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ओडिशा : करगिल युद्ध के नायकों को राष्ट्रपति ने दी श्रद्धांजलि, न्यायिक प्रक्रिया में तेजी का किया आह्वान

राष्ट्रपति ने उड़ीसा उच्च न्यायालय की स्थापना के 75 वर्ष होने के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में अपने समापन संबोधन में कहा कि इससे जुड़े लोगों को न्यायिक प्रक्रिया में तेजी लाने की दिशा में काम करना चहिए तथा देश के समक्ष उदाहरण पेश करना चाहिए.

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने करगिल विजय दिवस के मौके पर करगिल युद्ध के नायकों को बुधवार को यहां श्रद्धांजलि अर्पित की. द्रौपदी मुर्मू राज्य के तीन दिवसीय दौरे पर हैं और उन्होंने वर्ष 1999 के करगिल युद्ध के दौरान देश के लिए अपने प्राण न्योछावर करने वाले शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करने के साथ ही ओडिशा के पद्मपाणि आचार्य की युद्ध के दौरान की शौर्य गाथा को याद किया. आचार्य को मरणोपरांत महावीर चक्र से सम्मानित किया गया था.

राष्ट्रपति ने उड़ीसा उच्च न्यायालय की स्थापना के 75 वर्ष होने के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में अपने समापन संबोधन में कहा कि इससे जुड़े लोगों को न्यायिक प्रक्रिया में तेजी लाने की दिशा में काम करना चहिए तथा देश के समक्ष उदाहरण पेश करना चाहिए.

उन्होंने कहा, ‘आज करगिल विजय दिवस के मौके पर सभी देशवासी हमारे सशस्त्र बलों के अभूतपूर्व पराक्रम से मिली विजय को याद कर रहे हैं. देश की रक्षा के लिए अपने जीवन का बलिदान कर विजय का मार्ग प्रशस्त करने वाले सेनानियों को एक कृतज्ञ राष्ट्र की ओर से मैं श्रद्धांजलि देती हूं. उनकी शौर्य गाथाएं आने वाली पीढ़ियों को सदैव प्रेरित करती रहेंगी.’

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राष्ट्रपति ने सभी संबद्ध लोगों से मामूली आरोपों में जेल में बंद मासूम लोगों को आजाद कराने की दिशा में तेजी से काम करने का आह्वान किया. उन्होंने मशहूर कहावत ‘विलंब से मिला न्याय, न्याय नहीं कहलाता’ का जिक्र करते हुए कहा कि देर से न्याय मिलने के कारण बहुत से लोग जीवन के अहम वर्ष खो देते हैं. पीड़ित भी अपने जीवनकाल में दोषी को दंड पाते देखने की उम्मीद खो देते हैं.

राष्ट्रपति ने कहा, ‘यह विषय मेरे दिल के काफी करीब है और मैं पहले भी कई मौकों पर इसका जिक्र कर चुकी हूं.’ राष्ट्रपति ने न्याय देने की प्रणाली में नाकामियों के बारे में अदालत की कानूनी बिरादरी को आगाह किया. साथ ही न्यायाधीशों को उनके मूलभूत कर्तव्यों को पूरा करने को कहा.

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