ग्लोबल सेंसेशन प्रियंका चोपड़ा जोनास इन-दिनों अपनी सीरीज सिटाडेल को लेकर खूब सुर्खियां बटोर रही हैं. रूसो ब्रदर्स निर्मित यह इंटरनेशनल सीरीज आगामी 28 अप्रैल को ओटीटी प्लेटफार्म अमेजॉन प्राइम वीडियो पर दस्तक देगी. इस सीरीज से जुड़े अनुभव, चुनौतियों सहित कई पहलुओं पर उर्मिला कोरी के साथ हुई बातचीत के प्रमुख अंश…
सिटाडेल एक एक्शन शो है, कितना मुश्किल इससे जुड़ी पूरी जर्नी थी?
सिटाडेल सीरीज बहुत चुनौतीपूर्ण थी. शारीरिक, मानसिक और इमोशनल सभी तरह से थी. रूसो ब्रदर्स ने मुझे इसका चेहरा बनाया इसकी मुझे बहुत्व खुशी है. हमने इसे डेढ़ साल तक शूट किया है और फिल्म की शूटिंग 60 से 90 दिनों में पूरी हो जाती है, लेकिन यह टीवी शो है और इसके छह एपिसोड्स है. हमने इसे एक भव्य फिल्म की तरह शूट किया. डांस करते हुए आपको थोड़ा वार्म अप की जरूरत होती है. एक्शन दृश्यों में आपको परफॉर्म करने के लिए हमेशा तैयार रहना पड़ता है. मैंने बॉलीवुड की फिल्मों से लेकर पश्चिम के शो क़्वान्टिको में एक्शन किया है, तो एक तरह से मैं उस तरह के दृश्यों को करने में थोड़ी सहज रहती हूं. इसके बाद मैं ऐसा कुछ करना चाहती हूं, जो मुझे डरा सके. मुझे चुनौतियां पसंद है. हर किसी तरह शुरुआत में मैं भी डरती हूं, लेकिन फिर जब मैं उस डर को जीत लेती हूं, तो मुझे बहुत खुशी मिलती है.
सिटाडेल की तुलना बांड सीरीज से हो रही है,इस पर आपकी क्या राय है?
(हंसते हुए) मैं हमेशा से जेम्स बांड बनना चाहती थी, तो यह वही है. वैसे कितनी सारी स्पाई यूनिवर्स की फ़िल्में रही हैं. टॉम क्रूज की मिशन इम्पॉसिबल भी उसी तरह की थी. हम इंसान के तौर पर जासूस, जासूसी घटनाएं, इंटेलिजेंस, झूठ और धोखा सभी को पसंद है, इसलिए वो दुनिया सभी को हमेशा लुभाती है. जिनको तुलना करना है, वो कर सकते हैं, लेकिन सिटाडेल बहुत हद तक काफी अलग शो है, क्योंकि यह ग्लोबल है. अब तक मैंने जितनी भी फिल्मों की बात की है, वो अलग-अलग देशों में बेस्ड थी, लेकिन सिटाडेल में पूरी दुनिया अपने इंटेलिजेंस को शेयर कर रही है. तो यह किसी एक देश के इंटेलिजेंस की कहानी नहीं है. सिटाडेल हर देश के हिस्से में है. जिस वजह से हम कहानी को कह सकते हैं. इसके अलावा इस सीरीज की एक खासियत ये भी है कि यह एक किरदार की कहानी नहीं है. सिर्फ जासूसी की कहानियां है, यह रिश्तों की भी कहानियां है.
आप इंटरनेशनल स्टार बन चुकी हैं, आप क्या भारतीय कंटेंट देखती हैं ?
मैं हर तरह का कंटेंट देखती हूं. मैं राजकुमार राव की बहुत बड़ी हूं. उनकी कोई फिल्म ओटीटी पर देखती हूं, तो मैं रुक जाती हूं और मैं वह ज़रूर देखती हूं. मेरा पूरा परिवार भारतीय कंटेंट देखता है. भारतीय सिनेमा ने बहुत पड़ाव क्रॉस किया है. हम बहुत इंटरनेशनल हो चुके हैं. हमारी इंडस्ट्री हमारी फिल्मों के बारे में वेस्ट बहुत जानता है. बहुत जानकारी रखता है. हां जब मैंने काम करना शुरू किया था, उस वक़्त हम गिनकर साउथ एशियन चार-पांच थे. अब मैं जब पार्टी में जाती हूं, तो मुझे अच्छी खासी तादाद साउथ एशियन की दिखती है. अभी हाल ही में मैंने प्री ऑस्कर पार्टी नाईट होस्ट करना शुरू किया है. जो मुख्य तौर पर नॉमिनी और साउथ एशियाई टैलेंट के लिए है. मैं आपको बता नहीं सकती हूं कि मेरी आँख में आंसू आ गए थे. मैं इतने सारे साउथ एशियन एक्टर्स और फिल्ममेकर्स से मिली. जो हॉलीवुड में सालों से काम कर रहे हैं. जो छोटे-छोटे रोल कर रहे हैं. काम ढूंढने की कोशिश कर रहे हैं और अब हम एक दूसरे को देख रहे थे. एक सौ, दो सौ तीन सौ लोग एक साथ आकर कहा कि हम यहां हैं और हमारे लिए जगह है. हर चीज़ के लिए समय लगता है, क्योंकि मैंने काफी मशक्क्त वहां जाकर देखी है. बहुत बड़ी जिम्मेदारी थी. वहां पर जगह बनाना. मैं मेंटरशिप में बहुत यकीन करती हूं. युवा लेखक हो या एक्टर्स हों, तो मैं उन्हें सपोर्ट करना चाहती हूं. मैंने प्रोडक्शन हाउस शुरू किया है. जहां मैं कंटेंट बनाने वाली हूं. अमेज़न के साथ भी मेरी डील है. मैं अपने लोगों के साथ-साथ अपनी कहानी को मौका देना चाहती हूं. साउथ एशियाई कहानी को उस लेवल पर प्रस्तुत करना है. कोई ये सोचकर हमारा कंटेंट ना देखें कि इंडियन कहानी चलो है आज इसे देखते हैं, बल्कि यह सोचकर देखें कि अच्छी कहानी है, इसे देखना ही चाहिए. मैं ये भी कहूंगी कि मैंने शुरुआत तो कर दी है, लेकिन इसमें वक़्त लगेगा.
क्या महिलाओं के लिए भी खास तौर पर कुछ करना चाहती हैं?
मैं सिस्टरहुड में बहुत यकीन करती हूं. जब लड़कियां सफल होती हैं, तो मुझे बहुत अच्छा लगता है. यह मुझे आज भी बहुत प्रेरित करता है, क्योंकि मैं छोटे शहर से आती हूं. मैं वहां की बहुत सी ऐसी लड़कियों को जानती हूं, जिनके बहुत से सपने थे, जो मुझसे ज़्यादा प्रतिभाशाली थी. मुझसे ज़्यादा सुंदर, लेकिन उनके परिवार ने उनपर भरोसा नहीं किया और उन्हें वो मौका नहीं दिया. जो मेरे घरवालों ने मुझे दिया. मुझे लगता है कि जो औरत सफल हुई है. उसकी जिम्मेदारी बनती है कि वह दूसरी महिलाओं के लिए हाथ बढाकर उसे आगे बढ़ाए. मैंने अपने प्रोडक्शन हाउस के बारे में बताया. उसमें मैं कई महिला निर्देशक और राइटर्स मेरी टीम का हिस्सा हैं. मैं अमेरिका और दूसरी जगहों पर ऐसे पार्टनर्स को भी ढूंढ रही हूं , जो भारतीय टैलेंट को आगे बढ़ने में मेरी मदद करें. मैं हर दिन उन महिलाओं के लिए कुछ ना कुछ काम करना चाहूंगी , जिनके पास कुछ नहीं हूं.
बदलते वक़्त के साथ आपके सपने और ख्वाहिश किस तरह से बदली है ?
मैंने 17 साल की छोटी उम्र से शुरुआत की थी , उस वक़्त लगता था कि क्या इस एक्टर के साथ फिल्म कर पाउंगी. उस वक़्त फिल्म में एक गाना मिलना भी बड़ी बात थी. आपके शुरुआत में सपने यही होते हैं. वक़्त के साथ वो बड़े बनते चले जाते हैं. मेरा अब सपना बहुत बड़ा हो गया है. भारतीय टैलेंट पूरी दुनिया में किस तरह से देखें जाते हैं. मैं उस नज़रिये को अब बदलना चाहती हूं. मैं बहुत बड़े पैमाने पर साउथ एशिया की कहानी को आगे ले जाना चाहती हूं. मैं चाहती हूं कि भारतीय एक्टर्स इंटरनेशनल प्रोजेक्ट्स में लीड रोल करें. अब मैं हमेशा बड़े ही सपने देखती हूं. मेरे पैर हमेशा चादर से बाहर ही होते हैं. मुझे लगता है कि अगर आप बहुत बड़ा कुछ करने का लक्ष्य रखते हैं और अगर आप गिरते भी हैं, तो आप एक अच्छे मुकाम पर ही होते हैं.
हिंदी फिल्मों के बाद वर्ल्ड सिनेमा, संघर्ष और नाकामयाबी से किस तरह से आप डील करती है ?
संघर्ष ने मुझे मजबूत बनाया है. आप अपने फैसलों से बनते हैं. सब फेल होते हैं. आपकी फिल्में नहीं चल रही है. कोई आपको काम नहीं दे रहा है और ये सोचकर आप बैठ गए, तो आप हार गए. आपका अगला स्टेप क्या होगा वही आपको खास बनता है.
आपने विदेश में वो मुकाम बनाया है , जो अब तक कोई भी एक्टर नहीं बना पाया है, यह बात आपको कितना खास महसूस करवाती है?
ऐसा आपने कहा, मैंने नहीं. कोई मेरे शब्दों को गलत प्रस्तुत करे. इससे पहले मैं कहूंगी कि आपने कहा कि मैं अकेली ऐसी अभिनेत्री हूं , जिसने विश्व मंच पर अपनी इस तरह से पहचान बनायी है, लेकिन मुझे नहीं लगता कि मैंने वेस्ट में बहुत बड़ा कुछ किया है. अगर आप हिंदी फिल्मों में मेरे काम की तुलना करें , तो जिस तरह के मैंने अलग-अलग किरदार हिंदी सिनेमा में किये हैं या फिर जिन निर्देशकों और एक्टर्स के साथ मैंने काम किया है. वो सब इस एंटरटेनमेंट बिजनेस में बेस्ट थे. वे टॉप पर थे, जबकि वेस्ट में मुझे अभी भी ऐसे लोगों के साथ काम करने का मौका नहीं मिला है, जो बिजनेस में बेस्ट हैं. मैं वेस्ट में भी वैसा ही काम करना चाहती हूं. उम्मीद है कि आनेवाला एक दशक में मैं ऐसा कुछ खास काम खास लोगों के साथ करूं. आप लोगों ने मेरा बेस्ट काम देखा है , लेकिन दुनिया के कई दर्शक मुझसे अभी जुड़े हैं, मुझे लगता है कि वो भी मेरी क्षमता देख पाएं कि मैं अलग-अलग तरह के किरदार करती हूं.
अक्सर ये बातें सुनने को मिलती हैं कि भारतीय कंटेंट पश्चिम की तरह नहीं है, यहां बहुत ज़्यादा ड्रामा है?
हम कल्चर के तौर पर ही अलग हैं, तो हमारी फ़िल्में भी वैसी ही होंगी. हम कितनी ज़ोर से बातें करते हैं. हमारा म्यूजिक कितना लाउड होता है. हमारा खाना भी कितना स्पाइसी खाते हैं. हमारा कल्चर वैसा है, तो हमारी फ़िल्में भी वैसी ही होंगी. हम तो थिएटर में भी डांस करते हैं. कभी आपने हॉलीवुड में ऐसा देखा है. वैसे मुझे अपने कल्चर से प्यार है. जिस तरह की हम फिल्में बना रहे हैं. जो हमारी फिल्मों की टेक्निक और वीएफएक्स है, वो कितनी बड़ी बन गयी है, लोग हॉलीवुड से तुलना करते हैं. मुझे नहीं लगता है कि हमें बदलने की जरूरत है.
बेटी मालती के आने के बाद क्या बदलाव आया है?
बहुत बदलाव आया है. मुझे समय कम लगता है और वह बदल भी गए हैं. जब कोई ब्रेक होता है तो मैं सीधे घर जाती हूं, मैं हर दिन काम नहीं करती हूं. वीकेंड पर मैं घर पर समय बिताना पसंद करती हूं, प्राथमिकताएं बदल गई हैं. मैंने अपने काम को धीमा कर दिया है. सिटाडेल को पूरा करने के बाद एक साल की छुट्टी ले ली थी, ताकि मैं उसके साथ समय बिता सकूं और उसकी देखभाल कर सकूं. वह उस उम्र में है जहां उसे स्वस्थ रखना बेहद जरूरी है और जब हम साथ में ट्रैवल करते हैं, तो थोड़ी दिक्कत होती है. भारत में नहीं होती है, क्योंकि वह मेरी मां के यहां रहती है और दोनों हाथों से पनीर खा रही है तो कभी कोई फल. वैसे मालती के आने के पांच साल पहले से ही मेरी प्राथमिकताएं बदल गयी थी. जिस तरह से मैं इधर-उधर दौड़ती थी, मैंने उस गति को कम कर दिया थी क्योंकि आपके पैरों के नीचे एक ठोस जमीन थी और मुझे इधर-उधर भागना नहीं है. मैं आभारी हूं कि मेरी नींव बहुत मजबूत है. जिससे कैरियर के साथ परिवार को भी समय दिया.
अक्सर महिलाओं की कैट फाइट की बात होती है, लेकिन पुरुष भी कई बार महिलाओं की सफलता से असुरक्षित महसूस करते हैं? आपकी इस पर क्या राय है?
हां ये हकीकत है. मैं अपने जीवन में ऐसे पुरुषों से मिला हूं, जो मेरी सफलता से असुरक्षित नहीं हैं. मैं ऐसे पुरुषों से भी मिली हूं जो बहुत असुरक्षित हैं. मुझे लगता है कि पुरुषों ने परिवार का मुखिया होने के नाते ब्रेड विनर होने की स्वतंत्रता और गर्व का आनंद लिया है. जब कोई महिला ऐसा करती है या अविश्वसनीय रूप से सफल होती है तो यह उनके क्षेत्र के लिए खतरा वह मानने लगते है. एक पुरुष घर पर है और उसकी पत्नी काम पर जाती है. उसे बुरा लगेगा लेकिन हमें अपने बेटों को सिखाना होगा कि आंसुओं में कोई शर्म नहीं होती. अपनी बहन या मां या प्रेमिका के साथ काम, महत्व और सफलता को साझा करने में कोई शर्म नहीं है. वे उन्हें स्पॉटलाइट दें. मेरे पिता ने यही किया था.आज जब मैं अपने पति के साथ रेड कार्पेट पर चलती हूं और वह एक तरफ हट जाते हैं और मुझे सेंटर स्टेज देते हैं तो मुझे बहुत गर्व महसूस होता है.