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AI मिशन पर सरकार का जोर, पीएम मोदी ने कही यह बात

पीएम ने कहा कि एआइ 21वीं सदी में विकास का सबसे बड़ा जरिया बन सकती है, पर यह 21वीं सदी का विनाश करने की भी समान रूप से ताकत रखती है. डीपफेक, साइबर सुरक्षा व डेटा चोरी की चुनौती के अलावा एआइ उपकरणों का आतंकियों के हाथों में पड़ना एक बड़ा खतरा है. हमें इस ओर ध्यान देने की जरूरत है.

By Rajeev Kumar | December 15, 2023 1:37 AM

मुख्य बातें –

कृत्रिम मेधा में स्वास्थ्य सेवा सहित क्षेत्रों को बदलने की क्षमता

एआइ के नैतिक उपयोग के लिए वैश्विक ढांचा बनाने की जरूरत

टिकाऊ विकास में कृत्रिम मेधा की होगी बड़ी भूमिका

एआइ की दिशा मानवीय और लोकतांत्रिक मूल्यों पर होगी निर्भर

PM Modi & Artificial Intelligence : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने (Prime Minister Narendra Modi) भारत को कृत्रिम मेधा (एआइ) के जिम्मेदार व नैतिक उपयोग के लिए प्रतिबद्ध बताते हुए कहा कि यह तकनीक भारत के प्रौद्योगिकी परिदृश्य में आमूल-चूल बदलाव की क्षमता रखती है. इसे ध्यान में रखते हुए सरकार जल्द ही एआइ मिशन शुरू करेगी.

एआइ के नैतिक उपयोग के लिए एक वैश्विक ढांचा बनाने की जरूरत

एआइ पर वैश्विक साझेदारी शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने ये बातें कहीं. उन्होंने एआइ पर आधारित उपकरणों के आतंकियों के हाथ में पड़ने के खतरे को लेकर आगाह किया और सुझाव दिया कि एआइ के नैतिक उपयोग के लिए एक वैश्विक ढांचा बनाने की जरूरत है.

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चुनौतियों को लेकर भी चेताया

उन्होंने कहा कि एआइ 21वीं सदी में विकास का सबसे बड़ा जरिया बन सकती है, पर यह 21वीं सदी का विनाश करने की भी समान रूप से ताकत रखती है. डीपफेक, साइबर सुरक्षा व डेटा चोरी की चुनौती के अलावा एआइ उपकरणों का आतंकियों के हाथों में पड़ना एक बड़ा खतरा है. हमें इस ओर ध्यान देने की जरूरत है.

शिखर सम्मेलन में बोले पीएम मोदी

एआइ के नैतिक उपयोग के लिए वैश्विक ढांचा बनाने की जरूरत

कृत्रिम मेधा में स्वास्थ्य सेवा सहित क्षेत्रों को बदलने की क्षमता

टिकाऊ विकास में कृत्रिम मेधा की होगी बड़ी भूमिका

एआइ की दिशा मानवीय और लोकतांत्रिक मूल्यों पर होगी निर्भर

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सामाजिक और समावेशी विकास के लिए होगा एआइ का उपयोग

प्रधानमंत्री मोदी ने एआइ को सुरक्षित व विश्वसनीय बनाने का आह्वान करते हुए कहा कि चर्चा एआइ से निकलने वाली जानकारी को विश्वसनीय बनाने के तरीके पर होनी चाहिए. एआइ को सर्व-समावेशी बनाने पर ही इसके अधिक समावेशी परिणाम मिलेंगे. एआइ सिर्फ नयी तकनीक नहीं है, बल्कि एक विश्वव्यापी आंदोलन है. सरकार सामाजिक और समावेशी विकास के लिए एआई की पूरी क्षमता का इस्तेमाल करने की कोशिश करेगी.

विकास और विनाश का बड़ा जरिया बन सकती है तकनीक

पीएम मोदी ने कहा कि एआइ 21वीं सदी में विकास का सबसे बड़ा जरिया बन सकती है, पर यह 21वीं सदी का विनाश करने की भी समान रूप से ताकत रखती है. डीपफेक, साइबर सुरक्षा व डेटा चोरी की चुनौती के अलावा एआइ उपकरणों का आतंकियों के हाथों में पड़ना एक बड़ा खतरा है. इस ओर ध्यान देना जरूरी है.

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