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आज संगम पर पवित्र स्नान करेंगे भक्त
पौष पूर्णिमा के अवसर पर भक्त संगम, यमुना, गंगा और पौराणिक सरस्वती के संगम पर पवित्र स्नान करेंगे. माघ मेला के पूरे महीने के दौरान तीर्थयात्री संगम के तट पर रहते हैं और सुबह जल्दी स्नान करते हैं और अन्य धार्मिक कर्तव्यों में भाग लेते हैं
मकर संक्रांति पर होता है पुण्य काल का विशेष महत्व
मकर संक्रांति पर पुण्य काल का विशेष महत्व होता है. मान्यता है कि पुण्य काल में पूजा और दान करने से मकर संक्रांति का पूर्ण लाभ मिलता है. मकर संक्रांति आज भगवान सूर्य सुबह 8 बजकर 20 मिनट पर धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करेंगे. पंचांग के अनुसार मकर संक्रांति का पुण्यकाल सूर्यास्त तक बना रहेगा.
इस दिन क्यों बनाई जाती है खिचड़ी
मान्यता है कि खिलजी के आक्रमण के दौरान नाथ योगियों के पास खाने के लिए कुछ नहीं था. तब बाबा गोरखनाथ ने दाल, चावल और हरी सब्जियों को एक साथ पकाने की सलाह दी थी. इस दिन से खिचड़ी खाने और बनाने का रिवाज चला आ रहा है. खिचड़ी को पौष्टिक आहार के रूप में भी ग्रहण किया जाता है.
इस बार पंडाल लगाने की अनुमति नहीं
इस बार माघ मेला में पंडाल लगाने की अनुमति नहीं है. सिर्फ आश्रमों या कल्पवास के लिए पंडाल लगाया गया है.
सूर्यदेव को इस सामग्री से करें पूजा
सूर्यदेव को जल, लाल फूल, लाल वस्त्र, गेहूं, गुड़, अक्षत, सुपारी और दक्षिणा अर्पित की जाती है. पूजा के उपरांत लोग अपनी इच्छा से दान-दक्षिणा करते हैं. वहीं, इस दिन खिचड़ी का दान करना भी विशेष महत्व रखता है.
37 साल बाद इस योग में स्नान करेंगे श्रद्धालु
दान-पुण्य और स्नान का पर्व मकर संक्रांति है. इस बार मकर संक्राति पर पंचग्रही योग बना है. ज्योतिष के अनुसार यह योग 37 साल बाद बना है. श्रद्धालु 37 साल बाद इस योग में पुण्य की डुबकी लगाएंगे. आज श्रद्धालु घाट किनारे स्नान कर पूजा-अर्चना, अंजलि से ही सूर्य को अर्घ्य देंगे. इसके बाद गंगापुत्र घाटियों के यहां तिलक-चंदन लगवाएंगे और यथाशक्ति दान-दक्षिणा देंगे. वहीं, खिचड़ी के साथ ही पूछ पकड़कर गोदान भी करेंगे.
आपके राज्य में किस नाम से मनाया जाता है मकर संक्रांति
हरियाणा, पंजाब व दिल्ली के कुछ स्थानों में लोहड़ी,
उत्तराखंड में उत्तरायणी,
गुजरात में उत्तरायण,
केरल में पोंगल,
गढ़वाल में खिचड़ी संक्रांति
झारखंड, बिहार, बंगाल में मकर संक्रांति के नाम से प्रसिद्ध है यह त्योहार
आज न भूलें ये काम
मकर संक्रांति का पुण्यकाल सुबह 7 बजकर 24 मिनट से शुरू हो चुका है. यह मुहूर्त सूर्यास्त तक बना रहेगा. ऐसे में इस बीच स्नान से लेकर पूजा-पाठ तक का निपटा ले काम और आज दान करना न भूलें. कहा जाता है कि इसका विशेष महत्व है. इससे बरकत होती है.
मकर संक्रांति पर आज कोलकाता के हुगली नदी में भक्त पवित्र डुबकी लगा कर पूजा-पाठ कर रहे है...
Kolkata: Devotees perform rituals and take holy dip in Hoogly river on the occasion of Makar Sankranti today. #WestBengal pic.twitter.com/CYnhQzn1zH
— ANI (@ANI) January 14, 2021
संक्रमित नहीं होने की रिपोर्ट के साथ ही मिलेगी एंट्री
माघ मेले में केवल उन्हीं लोगों को एंट्री मिलेगी, जिनके पास कोविड-19 से संक्रमित नहीं होने की पुष्टि करने वाली रिपोर्ट होगी.
माघ मेले में स्नान का विशेष महत्व
माघ मेले में स्नान के लिए कुछ विशेष नियम बताए जाते हैं. मान्यता है कि माघ में मलमास पड़ जाए तो मासोपवास चंद्रायण आदि व्रत मलमास में ही समाप्त करना चाहिए और स्नान-दान आदि द्विमास के पूरा होने तक चलता रहता है. ऐसे ही नियम कुंभ के स्नान के समय भी होते हैं. पौष शुक्ल एकादशी से, पूर्णमासी से या अमावस्या से माघ स्नान प्रारंभ किया जाता है. माना जाता है कि प्रयाग में माघ मास में 3 बार स्नान करने से जो फल मिलता है, वो पृथ्वी पर 10 हजार अश्वमेघ यज्ञ करने से भी प्राप्त नहीं होता है.
महापुण्य काल का शुभ मुहूर्त
आज मकर संक्रांति है. इस दिन सूर्य देव सुबह 8 बजकर 30 मिनट यानी साढ़े 8 बजे धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करेंगे. इसी के साथ मकर संक्रांति की शुरुआत हो जाएगी. आज सुबह से लेकर शाम 5 बजकर 46 मिनट तक रहेगा पुण्य काल का समय रहेगा. हालांकि, महापुण्य काल प्रात: काल में ही रहेगा. माना जाता है कि पुण्य काल में स्नान-दान करने से अक्षय फल की प्राप्ति होती है.
जानें कहां किस नाम से मनाया जाता है मकर संक्रांति
मकर संक्रांति को पंजाब में लोहड़ी , उत्तराखंड में उत्तरायणी, गुजरात में उत्तरायण, केरल में पोंगल, गढ़वाल में खिचड़ी संक्रांति के नाम से मनाया जाता है.
आज स्नान दान के लिए शुभ समय
आज मकर संक्रांति हैं. इस दिन स्नान दान का विशेष महत्व है. आज स्नान दान के लिए पुण्यकाल सुबह 7 बजकर 24 मिनट से शुरू हो जाएगा, जो सूर्यास्त तक रहेगा.
आज माघ मेला का है पहला स्नान
माघ मेले का पहला स्नान पर्व मकर संक्रांति गुरुवार को है. इस दिन ग्रहों के राजा सूर्य दोपहर 2 बजकर 37 मिनट पर शनि की राशि मकर में प्रवेश करेंगे. इसी के साथ देवताओं का प्रभातकाल उत्तरायण शुरू हो जाएगा. संक्रांति पर स्नान दान का पुण्यकाल सुबह 7 बजकर 24 मिनट से शुरू हो जाएगा, जो सूर्यास्त तक रहेगा.
मकर संक्रांति स्नान और दान का मुहूर्त
सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने के साथ ही एक माह से चल रहे खरमास (Kharmas 2021) समाप्त हो जाएंगे और विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश, सगाई जैसे मांगलिक कार्य शुरू हो जाएंगे. मकर संक्रांति (Makar Sankranti) पर पवित्र नदी में स्नान और दान का विशेष महत्व है. इस दिन दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है.
मकर संक्रांति का ये है महत्व
देवी संक्रांति का वस्त्र गदा होगा और ये सोने के बर्तन नें अन्न खाते हुए आएंगी. मंद नामक देवी संक्रांति का वार मुख उत्तर की और जबकि इनकी दृष्टि उत्तर से ईशान की तरफ होगी. ये दक्षिण दिशा की तरफ गमन करेंगी.
ये है मेला की सुरक्षा व्यवस्था
पुलिस अधीक्षक क्राइम आशुतोष मिश्रा ने बताया कि 5 सेक्टरों में विभाजित माघ मेले में श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए 5 हजार से अधिक पुलिसकर्मी तैनात किए गए हैं. पूरे माघ मेला क्षेत्र में 100 से ज्यादा CCTV कैमरे लगाए गए हैं। वॉच टावर बनाए गए हैं.
संक्रांति अपने बाल अवस्था में है
2021 में मकर संक्रांति मंद देवी के रूप में आ रही है. इनकी शवारी शेर है और ये बैठी हुई अवस्था में आएंगी. इनका उपवाहन हाथी होगा. इस साल की संक्रांति अपने बाल अवस्था में हैं. इन्होंने सफेद वस्त्र धारण किए हैं और कस्तूरी का इत्र लगा रखा है. इनके हाथ में नाग केसर का फूल है.
कर संक्रांति को नए वर्ष के तौर पर भी मनाया जाता है
मकर संक्रांति से सर्दियां खत्म होने लगती हैं और वसंत ऋतु की शुरूआत होती है. कुल मिलाकर कहें तो साल भर में होने वाला ऋतु परिवर्तन संक्रांतियों के आधार पर होता है. कई जगहों पर मकर संक्रांति को नए वर्ष के तौर पर भी मनाया जाता है.
बिना कल्पवासी सूना-सूना सा लग रहा मेला
माघ मेला में कल्पवासियों का आना 26-27 जनवरी से शुरू होगा. उनका कल्पवास 28 जनवरी से शुरू होगा.इसलिए मकर संक्रांति के स्नान पर्व पर बहुत कम कल्पवासी ही यहां आए हैं.
पौष पूर्णिमा के अवसर पर होगा पवित्र स्नान
पौष पूर्णिमा के अवसर पर भक्त संगम, यमुना, गंगा और पौराणिक सरस्वती के संगम पर पवित्र स्नान करेंगे. माघ मेला के पूरे महीने के दौरान तीर्थयात्री संगम के तट पर रहते हैं और सुबह जल्दी स्नान करते हैं और अन्य धार्मिक कर्तव्यों में भाग लेते हैं.
कोरोना संक्रमण न फैलने के भी इंतजाम
आने वाले श्रद्धालुओं के लिए प्रयागराज जंक्शन पर आश्रय स्थलों में सुविधाओं का ख्याल रखा जाएगा. रेलवे के अधिकारियों का कहना है कि कोरोना काल में संक्रमण न फैले, इसके लिए विशेष इंतजाम किए जा रहे हैं.
खास है माध मेले का स्नान
प्रयागराज माघ मेले का पहला मुख्य स्नान 14 जनवरी को है. समूची दुनिया में सिर्फ प्रयागराज में ही एक महीने का कल्पवास होता है, जहां रहकर लोग अपने लिए मोक्ष यानी जीवन मरण के बंधन से मुक्ति की कामना करते हैं.