क्या पश्चिम बंगाल में राष्ट्रपति शासन लगाने की तैयारी चल रही है ? दरअसल ऐसा दावा तृणमूल कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता के द्वारा किया गया है. बंगाल में सत्तारुढ़ दल टीएमसी के नेता की ओर से कहा गया है कि केंद्र की सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले पश्चिम बंगाल में राष्ट्रपति शासन लगाने की योजना पर काम कर रहा है. इकोनॉमिक्स टाइम्स को दिये एक इंटरव्यू में राज्यसभा सांसद और टीएमसी के राष्ट्रीय प्रवक्ता सुखेंदु शेखर रॉय ने इस बात का दावा किया है. उन्होंने कहा है कि अपने इस उद्देश्य को सफल बनाने के लिए भाजपा ने एक चौतरफा रणनीति तैयार की है.
इंटरव्यू में टीएमसी सांसद ने कई मुद्दों पर बात की. उनके अनुसार भाजपा उत्तर बंगाल को राज्य के बाकी हिस्सों से अलग करने का प्रयास कर रही है. भाजपा अक्सर पश्चिम बंगाल की कानून पर चिंता व्यक्त करने, सीबीआई और अन्य एजेंसियों का उपयोग के साथ-साथ राज्यपाल को “केंद्र और भाजपा पार्टी के एजेंट” के रूप में उपयोग करने की योजना के साथ आगे बढ़ रही है.
टीएमसी सांसद सुखेंदु शेखर रॉय यहीं नहीं रूके…उन्होंने आगे इंटरव्यू के दौरान कहा कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के हालिया पश्चिम बंगाल के दौरे पर ध्यान दिया जाए तो उन्होंने यात्रा के दौरान अपनी रैली के लिए उत्तर बंगाल को केंद्र बनाया. केंद्र की मोदी सरकार देश को भीतर से विभाजित करने और राज्य के बाकी हिस्सों से उत्तर बंगाल को काटने का प्रयास कर रही है. ऐसा इसलिए क्योंकि वे जानते हैं कि ऐसा किये बिना वे जीतने में सक्षम नहीं हैं. यदि ऐसा नहीं है तो पार्टी के विधायक केंद्रीय गृह मंत्री की मौजूदगी में अलग उत्तर बंगाल का मुद्दा मंच से कैसे उठाते ?
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टीएमसी सांसद सुखेंदु शेखर रॉय ने आगे कहा कि आपने अकसर देखा होगा कि बंगाल में कानून-व्यवस्था की स्थिति के बारे में लगातार सवाल उठाया जाता है. ये उनकी योजना का का दूसरा पार्ट है. ये लोग लगातार कानून-व्यवस्था की स्थिति पर चिंता प्रकट करते नजर आते हैं. पिछले दिनों भाजपा युवा विंग के नेता अर्जुन चौरसिया की मृत्यु के बाद गृह मंत्री मौके पर पहुंच गये. सीबीआई जांच की मांग की. आखिर ऐसा क्यों ? चुनाव के बाद की हिंसा का मुद्दा बार-बार उठाया जाना क्या दर्शाता है. भाजपा ने दाखिल बोगटुई गांवों में रामपुरहाट हिंसा, हंसखली सामूहिक बलात्कार और हर दूसरी घटना में जनहित याचिकाएं दाखिल करने का काम किया. रॉय की ओर से दावा किया गया कि इन सभी घटनाओं में ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली बंगाल सरकार ने त्वरित कार्रवाई करके न्याय देने का काम किया.