Eid 2022: ईद पर नमाज अदा कर अमन और शांति की मांगी दुआ, गोरखपुर की मस्जिदों में उमड़ी भीड़
एक माह के रमजान के पाक महीने के बाद आज ईद की नमाज अलग-अलग मस्जिदों में अलग-अलग समय पर पढ़ी जा रही है. हजरत मुबारक खां शहीद की ईदगाह पर सुबह 8 बजे से नमाज पढ़ी गई. इस दौरान मुस्लिम भाइयों के साथ बच्चों ने भी अल्लाह का शुक्र अदा किया और अमन और शांति की दुआ मांगी.
Gorakhpur News: गोरखपुर के नॉर्मल रोड के पास स्थित हजरत मुबारक खां शहीद की दरगाह पर ईद के मौके पर मुस्लिम भाई नमाज अदा करने के लिए जुटे हैं. एक माह के रमजान के पाक महीने के बाद आज ईद की नमाज अलग-अलग मस्जिदों में अलग-अलग समय पर पढ़ी जा रही है. हजरत मुबारक खां शहीद की ईदगाह पर सुबह 8 बजे से नमाज पढ़ी गई. इस दौरान मुस्लिम भाइयों के साथ बच्चों ने भी अल्लाह का शुक्र अदा किया और अमन और शांति की दुआ मांगी.
बच्चे खिलौने खरीदते भी नजर आएईदगाह पर नमाजियों की भीड़ साफ नजर आई. पूरा ईदगाह नमाजियों से भरा रहा. ईदगाह के अंदर से लेकर ईदगाह के बाहर भी लोगों ने नमाज अदा की. नमाज के बाद मुस्लिम भाईयों के साथ छोटे बच्चों ने भी एक-दूसरे से गले मिलकर ईद की मुबारकबाद दी. नमाज अदा करने के बाद सभी अपने घर जाकर सेवईयां खिलाकर एक-दूसरे को ईद की मुबारकबाद देंगे. ईदगाह के सामने नमाज के बाद बच्चे खिलौने खरीदते भी नजर आए. नमाज के बाद ईद की खुशियां बच्चों के चेहरे पर साफ झलकती नजर आई.
इस अवसर पर नमाजी अनवर हुसैन ने कहा कि रमजान के पाक माह के पूरा होने के बाद अल्लाह ईद का दिन खुशियों के साथ हमें तोहफे में देता है. सभी हिन्दू-मुस्लिम भाई ईद के मुबारक मौके पर एक-दूसरे के साथ मिलकर खुशियां बांटते हैं. हजरत मुबारक खां शहीद ईदगाह को कालजयी रचनाकार मुंशी प्रेमचंद की वजह से भी पूरी दुनिया में जाना जाता है. उन्होंने कहा कि इसी ईदगाह पर उन्होंने कालजयी रचना ‘ईदगाह’ को लिखा है. जो कहानी पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है.
दूर-दूर से लोग यहां पर जियारत करने लिए आते हैंआफताब अहमद ने कहा कि पूरे देश में ईद मिलजुलकर मनाया जा रहा है. आज सभी धर्म के लोग मिलकर ईद 30 रोजा रहने के बाद मना रहे हैं. सभी जाति-धर्म के लोग एक-दूसरे को सेवइयां खिलाकर खुशियां मनाते हैं. मुबारक खां शहीद की ईदगाह पर लोग नमाज अदा करने के लिए आते हैं. एक-दूसरे को गले मिलकर बधाईयां भी देते हैं. मुंशी प्रेमचंद की वजह से भी ये ईदगाह दुनिया में जानी जाती है. ‘ईदगाह’ कहानी भी उन्होंने इसी को ध्यान में रखकर लिखी थी. दूर-दूर से लोग यहां पर जियारत करने लिए आते हैं.
सेवई खिलाकर मुबाकरबाद देंगेजमशेद अली ने कहा कि भाईचारा का पर्व है. उन लोगों ने जियारत की है. सभी दोस्तों और रिश्तेदारों के साथ ईद की खुशियां मनानी है. एक-दूसरे को सेवई खिलाकर मुबाकरबाद देंगे. शमशाद अहमद मुबारक खां शहीद ईदगाह पर नमाज पढ़ने के लिए आए हैं. वे दुआ किए हैं. उनकी दुआ कुबूल होगी, ऐसी उम्मीद है. देश-दुनिया को वे इस मुबारक मौके पर अमन का संदेश देना चाहते हैं. वे कहते हैं कि सभी लोग मिल-जुलकर रहें. यही वे चाहते हैं. सेंट जोसेफ खोराबार में 7वीं क्लास में पढ़ने वाले अली ने पहला रोजा इस बार रखा. वे अपने भाई आरिफ के साथ मुबारक खां शहीद ईदगाह पर नमाज पढ़ने के लिए आए हैं. वे कहते हैं कि ईद के मुबारक मौके पर वे काफी खुश है. वे यहां पर नमाज अदा करने लिए आए हैं. घर जाकर वे ईद की खुशियां मनाएंगे. एक-दूसरे को ईद पर सेवइयां खिलाकर अमन का पैगाम देंगे. आरिफ भी भाई के साथ नमाज पढ़ने के लिए आए हैं. वे कक्षा 3 में पढ़ते हैं. वे बहुत खुश है. वे आज सेवई और छोला खाएंगे. उन्होंने अल्लाहताला से दुआ मांगी है.
रिपोर्ट : कुमार प्रदीप