कोलकाता : पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता के दो जिलों में सातवें और आठवें चरण में मतदान होना है. 26 अप्रैल को सातवें चरण की वोटिंग में कोलकाता दक्षिण की 4 और आठवें चरण में 29 अप्रैल को कोलकाता उत्तर की 7 विधानसभा सीटों पर मतदान होगा.
सातवें चरण में 26 अप्रैल को कोलकाता की चार सबसे हाई-प्रोफाइल विधानसभा सीटों पर मतदान होना है. इनमें भवानीपुर, रासबिहारी, बालीगंज व कोलकाता पोर्ट शामिल हैं. इन चारों सीटों पर ही इस वक्त तृणमूल कांग्रेस का कब्जा है. इन चार सीटों से जीते विधायकों में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और तीन मंत्री शामिल हैं.
उत्तर व दक्षिण कोलकाता तृणमूल कांग्रेस के सबसे मजबूत गढ़ हैं. इस बार के विधानसभा चुनाव में तृणमूल को यहां कड़ी चुनौती मिल रही है. तृणमूल के गढ़ में सेंध लगाने की कोशिश में जुटी भाजपा ने इन सीटों पर कब्जा जमाने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक दी है. इसलिए तृणमूल के हेवीवेट नेताओं की प्रतिष्ठा दांव पर है.
भवानीपुर विधानसभा क्षेत्र में ममता बनर्जी का आवास भी है. यह मुख्यमंत्री व तृणमूल कांग्रेस की परंपरागत सीट भी है. हालांकि, इस बार ममता बनर्जी भवानीपुर की बजाय नंदीग्राम से चुनाव लड़ रही हैं. बावजूद इसके, ममता की साख यहां दांव पर है.
यहां से अगर पार्टी नहीं जीत पायी, तो इससे तृणमूल की छवि धूमिल होगी. ममता ने भवानीपुर सीट से लगातार चार बार के विधायक रहे बिजली मंत्री शोभनदेव चट्टापोध्याय को उतारा है. वहीं, भाजपा ने प्रसिद्ध बांग्ला अभिनेता रुद्रनील घोष से टिकट दिया है. रुद्रनील पहले तृणमूल में थे और चुनाव से पहले भाजपा में शामिल हो गये.
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रासबिहारी विधानसभा सीट की बात करें, तो वर्ष 2001 से ही यहां तृणमूल का कब्जा है. इस सीट से लगातार चार बार से जीतते आ रहे कद्दावर नेता शोभनदेव चट्टापोध्याय को पार्टी ने इस बार भवानीपुर सीट से उतारा है और उनकी जगह रासबिहारी से कोलकाता नगर निगम के पूर्व मेयर परिषद सदस्य देवाशीष कुमार को प्रत्याशी बनाया है. भाजपा ने यहां से पूर्व लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) सुब्रत साहा को टिकट दिया है.
बालीगंज विधानसभा सीट वर्ष 2006 से तृणमूल के कब्जे में है. यहां से लगातार दो बार विधायक चुने गये तृणमूल के कद्दावर नेता व मंत्री सुब्रत मुखर्जी इस बार जीत के लिए पसीना बहा रहे हैं. उन्हें यहां भाजपा व माकपा से कड़ी चुनौती मिल रही है. भाजपा से एडवोकेट लोकनाथ चटर्जी और माकपा से कोलकाता के प्रसिद्ध वकील डॉ फुवाद हलीम मैदान में हैं.
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कोलकाता पोर्ट सीट की बात करें, तो यहां वर्ष 2011 से तृणमूल का कब्जा है. 2011 में राज्य में सत्ता परिवर्तन के बाद से ही शहरी विकास व नगरपालिका मंत्री का दायित्व संभाल रहे फिरहाद हकीम यहां से लगातार दो बार से जीतते आ रहे हैं. इस बार फिरहाद ही राह भी आसान नहीं है.
भाजपा से अवध किशोर गुप्ता, जबकि कांग्रेस के मोहम्मद मुख्तार से उन्हें चुनौती मिल रही है. मुस्लिम वोट बंटने पर भाजपा को यहां फायदा हो सकता है. इस बीच, गत दिनों उनका एक विवादित वीडियो वायरल हुआ था, जिसका नुकसान हकीम को झेलना पड़ सकता है.
Posted By : Mithilesh Jha