है.

Prabhat khabar exclusive: झारखंड के 'हल्दी' गांव पहुंची ट्राइफेड की टीम, आर्थिक सेहत सुधारने में जुटे किसान 6

ऑर्गेनिक हल्दी से बदलने लगी है रायजेमा की पहचान

जिला मुख्यालय सरायकेला से करीब 32 किमी दूर खरसावां की अंतिम सीमा पर बसा रायजेमा व आसपास के गांवों के लोग हल्दी की खेती कर किस्मत बदलने में जुटे हैं. रायजेमा के साथ कांडेरकुटी, चैतनपुर, रेयाड़दा, गोबरगोंता आदि टोला में करीब 350 परिवार हैं. इनमें अधिकतर लोग ऑर्गेनिक हल्दी की खेती करते हैं. जंगल से घिरे पहाड़ियों की तलहटी पर बसे लोग गांवों को राज्य और केंद्र सरकार का सहयोग मिल रहा है. यहां आजादी से पहले हल्दी की खेती होती है, लेकिन इसे राष्ट्रीय और अंतराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने की पहल अब शुरू हुई है. लोगों का हौसला बढ़ रहा है.

Prabhat khabar exclusive: झारखंड के 'हल्दी' गांव पहुंची ट्राइफेड की टीम, आर्थिक सेहत सुधारने में जुटे किसान 7
Also Read: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के हाथों पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित हुए डॉ जानुम सिंह सोय, इनके बारे में जानें

गांव तक जाने के लिए बनी सड़क

खरसावां से रायजेमा होते हुए रांची के रड़गांव तक दो साल पहले आरसीडी से पक्की सड़क बनी है. अब सड़क से पिच उखड़ने लगी है. इसी सड़क के किनारे 16वें किमी पर रायजेमा गांव है. गांव के पास सोना नदी पर पुल का निर्माण शुरू हो गया है. करीब एक दर्जन से अधिक गांव चारों ओर पहाड़ों से घिरे हैं.

Prabhat khabar exclusive: झारखंड के 'हल्दी' गांव पहुंची ट्राइफेड की टीम, आर्थिक सेहत सुधारने में जुटे किसान 8

गांव में लगे हल्दी प्रोसेसिंग यूनिट

रायजेमा के ग्रामीण चाहते हैं कि गांव में हल्दी प्रोसेसिंग यूनिट लगे. वहीं हल्दी की पिसाई के लिए सरकार छोटी-छोटी मशीन उपलब्ध कराये. गांव के लोग परंपरागत तरीके से हल्दी की प्रोसेसिंग करते हैं. कई किसानों हल्दी की गांठ बेच देते हैं.

गांव से बसों का परिचालन शुरू हो

गांव के लोग चाहते हैं कि इस रूट पर बसों का परिचालन हो. लोेगों को बाजार आने-जाने में परेशानी होती है. हल्दी को बाजार में बेचने पर खर्च बढ़ जाता है. यहां नियमित गाड़ी नहीं चलती है. रास्ता बहुत सुगम नहीं है.

Also Read: सांसद खेल महोत्सव के जरिये ग्रामीण क्षेत्र की प्रतिभाओं को तराशने का प्रयास, बोले केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा

मोबाइल पर बात के लिए पहाड़ पर चढ़ते हैं

रायजेमा व आसपास के गांव में संचार की सुविधा नहीं है. मोबाइल पर बात करने के लिए दो किमी दूर पहाड़ी पर चढ़ना पड़ता है. गांव में मोबाइल टावर लगाया गया है, परंतु शुरू नहीं हो पाया है.

क्या कहते हैं ग्रामीण

रायजेमा की शकुंतला सरदार ने कहा कि गांव के लगभग सभी लोग हल्दी की खेती से जुड़े हैं. रोजगार का एक मात्र आधार हल्दी है. हर गांव में हल्दी प्रोसेसिंग यूनिट लगने से खेती को बढ़ावा मिलेगा. वहीं, गुलामनी सरदार का कहना है कि पहाड़ी क्षेत्र होने के कारण यातायात की व्यवस्था नहीं है. नियमित गाड़ी नहीं चलती है. ग्रामीण बसों का परिचालन शुरू हो, ताकि उनकी हल्दी को बाजार मिल सकेगा. जमुना सरदार का कहना हे कि हमारे पूर्वज भी हल्दी की खेती करते थे. यहां के किसान पारंपरिक रूप से हल्दी की खेती करते हैं. सरकारी स्तर से बढ़ावा मिले, तो ग्रामीणों की आमदनी बढ़ेगी.

Next Article

Exit mobile version