Special Story: BCCL में 50 वर्षों में 78 % घटा मैन पावर बावजूद उत्पादन में 103 % की हुई बढ़ोतरी
कोल इंडिया की अनुषंगी कंपनी BCCL, इस साल (वर्ष 2022 में) अपनी स्थापना के 50साल पूरे होने का उत्सव मना रही है. बीसीसीएल की स्थापना कोकिंग कोल की 214 खदानों को चलाने के लिए जनवरी 1972 में की गई थी, जो मुख्यतः रानीगंज और झरिया कोयला क्षेत्र में थीं. 16 अक्तूबर 1971 को कोयला खदानों का राष्ट्रीयकरण हुआ.
मनोहर कुमार, धनबाद
Prabhat Khabar Special: कोल इंडिया की अनुषंगी कंपनी बीसीसीएल, इस साल (वर्ष 2022 में) अपनी स्थापना के 50साल पूरे होने का उत्सव मना रही है. बीसीसीएल की स्थापना कोकिंग कोल की 214 खदानों को चलाने के लिए जनवरी 1972 में की गई थी, जो मुख्यतः रानीगंज और झरिया कोयला क्षेत्र में थीं. 16 अक्तूबर 1971 को कोयला खदानों का राष्ट्रीयकरण हुआ़ बाद में रानीगंज की खदानों को इसीएल से जोड़ दिया गया. बीसीसीएल ने अपनी विरासत को यादगार बनाने के लिए पूरे साल कई कार्यक्रम आयोजित करने का निर्णय लिया है. 50 वर्षों के इस सफर में कंपनी कामैनपावर घटने के बावजूद उत्पादन में बढ़ोतरी हुई है.
50 साल में 103 फीसदी की हुई बढ़ोत्तरी
अपने स्थापना काल के समय बीसीसीएल का मैनपावर करीब 1.72 लाख हुआ करता था. तब कंपनी का उत्पादन 14-15 मिलियन टन था. वर्तमान में यहां मैनपावर घट कर 38,618 रह गया है. जबकि उत्पादन 30.51 मिलियन टन तक पहुंच गया है. यानी स्थापना के 50 वर्षों में बीसीसीएल का मैनपावर करीब 78 % घट गया है, जबकि कोयला उत्पादन में 103 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. बीसीसीएल के आंकड़ों पर गौर करें तो वित्तीय वर्ष 1974-75 में कंपनी का कुल उत्पादन 17.74 मिलियन टन था. इनमें 16.64 मिलियन टन अंडर ग्राउंड माइंस से और 2.10 मिलियन टन ओपेनकास्ट माइंस से था. वहीं वित्तीय वर्ष 2021-22 में बीसीसीएल ने कुल 30.51 मिलियन टन कोयला उत्पादन किया है. इसमें 0.81 मिलियन टन अंडरग्राउंड माइंस व 29.71 मिलियन टन ओपेनकास्ट माइंस से उत्पादन हुआ है. मैनपावर घटने के साथ ही अंडरग्राउंड माइंस से कोयला उत्पानद में भी कमी है. स्थापना काल की तुलना में अंडरग्राउंड माइंस से मात्र 5.17 प्रतिशत ही कोयला उत्पादन हो रहा है.
उत्पादन के आंकड़े
वित्त वर्ष अंडर ग्राउंड ओसीपी कुल उत्पादन
74-75 15.64 2.10 17.74
84-85 13.34 8.50 21.84
94-95 11.49 17.26 28.75
2004-05 6.38 15.94 22.32
2014-15 2.03 32.48 34.51
2021-22 0.81 29.71 30.51
( नोट : आंकड़ा मिलियन टन में )
पहले चरण में कोकिंग कोल माइंस का हुआ राष्ट्रीयकरण
देश में स्टील इंडस्ट्री की बढ़ती जरूरतों के बीच झरिया कोलफील्ड्स में कोकिंग कोल रिजर्व का व्यवस्थित तरीके से खनन होने लगा था. बढ़ती ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए प्राइवेट कोयला खान मालिकों को पर्याप्त पूंजी निवेश की जरूरत थी. कुछ निजी खदानों में अवैज्ञानिक तरीके से खनन होने और मजदूरों की खराब दशा ने इस ओर सरकार का ध्यान खींचा और केंद्र सरकार ने कोयला खदानों के राष्ट्रीयकरण का फैसला लिया. अक्तूबर, 1971 में कोकिंग कोल माइंस (इमर्जेसी प्रोविजंस) एक्ट, 1971 के तहत कोकिंग कोल माइंस का नागरिक हित में राष्ट्रीयकरण किया गया. इसके बाद कोकिंग कोल माइंस (नेशनलाइजेशन) एक्ट, 1972 के तहत एक मई, 1972 को टाटा आयरन एंड स्टील कंपनी लिमिटेड और इंडियन आयरन एंड स्टील कंपनी लिमिटेड के दायरे में आनेवाली खदानों को छोड़ कर अन्य सभी खदानों का राष्ट्रीयकरण किया गया. इन सभी को भारत सरकार के नये उपक्रम भारत कोकिंग कोल लिमिटेड (बीसीसीएल) के अधीन कर दिया गया.