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VC पर हमले के बाद गोरखपुर विश्वविद्यालय में प्रॉक्टोरियल बोर्ड का प्रारूप बदला, डिप्टी प्रॉक्टर के पद सृजित

चार डिप्टी प्रॉक्टर का पद सृजित किया गया है. सभी डिप्टी प्रॉक्टरो की अलग-अलग जिम्मेदारी दी गई है. गोरखपुर विश्वविद्यालय की प्रशासनिक भवन में कुलपति कार्यालय में एबीवीपी छात्रों और अन्य छात्रों द्वारा कुलपति व कुलसचिव हमला किया गया .

गोरखपुर. दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय प्रशासन ने कुलपति कार्यालय में कुलपति व कुलसचिव पर हमले की घटना के बाद प्रॉक्टोरियल बोर्ड में बदलाव कर दिया गया है. अब चीफ प्रॉक्टर और सहायक डॉक्टर के साथ चार डिप्टी प्रॉक्टर हैं, जिन्हें विश्वविद्यालय में अनुशासन सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है. यह अधिकारियों को पर्याप्त अधिकार देने के साथ-साथ छात्रों के सुरक्षा और अनुशासन को सुनिश्चित करने में मदद करेगा. चार डिप्टी प्रॉक्टर का पद सृजित किया गया है. सभी डिप्टी प्रॉक्टरो की अलग-अलग जिम्मेदारी दी गई है. गोरखपुर विश्वविद्यालय की प्रशासनिक भवन में कुलपति कार्यालय में एबीवीपी छात्रों और अन्य छात्रों द्वारा कुलपति व कुलसचिव हमला किया गया . छात्रों ने काफी बवाल किया था. इस मामले में पुलिस ने कई छात्रों को हिरासत में लेकर जेल भेजा है. अभी कई छात्रों को पकड़ने के लिए छापेमारी चल रही है.

4 शिक्षकों को डिप्टी प्रॉक्टर बनाया गया

विश्वविद्यालय में जिन 4 शिक्षकों को डिप्टी प्रॉक्टर बनाया गया है.इनमें डॉ दुर्गेश पाल, डॉ मितू सिंह, डॉ अमित उपाध्याय ,डॉ राजीव गुप्ता शामिल है. डॉ अमित गुप्ता को गेट पास और परिचय पत्र के बिना परिसर में प्रवेश करने वालों को प्रतिबंधित करेंगे. डॉ मितू सिंह को महिला सुरक्षा और महिला छात्रावास में अनुशासन सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है. डॉ राजू प्रशासन और आंतरिक सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित करेंगे. डॉ दुर्गेश पुरुष छात्रावास की जिम्मेदारी संभालेंगे. सभी डिप्टी प्रॉक्टर चीफ प्रॉक्टर डॉ सत्यपाल के नेतृत्व में कार्य करेंगे.सभी डिप्टी प्रॉक्टर को विश्वविद्यालय प्रशासन को निर्धारित कार्य के संचालन की जानकारी नियमित रूप से देनी होगी. विश्वविद्यालय प्रशासन के प्रति जवाबदेही डिप्टी प्रॉक्टर की व्यक्तिगत होगी. सभी डिप्टी प्रॉक्टर को इनकी जिम्मेदारी सोमवार को ही सौंप दी गई है.

प्रॉक्टोरियल बोर्ड को समृद्ध करने का निर्णय लिया : VC

गोरखपुर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर राजेश कुमार ने बताया कि गोरखपुर विश्वविद्यालय के प्रॉक्टोरियल बोर्ड को समृद्ध करने का निर्णय लिया है. इस निर्णय का मुख्य उद्देश्य छात्रों के अनुशासन को सुचारु बनाए रखना है ताकि शिक्षा और अध्ययन में उन्हें सुखद और उच्च स्तर का अनुभव मिले. विश्वविद्यालय प्रशासन को कई छात्रों द्वारा अनुशासनहीनता की रिपोर्ट मिली है जिसके चलते यह निर्णय लिया गया है.प्रॉक्टोरियल बोर्ड में बदलाव के तहत अब चीफ प्रॉक्टर और सहायक डॉक्टर के साथ चार डिप्टी प्रॉक्टर हैं, जिन्हें विश्वविद्यालय में अनुशासन सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है. यह अधिकारियों को पर्याप्त अधिकार देने के साथ-साथ छात्रों के सुरक्षा और अनुशासन को सुनिश्चित करने में मदद करेगा.

अभाविप के 22 कार्यकर्ताओं पर मुकदमा , 8 को जेल

विद्यार्थी परिषद और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के गोरक्ष प्रांत मंत्री सौरभ कुमार गौर ने विश्वविद्यालय के भ्रष्टाचार का केंद्र बनने का आरोप लगाया है . उनका कहना है कि शिक्षा के मंदिर को दूषित किया जा रहा है. 21 जुलाई को विद्यार्थी परिषद के नेतृत्व में छात्रों ने प्रशासनिक भवन में लोकतांत्रिक तरीके से प्रदर्शन किया तो कुलपति की संवेदनहीनता दिखाते हुए विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ताओं पर लाठियां चलवा दी थीं. कई कार्यकर्ता गंभीर रूप से घायल हो गए. विद्यार्थी परिषद के 22 कार्यकर्ताओं को गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज करवाया 8 को जेल भी भिजवा दिया गया है स्वस्थ शैक्षिक परिसर के लिए यह घटना दुर्भाग्यपूर्ण है.

छात्रों के साथ भयभीत होने का आरोप

अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद का कहना हैं कि दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय प्रशासन पुलिस और प्रशासन की लाठी के बल पर शिक्षा देने की व्यवस्था कर रहा है. जिससे विश्वविद्यालय के छात्रों के साथ-साथ शिक्षक व कर्मचारी भी भयभीत है. विश्वविद्यालय के कुलपति राजेश कुमार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से लगभग 45 मिनट की मुलाकात की इस दौरान उन्होंने कुलपति कार्यालय में हुई घटना की विस्तार से जानकारी दी साथ ही इसे लेकर विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा की गई विधिक कार्यवाही के बारे में भी बताया.

रिपोर्ट: प्रदीप कुमार

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