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72 साल से खूंटी की अदालत में चल रही संपत्ति की लड़ाई, दो पीढ़ियां चल बसीं, लेकिन न्याय नहीं मिला

अयोध्या में राम मंदिर से संबंधित सिविल सूट के निबटारे के बाद संभवत: देश के सबसे पुराने लंबित केस में से दो सगे भाइयों के बीच संपत्ति के बंटवारे का मामला झारखंड के खूंटी में चल रहा है. 72 वर्षों से चल रहे पार्टीशन सूट के दौरान दो पीढ़ियां चल बसीं, लेकिन न्याय नहीं मिला.

By Prabhat Khabar News Desk | May 7, 2023 6:46 AM
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रांची, राणा प्रताप. अयोध्या में राम मंदिर से संबंधित सिविल सूट के निबटारे के बाद संभवत: देश के सबसे पुराने लंबित केस में से दो सगे भाइयों के बीच संपत्ति के बंटवारे का मामला झारखंड के खूंटी में चल रहा है. 72 वर्षों से चल रहे पार्टीशन सूट के दौरान दो पीढ़ियां चल बसीं, लेकिन न्याय नहीं मिला. अब एक भाई की तीसरी व दूसरे भाई की चौथी पीढ़ी (वारिस) न्याय की आस में केस (90/1951) लड़ रही है. यह मामला एक कश्मीरी पंडित परिवार से जुड़ा हुआ है.

पार्टीशन सूट केस 31 अगस्त 1951 को रजिस्टर किया गया

कश्मीरी पंडित सगे भाई दशरथ राम गंजू बनाम शिवप्रियेनाथ गंजू का पार्टीशन सूट केस 31 अगस्त 1951 को रजिस्टर किया गया था. पीढियों के गुजरने के बाद वर्तमान में दशरथ राम गंजू के पोते बलराम कश्यप तथा शिवप्रियेनाथ गंजू के परपोते भागीरथी गंजू केस लड़ रहे हैं. इस केस में ध्यान देने की बात यह है कि पटना हाइकोर्ट की खंडपीठ ने वर्ष 1971 में फैसला सुनाया था. उस फैसले के आलोक में सिविल कोर्ट को डिक्री जारी करना है, जिससे यह पार्टीशन सूट का निबटारा संपूर्ण रूप से हो जाता.

वर्ष बीतता गया, तारीख पर तारीख मिलती रही

वर्ष बीतता गया, तारीख पर तारीख मिलती रही, लेकिन मामला कई कारणों से लंबित रहा. 11 फरवरी 2021 को खूंटी की निचली अदालत ने अधिवक्ता ममता सिंह को प्लीडर कमिश्नर नियुक्त किया. प्लीडर कमिश्नर की ओर से 17 जनवरी 2023 को अदालत में रिपोर्ट सौंपी गयी. रिपोर्ट मिलने के बाद अदालत ने प्लीडर कमिश्नर की रिपोर्ट पर आपत्ति दर्ज कराने के लिए 45 दिनों का समय दिया. 27 फरवरी 2023 को पुन: सुनवाई हुई, जिसमें एक पार्टी द्वारा फिर समय लिया गया. उसके बाद पांच अप्रैल को सुनवाई हुई, जिसमें दोबारा समय की मांग की गयी. इसके बाद अदालत ने अगली सुनवाई के लिए 10 मई की तिथि निर्धारित की.

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यह है मामला

1741 से लेकर 1751 के बीच मराठा भोसले के सेनापति भाष्कर पंडित के साथ कश्मीरी पंडित भी युद्ध करते हुए आये थे. बंगाल के तत्कालीन नवाब अली वर्दी खां के साथ 1751 में मराठों की संधि होने के बाद वह लौट गये. उनके साथ कश्मीरी पंडित नहीं लौटे. वह स्वर्णरेखा नदी के आसपास यहीं रह गये. दशरथ राम गंजू परिवार को खूंटी व आसपास के आठ गांवों में जमीन मिली थी. लगभग 300 एकड़ की संपत्ति के बंटवारे के लिए भाइयों (दशरथ राम गंजू व शिवप्रियेनाथ गंजू) ने वर्ष 1951 में अदालत का रुख किया, ताकि बंटवारे की प्रक्रिया जल्द हो सके, पर निर्णय नहीं हो पाया.

ई-कोर्ट्स वेबसाइट पर है केस डिस्पोज पर अगली सुनवाई 10 मई को

पार्टीशन सूट नंबर-90/1951 ई-कोर्ट्स वेबसाइट पर छह जुलाई 1959 को डिस्पोज दिखा रहा है, जबकि पांच अप्रैल को सुनवाई के दौरान अदालत ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 10 मई की तिथि निर्धारित की है. मामले पर प्लीडर कमिश्नर, अधिवक्ता ममता सिंह ने कहा कि अदालत ने मुझे प्लीडर कमिश्नर नियुक्त किया था. दो भाइयों के बीच संपत्ति बंटवारे के इस मामले में हमने अपनी रिपोर्ट 17 जनवरी 2023 को सौंप दी थी. यह मामला अभी अदालत में चल रहा है. इसकी सुनवाई 10 मई को तय है.

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