Prabhat Khabar Special : झारखंड का एक ऐसा गांव जहां नहीं रहते कोई ग्रामीण, आबादी है शून्य, जानें कारण
झारखंड का एक ऐसा गांव है जहां की आबादी शून्य है. जनगणना में भी जनसंख्या शून्य दर्शाया गया है. यह गांव सरकारी दस्तावेज में राजस्व ग्राम के रूप में दर्ज है, लेकिन वहां न तो कोई आबादी है और न ही कोई घर. हालांकि, इस गांव के नाम से कोई सरकारी योजना नहीं बनती है.
Prabhat Khabar Special News: झारखंड में एक ऐसा गांव भी है जहां की आबादी शून्य है. सबसे आश्चर्य की बात है कि यह गांव सरकारी दस्तावेज में राजस्व ग्राम के रूप में दर्ज है, लेकिन वहां न तो कोई आबादी है और न ही कोई घर. हम बात करत रहे हैं खूंटी जिला अंतर्गत रनिया प्रखंड की जयपुर पंचायत अंतर्गत बिरहोर चुआं गांव.
इस गांव में बिरहोर आदिम जनजाति समुदाय रहते थे
दरअसल, यहां बिरहोर आदिम जनजाति समुदाय रहते थे. जो घुमंतू हुआ करते थे. दशकों पूर्व बिरहोर चुआं में उनका निवास था. वहां वे एक चुआं का उपयोग पानी पीने और अन्य कामों के लिए करते थे. उन्हीं के नाम पर गांव का नाम बिरहोर चुआं पड़ा. कालांतर में बिरहोर गांव से कहीं चले गये. जिसके बाद वे कभी लौट कर नहीं आये. वे कहां गये और क्यों नहीं लौटे, इस संबंध में कोई कुछ नहीं बता पा रहा है. बिरहोर चुआं गांव में एक आम के पेड़ के नीचे उनका कब्रगाह मौजूद है.
बिरहोर चुआं गांव में कोई सरकारी योजना नहीं बनती
ग्रामीण बताते हैं कि कब्रगाह में मिट्टी के बर्तन में शवों के कंकाल हैं. इसके अलावा किसी भी प्रकार का चिह्न उपलब्ध नहीं है. ग्रामीण भी गांव के संबंध में कुछ नहीं बता पा रहे हैं. वहीं, सरकारी अधिकारी सिर्फ इतना कहते हैं कि बिरहोर चुआं नाम का गांव तो है, पर आबादी नहीं होने के कारण सभी जगह बेचिरागी के रूप में रिपोर्ट भेजा जाता है. गांव के नाम से कोई सरकारी योजना भी नहीं बनती. वहीं, जनगणना में भी जनसंख्या शून्य दर्शाया जाता है.
यहां से बिरहोर समुदाय के लोग कहां गये, किसी को नहीं है जानकारी
जयपुर के ग्राम प्रधान सह पूर्व शिक्षक एरियल कंडुलना ने कहा कि बिरहोर रस्सी और ओखली बनाकर बेचते थे. बंदर पकड़ा करते थे. माना जाता है कि उनका रोजगार नहीं चलने के कारण उन्होंने गांव छोड़ दिया. उन्होंने कहा कि बड़े-बुजुर्ग बताया करते थे कि बिरहोर समुदाय के लोग छपरी बनाकर रहते थे. वे कहां चले गये इसकी किसी को जानकारी नहीं है. प्रमुख नेली डहंगा ने कहा कि बिरहोर चुआं दस्तावेजों में राजस्व गांव के रूप में दर्ज है. बिरहोर समुदाय के पलायन कर जाने के संबंध में किसी को कोई जानकारी नहीं है.
खूंटी जिले में दो बेचिरागी गांव है
2011 के जनगणना के अनुसार, खूंटी जिले में दो बेचिरागी गांव है. एक रनिया प्रखंड के बिरहोर चुआं. जिसकी आबादी शून्य है. क्षेत्रफल 207.75 हेक्टेयर है. इसी प्रकार खूंटी प्रखंड के छोटा बांडी के नाम से एक राजस्व ग्राम है. जहां कोई भी निवास नहीं करता है. छोटा बांडी का क्षेत्रफल 18 हेक्टेयर है.
एक परिवार का गांव
रनिया प्रखंड में ही एक ऐसा गांव है जिसमें सिर्फ एक ही परिवार निवास करता है. गांव का नाम चेंगरे है. जिसका कुल क्षेत्रफल 87 हेक्टेयर है. गांव में एक ही परिवार निवास करता है. जिसमें कुल नौ सदस्य हैं. जिसमें पांच पुरुष और चार महिलाएं हैं.
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