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Prabhat Khabar Special: लातेहार की कौशल्या देवी पॉल्ट्री फार्म और खेती से हर महीने कमा रही 50 हजार रुपये

लातेहार की कौशल्या देवी आज खुद आत्मनिर्भर बनी और अन्य ग्रामीण महिलाओं को आत्मनिर्भर बनने के गुर सीखा रही है. कौशल्या का यह बदलाव सखी मंडल से जुड़कर हुआ है. पॉल्ट्री फार्म और खेती-बारी से जुड़कर हर महीने 50 हजार रुपये की आमदनी कर रही है.

Prabhat Khabar Special: लातेहार जिले के मनिका प्रखंड अंतर्गत एक गांव है जान्हो. इस गांव की कौशल्या देवी आज आत्मनिर्भर है और दूसरी महिलाओं को भी स्वावलंबी बनने का गुर सीखा रही है. कौशल्या ने JSLPS द्वारा संचालित सखी मंडल की स्वयं सहायता समूह से जुड़कर अपनी जिदंगी में महत्वपूर्ण बदलाव लाया है.

कौशल्या की हर महीने हो रही 50 हजार रुपये की कमायी

कौशल्या देवी कभी अपने पति के साथ खेती और मजदूरी कर किसी तरह आजीविका चला रही थी. लेकिन, पति को लकवाग्रस्त होने के बाद घर और बच्चों की सारी जिम्मेवारी उनके ऊपर आ गयी. इस मुश्किल घडी में सखी मंडल का सहयोग मिला और अपने मजबूत इरादे और मेहनत की बदौलत कौशल्या चूजा पालन, मदर यूनिट संचालन और खेती से महीने में 50,000 रुपये की कमाई कर रही है.

सपना आजीविका स्वयं सहायता समूह से जुड़ी कौशल्या

कौशल्या ने बताया कि वो शुरू से ही खेती-बारी करती थी, पर सिंचाई की समुचित व्यवस्था और उन्नत तकनीक से खेती की जानकारी के अभाव में इससे घर में खाने के लिए भी उपज नहीं हो पाता था. खेती के साथ ही घर की जरूरतों को पूरा करने वह अपने पति के साथ मजदूरी करने भी जाया करती थी. लेकिन, इसमें भी काम की कोई गारंटी नहीं होती थी. कभी काम मिला और कभी नहीं. इसी बीच वह सपना आजीविका स्वयं सहायता समूह से जुड़ी और इससे होने वाले फायदों को जाना. इसके बाद कौशल्या ने समूह से 10,000 रुपये ऋण लेकर सबसे पहले सिंचाई के लिए मोटर पंप खरीद लिया और बड़े पैमाने पर खेती करने लगी.

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जैविक खाद और मचान खेती से मिला नया आयाम

उन्होंने कहा कि समूह के जरिए ही उन्हें जैविक खेती के बारे में जानकारी हासिल हुई. इसमें दिलचस्पी लेते हुए उन्होंने जैविक खाद बनाने और इसके उपयोग की ट्रेनिंग लेकर जैविक खेती शुरू किया. इससे उन्हें अच्छा मुनाफा हो रहा है. साथ ही उन्होंने मचान की खेती भी शुरू जिसमें उन्होंने कद्दू, करेला, नेनुवा आदि सब्जी लगाया और मात्र सिर्फ कद्दू से ही 3000 रुपये की पूंजी में 10 से 15 हजार रुपये की कमाई किया. मचान खेती में कम पूंजी में ज्यादा मुनाफा के साथ-साथ समय और मजदूरी की भी बचत होती है और उपज सही होने से दाम भी सही मिलता है. कौशल्या आज आजीविका कृषक मित्र के रूप में कार्य कर अपने गांव की महिलाओं को भी जैविक खेती की ट्रेनिंग देकर महिलाओं को आगे बढ़ने में सहयोग कर रही है.

जोहार परियोजना से जुड़कर मुर्गी पालन और लेमन ग्रास की कर रही खेती

कौशल्या देवी जोहार परियोजना से जुड़कर जान्हो उत्पादक समूह की सदस्य बनी. इसके बाद मदर यूनिट प्रशिक्षण में भाग लेने का मौका मिला जहां उन्हें मुर्गी पालन के साथ-साथ मदर यूनिट संचालन के बारे में विस्तार में जानकारी दिया गया. प्रशिक्षण लेने के बाद उन्होंने एक खुद का मदर यूनिट स्थापित करने का निर्णय लिया. इसके लिए उन्होंने समूह से  ऋण लेकर मदर यूनिट की स्थापना कर चूजा पालन शुरू कर दिया. पहले चरण में ही उन्हें अच्छा मुनाफा हुआ. इससे उत्साहित होकर वो लगातर इसमें कड़ी मेहनत कर अच्छी आमदनी कर रही है. इसके अलावा पहली बार उन्होंने एक एकड़ जमीन में लेमन ग्रास भी लगाया है जिसकी फसल अच्छी हुई है और इससे भी अच्छी आमदनी होने की उम्मीद है.

घर की आर्थिक स्थिति में हुआ सुधार

अपनी मेहनत और सफलता पाकर भावुक हुई कौशल्या कहती हैं कि साल 2020 के कोरोना काल में जब कहीं काम नहीं मिला रहा था, तभी पति को लकवा भी हो गया. तब मुझे लगा अब मैं कुछ नहीं कर पाऊंगी, लेकिन समूह के लगतार सहयोग और मार्गदर्शन से आज खेती और पोल्ट्री से महीने में करीब 50,000 की आमदनी कर रही हूं. इससे घर की
आर्थिक स्थिति सुधरने के बाद आज बच्चों को अच्छे प्राइवेट स्कूल में पढ़ा रही है. साथ ही पति का भी सही इलाज करवा रही है. कहती है कि समूह और जोहार परियोजना से जुड़कर प्रशिक्षण से काफी हौसला और मदद मिला है. इस बार लेमन ग्रास की खेती भी शुरू की है जिससे बेहतर आमदनी की उम्मीद है.

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