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Prabhat Khabar Special: देश के प्रदूषित शहरों में शुमार झारखंड के दो शहर, लोगों की बढ़ी चिंता

झारखंड का धनबाद और झरिया देश के सबसे प्रदूषित शहरों में शुमार है. ग्रीन पीस इंडिया के रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ. इसके कारण पीएम 10 के कारण होनेवाला प्रदूषण चिंता का सबब बना है. हालांकि, नेशनल एयर क्लीन प्राेग्राम के तहत धनबाद में वायु प्रदूषण के स्तर को कम करने को लेकर चयन किया गया है.

Prabhat Khabar Special: धनबाद में अबतक PM 10 के कारण होने वाला वायु प्रदूषण चिंता का सबब था. लेकिन, शिकागो यूनिवर्सिटी के इस अध्ययन ने पहली बार धनबाद की आबोहवा में पीएम 2.5 के तेजी से बढ़ते स्तर को मानव जीवन के लिए खतरनाक बताया है. इस अध्ययन से पहले 2020 में ग्रीन पीस इंडिया की रिपोर्ट में धनबाद और झरिया को देश का सबसे प्रदूषित शहर बताया गया था. हालांकि, यह रिपोर्ट हवा में मौजूद 10 माइक्रोग्राम तक धूलकणों पर आधारित था. यह धूलकण भारी होने के कारण लंबे समय तक हवा में टीके नहीं रह सकते हैं. भारी होने कारण यह जल्दी जमीन पर आ जाते हैं, लेकिन पीएम 2.5 काफी छोटे और महीन धूलकण होते हैं. यह हवा में लंबे समय तक टीके रह सकते हैं. जिससे यह मानव स्वास्थ्य को काफी नुकसान पहुंचाते हैं. धनबाद में पीएम 2.5 का स्तर वाकई चिंता का सबब है.

करने होंगे उपाय

धनबाद में पीएम 2.5 औसत सांद्रता (Average Concentration) 65.4 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर है. यह WHO द्वारा तय मानक से करीब 13 गुना अधिक है. इस वजह से धनबाद का एक औसत निवासी का औसत जीवन करीब सात साल कम हो जा रहा है. अगर यहां वायु प्रदूषण के स्तर को सामान्य कर दिया जाए, तो यहां औसत निवासी अपना जीवन सात साल बढ़ा लेगा. अगर धनबाद में पीएम 2.5 का स्तर राष्ट्रीय औसत करीब 56.8 माइक्रोग्राम तक भी कम कर लेता है, तो यहां के लोगों का जीवन काल 2.5 वर्ष तक बढ़ जायेगी. रिपोर्ट के अनुसार, 1998 से 2020 के बीच धनबाद में पीएम 2.5 सांद्रता 84 प्रतिशत तक बढ़ गयी है.

बढ़ता प्रदूषण बना कारण

धनबाद में 115 सालों से कोयला खनन हो रहा है. यह देश की कोयला राजधानी है. यह जिला देश के कुल कोयला उत्पादन में 16 प्रतिशत का योगदान करता है. रिपोर्ट में इस खनन उद्योग को ही धनबाद में बढ़ते वायु प्रदूषण के लिए जिम्मेदार ठहराया गया है. इसके साथ ही धनबाद में बड़ी संख्या में कोयला आधारित सहायक उद्योग हैं. यह सब मिलकर वायु प्रदूषण को बढ़ाते हैं. इसके साथ धनबाद का तेजी से शहरीकरण हो रहा है. यहां की शहरी पिछले 25 सालों में 60 प्रतिशत तक बढ़ गयी है. इसके साथ जिवाश्म इंधन से चलने वाले वाहन भी इस दौरान पांच गुणा तक बढ़ गये हैं. वाहनों से होने वाला वायु प्रदूषण सीधे पीएम 2.5 के स्तर को बढ़ाता है.

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नेशनल एयर क्लीन प्रोग्राम के तहत आए उपाय

नेशनल एयर क्लीन प्राेग्राम के तहत धनबाद का चयन किया गया है. इसका मुख्य उद्देश्य धनबाद में वायु प्रदूषण के स्तर को कम करना है. इसके लिए यहां कोयला खनन कर रही कंपनियों को वायु प्रदूषण की निगरानी के लिए स्टेशन बनाया गया है. जिले में BCCL, ECL और Tata Steel द्वारा अपने कोयला खदानों, वाशरी और रेलवे साइडिंग के पास 44 रियल टाइम मॉनीटरिंग स्टेशन लगाये गये हैं. यह स्टेशन वहां मौजूद वायु प्रदूषण की रियल टाइम डाटा हर 15 मिनट पर जारी करते हैं. इसके साथ ही इन जगहों पर हवा में धूलकण को जाने से रोकने के लिए लगातार जल छिड़काव करवाते रहना है. वहीं, शहरी क्षेत्र में धनबाद नगर निगम को भी कई उपाय करने थे. निगम को शहरी क्षेत्र में रियल टाइम मॉनीटरिंग स्टेशन बनाना था, जो अभी तक नहीं किया गया है.

धनबाद में वायु प्रदूषण की वर्तमान स्थिति

धनबाद की एयर क्वालिटी इंडेक्स रियल टाइम रिकार्ड के अनुसार, बुधवार की शाम आठ बजे धनबाद में पीएम 2.5 की सांद्रता 74.6 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर रिकार्ड किया गया है. यह तय मानक से करीब गुणा अधिक है. बुधवार की सुबह 6.30 बजे पीएम 2.5 की सांद्रता 131 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर रिकार्ड किया गया है.

खनन उद्योग है वायु प्रदूषण की बड़ी वजह : प्रो गुरदीप सिंह

इस संबंध में IIT-ISM के इंवायरमेंट इंजीनियरिंग विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो गुरदीप सिंह ने कहा कि धनबाद में वायु प्रदूषण की प्रमुख वजह खनन उद्योग है, लेकिन देश की विकास के लिए इसका अस्तित्व भी जरूरी है. इसलिए उद्योग को नियंत्रित माहौल में चलाया जाना चाहिए. यहां वायु प्रदूषण के लिए सबसे बेहतर उपाय के रूप में अधिक से अधिक संख्या में पेड़ लगाये जाएं. पेड़ भी स्थानीय प्रजाति की होने चाहिए. इन्हें आसानी से उगाया जा सकता है.

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फेफड़ों को सुरक्षित रखने के लिए नियमित रूप से व्यायाम जरूरी : सिविल सर्जन

वहीं, धनबाद के सिविल सर्जन डॉ आलोक विश्वकर्मा ने कहा कि वायु प्रदूषण के कारण लोग विभिन्न बीमारियों से ग्रसित हो रहे हैं. खासकर सांस की बीमारी दमा, ब्रोंकाइटिस, फेफड़ों का कैंसर के अलावा हृदय रोग, निमोनिया, ल्यूकमेनिया, स्ट्रोक सहित दिल की बीमारी लोगों को शिकार बना रही है. वायु प्रदूषण से बचने के लिए नियमित रूप से मास्क का इस्तेमाल करना चाहिए. सुबह स्वच्छ वातावरण में सांस लेने का प्रयास करें. पेड़ों से घिरे जगहों पर सुबह का समय व्यतीत करें. फेफड़ों को सुरक्षित रखने के लिए नियमित रूप से व्यायाम करें.

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