23.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

Prabhat Khabar Special: अतिक्रमण और कूड़े-कचरे ने रोक दी कतरी नदी की धार, हो गया ऐसा हाल

Prabhat Khabar Special: पारसनाथ से निकलकर तोपचांची, राजगंज, कतरास, महुदा होते हुए दामोदर नदी में समा जाती है. कोयलांचल को हरा-भरा कर सब कुछ न्योछावर करने वाली नदी का अस्तित्व खतरे में है. अत्यधिक अतिक्रमण हो गया है.

Prabhat Khabar Special: पारसनाथ की तलहटी से निकलकर दामोदर नदी में समाहित होने वाली कतरी नदी की धार को अतिक्रमण व कूड़े-कचरे ने रोक दी है. कभी यह नदी कलकल करती हुई बहती थी. बताया जाता है कि कतरी के नाम से ही कतरास का नाम पड़ा. आज यह नदी अपनी बदहाली पर आंसू बहा रही है.

कोयलांचल पर न्योछावर है कतरी नदी

पारसनाथ से निकलकर तोपचांची, राजगंज, कतरास, महुदा होते हुए दामोदर नदी में समा जाती है. कोयलांचल को हरा-भरा कर सब कुछ न्योछावर करने वाली नदी का अस्तित्व खतरे में है. अत्यधिक अतिक्रमण हो गया है. जगह-जगह डैम के साथ राजगंज से लेकर गजलीटांड़ तक नदी के बगल में फैक्टरी, कई कोलियरियों का कचरा इसमें मिलता है.

Also Read: Save River: संकट में झारखंड के जलस्रोत, सूख जाती हैं 196 में से 141 नदियों की जलधारा

कतरी में मिलता है कई जोरिया का पानी

नदी के पानी से कई ईंट-भट्ठों का संचालन किया जा रहा है. यही कारण है कि नदी अपने स्वरूप में बह नहीं पा रही है. कतरी नदी में गंगापुर से आने-वाली एक छोटी जोरिया धावाचिता (राजगंज) के पास मिलती है. इसके बाद यह नदी रामकनाली के गुंदलीबेड़ा, कुमारजोर, बागडेगी जोड़ के अलावा अन्य छोटी-छोटी जोरिया का पानी कतरी में मिलता है. धावाचिता से लेकर गजलीटांड़ तक दर्जनों गांव और शहर के लोग इस नदी के पानी पर ही निर्भर हैं.

कोयलांचल की जीवनदायिनी का लोगों ने देखा था रौद्र रूप

कतरास रेलवे कॉलोनी को कांको छपुलवा से ही पानी की सप्लाई होती है. इस नदी के किनारे कतरासगढ़ राजघराना के साथ यहां की मां लिलौरी का मंदिर भी बना है. कोयलांचल की जीवनदायिनी कही जाने वाली इस नदी का रौद्र रूप लोगों ने 26 सितंबर 1995 को देखा था, जब गजलीटांड़ कोलियरी डूबी थी और 64 कोलकर्मी डूब गये थे.

Also Read: Save River: मेदिनीनगर में कोयल के तट पर डंप होता है कचरा, नदी में गिरती है 20 नाले की गंदगी

अतिक्रमण नहीं हटा, तो नहीं बचेगा नदी का अस्तित्व

सामाजिक कार्यकर्ता राजेंद्र प्रसाद राजा कहते हैं कि नदी के अस्तित्व को बचाने के लिए सबसे पहले नदी के किनारे किये गये अतिक्रमण को हटाना होगा. नदी में गाद हो गया है. साफ-सफाई बहुत जरूरी है. इस पर संबंधित विभाग को गंभीरता से सोचना होगा, तभी नदी फिर से अपनी धारा में बह सकेगी.

Also Read: Save River: नदियों के अस्तित्व पर मंडरा रहा खतरा, झारखंड में इस तरह जलस्रोत को नुकसान पहुंचा रहा इंसान

रिपोर्ट- कामदेव सिंह, कतरास

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें