झारखंड सरकार को राज्य के निबंधन कार्यालयों से सालाना 800 से 1000 करोड़ तक की राजस्व की प्राप्ति होती है. पिछले वित्तीय वर्ष में 1200 करोड़ के लक्ष्य के विरुद्ध 987 करोड़ की वसूली की गयी. इस तरह जमीन और फ्लैट की रजिस्ट्री से बड़ी आय सरकार को होती है, पर जिन लोगों से सरकार को आय मिलती है, उन्हीं लोगों के लिए रजिस्ट्री कार्यालयों में कोई प्रबंध नहीं है. न तो ठीक से उनके बैठने की व्यवस्था है और न ही शौच की. बड़ी संख्या में महिलाएं और वृद्ध भी रजिस्ट्री के लिए पहुंचते हैं, पर उन्हें रजिस्ट्री के लिए अपनी पारी के इंतजार में घंटों रुकना पड़ता है. यहां तक कि विवाह रजिस्ट्रेशन के लिए कई लोग परिवार संग पहुंचते हैं. बैठने के नाम पर केवल लाइन से ढलाई वाले बेंच लगा दिये जाते हैं. कहीं-कहीं तो यह भी व्यवस्था नहीं है. शौच की व्यवस्था तक नहीं है. कर्मी पूछने पर बताते हैं कि शौचालय है, पर उसमें अक्सर ताला लगा होता है. पेयजल या अन्य सुविधाएं तो बिल्कुल नदारद हैं. यहां तक कि राजधानी रांची के कार्यालयों की भी स्थिति खराब है. यह स्थिति तब है, जबकि ऑनलाइन व्यवस्था और हाइटेक ऑफिस की बात कही जा रही है. प्रभात खबर ने राज्य के अलग-अलग जिलों के रजिस्ट्री कार्यालय का हाल लिया. इसके आधार पर स्थिति बयां की जा रही है.
बुनियादी सुविधाओं का अभाव, साफ पानी भी नहीं है उपलब्ध
राजधानी रांची के जिला निबंधन कार्यालय में बुनियादी सुविधाएं तक नहीं है. यहां से सरकार को करोड़ों रुपये का राजस्व मिल रहा है, पर आनेवालों को खड़ा रहना पड़ता है. छोटी सी जगह में कुछ कुर्सियां लगा दी गयी हैं. लेकिन ये कम पड़ जाती हैं. ऐसे में लोग जहां-तहां घंटों खड़े रहते हैं और अपनी बारी आने का इंतजार करते हैं. उनके लिए पीने का स्वच्छ पानी भी उपलब्ध नहीं है. सबसे खराब स्थिति महिला-पुरुष कर्मचारियों की भी है. उनके लिए शौचालय तक नहीं बनाया गया है. महिलाओं को काफी परेशानी होती है. यहां पार्किंग तक की सुविधा नहीं है.
रांची के हिनू स्थित रजिस्ट्री कार्यालय में आये दिन लोगों परेशानी हो रही है. लोगों को निबंधन या विवाह रजिस्ट्रेशन के लिए घंटों इंतजार करना पड़ता है. रजिस्ट्री कार्यालय में शौचालय है, लेकिन वहां ताला लटका रहता है. यहां की कर्मी ने बताया कि लोगों द्वारा गंदा कर दिये जाने के कारण ताला लगाया गया है. यहां पेयजल तक की सुविधा नहीं है. रजिस्ट्री कार्यालय आनेवाले लोगों के लिए पार्किंग की भी व्यवस्था नहीं है. लोग सड़क पर ही वाहन लगाकर रजिस्ट्री कार्यालय चले जाते हैं. जिससे जाम की स्थिति भी हो जाती है.
करोड़ का राजस्व देनेवाले गिरिडीह निबंधन कार्यालय में पानी व शौचालय तक का प्रबंध नहीं है. परिसर में शौचालय है, पर बंद पड़ा है. जहां-तहां बाइक लगाकर जमीन खरीद- बिक्री करने वाले खड़े रहते हैं. जिले में चार-चार निबंधन कार्यालय हैं. 31.85 करोड़ रुपये का राजस्व देने वाले इन निबंधन कार्यालयों में बुनियादी सुविधाएं तक आगंतुकों को नहीं मिलती हैं. सबसे बदतर स्थिति जिला मुख्यालय में स्थित गिरिडीह निबंधन कार्यालय की है. यहां गांडेय, बेंगाबाद और गिरिडीह की जमीन की खरीद-बिक्री होती है.
Also Read: देवघर पुस्तक मेला 2023: आजादी के संघर्ष और भारत के आर्थिक व सामाजिक मुद्दों को खूब पसंद कर रहे पुस्तक प्रेमीरामगढ़ में जिला निबंधन कार्यालय का अपना भवन नहीं है. मांडू स्थित समाहरणालय परिसर के एक कमरे में यह चल रहा है. यहां से करीब 14 से 15 करोड़ सालाना राजस्व मिलता है. यहां जमीन निबंधन व अन्य कार्य कराने के लिए आनेवालों के लिए कोई सुविधा उपलब्ध नहीं है. निबंधन कराने आये लोग अपनी बारी के इंतजार में इधर-उधर भटकते रहते हैं. हाल में खिड़की के बाहर छोटा सा शेड बना दिया गया है. जिसमें लोग गर्मियों व बरसात के दिनों में खड़े होकर अपनी बारी का इंतजार करते हैं.
हजारीबाग निबंधन कार्यालय जीर्ण-शीर्ण भवन में चल रहा है. जून 2022 में जिला निबंधन कार्यालय की छत का एक हिस्सा टूट कर गिर गया. आठ महीने बाद भी इसे पूरा नहीं किया गया है. हजारीबाग निबंधन कार्यालय से एक दिन में जमीन एवं फ्लैट की रजिस्ट्री से सरकार को लगभग 23 लाख रुपये की आय होती है. यहां बैठने, पानी और शौचालय जैसी मूलभूत सुविधाएं नदारद हैं. जिला निबंधन कार्यालय ब्रिटिश सरकार के समय बना है. इधर, छत गिरने के बाद पुराने समाहरणालय कार्यालय भवन में रजिस्ट्री कार्य चालू रखा गया है. यहां भी सुविधाओं का घोर अभाव है. जिला अवर निबंधन पदाधिकारी राम कुमार मद्धेशिया ने कहा कि आठ महीने से अपना कार्यालय भवन नहीं है. इससे आवेदकों को असुविधा है. कार्यालय कर्मियों को काफी परेशानी हो रही है. कार्यालय कर्मी जहां-तहां जैसे-तैसे बैठकर काम का निपटारा करने को मजबूर है.
धनबाद रजिस्ट्री कार्यालय ने वित्तीय वर्ष 2022 से 10 जनवरी 2023 तक 84.03 करोड़ का राजस्व प्राप्त किया. 12671 डीड की हुई रजिस्ट्री हुई. इसमें 1146 फ्लैट और 11525 जमीन की डीड की रजिस्ट्री हुई. यहां क्रेता व विक्रेता के लिए बैठने के लिए एक हॉल है, जिसमें दर्जनों चेयर लगे हैं. लेकिन एक शौचालय है और उसमें ताला जड़ा है. पानी पीने की व्यवस्था नहीं है. पार्किंग की व्यवस्था नहीं है. चारो तरफ गंदगी है.
Also Read: Photos: बेरमो से निकलकर मुंबई में सिद्धार्थ सेन ने दिखाया अपना हुनर, कई फिल्मों का कर चुके हैं निर्देशनमेदिनीनगर जिले के निबंधन कार्यालय से सरकार को सालाना करीब 30 करोड़ राजस्व की प्राप्ति होती है. लेकिन आगंतुकों के लिए शौचालय की उचित व्यवस्था नहीं है. वित्तीय वर्ष 21-22 में कुल 30 करोड़ यहां से मिले थे. बैठने के नाम पर अंदर में सिर्फ बेंच बना हुआ. केवल 10 लोगों के बैठने की व्यवस्था है, जबकि यहां पर सैकड़ों लोग प्रतिदिन आते-जाते हैं. इस कार्यालय में पानी पीने की व्यवस्था भी नहीं है. लोग दूरदराज पांकी, तरहसी, मनातू, विश्रामपुर, छतरपुर, पाटन, लेस्लीगंज, रामगढ़ आदि से यहां रजिस्ट्री कराने आते हैं.