ममता वाहन या एंबुलेंस के लिए कराहती रही गर्भवती महिला, नहीं मिला वाहन, 3 KM तक खाट पर ढोकर लाये ग्रामीण

jharkhand news: झारखंड में स्वास्थ्य व्यवस्था का हाल. गर्भवती महिला प्रसव पीड़ा से कराहती रही, लेकिन ना तो ममता वाहन मिला और ना ही एंबुलेंस. मामला है हजारीबाग के पुरनपनियां गांव का. थक-हारकर ग्रामीणों ने पहाड़ और पगडंडियों के सहारे 3 किमी का रास्ता तय किया.

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 3, 2022 9:13 PM

Jharkhand news: हजारीबाग जिले के इचाक प्रखंड अंतर्गत पुरनपनियां गांव में एक गर्भवती महिला को ममता वाहन नसीब नहीं हुई. निराश ग्रामीणों ने गर्भवती महिला को खाट पर लिटाकर पहाड़ के रास्ते 3 KM का सफर तय किया. इसके बाद अस्पताल ले जाने के दौरान प्राइवेट वाहन में ही महिला ने बच्चे को जन्म दिया.

क्या है मामला

हजारीबाग जिला अंतर्गत डाडीघाघर पंचायत स्थित पुरनपनियां गांव के उमेश हांसदा की गर्भवती पत्नी गुड़िया देवी को प्रसव दर्द हुआ. पति समेत अन्य ग्रामीणों ने ममता वाहन या एम्बुलेंस को कई बार फोन किया, लेकिन काफी देर तक वाहन के नहीं आने दर्द बढ़ने पर ग्रामीणों ने गर्भवती का खाट पर लिटाकर तीन किलोमीटर पहाड़ी पगडंडी के रास्ते फुफंदी गांव के जंगल तक पहुंचे. इस दौरान सहिया मुन्नी देवी भी मौजूद थी उसने ममता वाहन के लिए कॉल सेंटर, हजारीबाग एवं एंबुलेंस के लिए कई बार फोन किया. कॉल सेंटर से ममता वाहन भेजने की बात भी कही गयी, लेकिन वाहन नहीं आया.

वाहन के इंतजार में परिजन जंगल मे करीब ढाई घंटे तक रुके रहे. इस बीच महिला प्रसव पीड़ा से कराहती रही, लेकिन ममता वाहन या एंबुलेंस नहीं पहुंचा. बाध्य होकर सहिया मुन्नी देवी ने शाम 5 बजे फुफंदी गांव के प्राइवेट वाहन के मालिक से संपर्क किया. इसी दौरान गर्भवती महिला को प्राइवेट वाहन से अस्पताल ले जाया जा रहा था, लेकिन बीच रास्ते में ही गर्भवती महिला ने एक बच्चे को जन्म दिया. इसके बाद जच्चा-बच्चा को उसी हालत में शाम साढ़े छह बजे इचाक के सामुदायिक अस्पताल लाया गया.

Also Read: 3 वर्षीय अयांश की आंखें अब किसी और की दुनिया को करेगी रोशन, परिजनों ने नेत्रदान कर पेश की मिसाल
प्रभारी चिकित्सक के अपने तर्क

इस संबंध में प्रभारी चिकिसक डॉ ओमप्रकाश ने बताया कि डाडीघाघर पंचायत में ममता वाहन नहीं है. सुविधानुसार दूसरे पचायत के ममता वाहन उपयोग में लाया जाता है. गांव जाने के लिए सड़क नहीं है. इसलिए ग्रामीण अपने सुविधानुसार पहाड़ी रास्ते से होकर मरीज को अस्पताल लाते हैं.

रिपोर्ट : रामशरण शर्मा, इचाक, हजारीबाग.

Next Article

Exit mobile version