ग्रामीण जलापूर्ति पर वाटर टैक्स लगाने का प्रस्ताव, इन लोगों को नहीं देना होगा शुल्क
पेयजल एवं स्वच्छता विभाग की ओर से राज्य की ग्रामीण जलापूर्ति योजनाओं के संचालन एवं संपोषण की व्यवस्था की सुदृढ़ करने के लिए झारखंड ग्रामीण पेयजलापूर्ति (संचालन रख-रखाव एवं अनुश्रवण) नियमावली तैयार कर ली गयी है. मंत्रिपरिषद के अनुमोदन के बाद यह नियमावली लागू होगी.
रांची. पेयजल एवं स्वच्छता विभाग की ओर से राज्य की ग्रामीण जलापूर्ति योजनाओं के संचालन एवं संपोषण की व्यवस्था की सुदृढ़ करने के लिए झारखंड ग्रामीण पेयजलापूर्ति (संचालन रख-रखाव एवं अनुश्रवण) नियमावली तैयार कर ली गयी है. मंत्रिपरिषद के अनुमोदन के बाद यह नियमावली लागू होगी. इस नियमावली में राज्य के ग्रामीण इलाकों में पेयजलापूर्ति योजनाओं के संचालन, रख-रखाव और मॉनिटरिंग के लिए 100 से 1000 रुपये तक शुल्क लगाने का प्रस्ताव है. नियमावली में प्रस्तावित प्रावधान के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में रहनेवाले हर परिवार को पेयजल के लिए प्रतिमाह 100 रुपये शुल्क देना होगा. वहीं निजी विद्यालय, निजी आवासीय विद्यालय, बैंक और पोस्ट ऑफिस को प्रति माह शुल्क के रूप में प्रतिमाह 500 रुपये शुल्क निर्धारित किया गया है. इसके अलावा निजी संस्थान, अस्पताल, नर्सिंग होम, 10 प्लस टू कॉलेज, आइटीआई, कॉलेज के साथ वाणिज्यिक प्रतिष्ठान, ढाबा, खटाल, गैरेज आदि से प्रति माह 1000 रुपये शुल्क लेने का प्रावधान किया गया है.
धार्मिक स्थलों को नहीं देना होगा शुल्क
ग्रामीण इलाकों में महिला प्रधान परिवार, एक कमरा के कच्चा मकान वाले परिवार, अंत्योदय योजना के परिवार, विशेष रुप से कमजोर जनजातीय समूह, उपायुक्त द्वारा अनुशंसित विशेष श्रेणी के परिवार, शहीद के आश्रित, मंदिर, मस्जिद व अन्य धार्मिक स्थल से पेयजल व जल कनेक्शन के लिए कोई भी शुल्क नहीं लेने का प्रावधान किया गया है.
गरीबों से शुल्क नहीं
नियमावली में गरीब ग्रामीण परिवारों से कोई शुल्क नहीं लेने का प्रावधान किया गया है. वहीं निजी विद्यालय, निजी अस्पतालों, निजी आवासीय विद्यालय, बैंक, पोस्ट ऑफिस, अस्पताल, नर्सिंग होम, 10 प्लस टू स्कूल, आइटीआइ, कॉलेज से एक हजार व उद्योग, ईंट भट्टा, बड़े अस्पताल, अपार्टमेंट व मार्केटिंग, कॉम्प्लेक्स से डेढ़ हजार शुल्क लेने का प्रावधान किया गया है.
वाटर मीटर लगाने का भी है प्रस्ताव
नियमावली में उद्योग, ईंट भट्टा, बड़े अस्पताल और ग्रामीण क्षेत्रों में अपार्टमेंट व मॉर्केंटिंग, कॉन्म्प्लेक्स में पानी का मीटर लगाने का प्रस्ताव रखा गया है. कहा गया है कि जब तक मीटर नहीं लगता है, तब तक जलापूर्ति संचालन समिति 50 पैसे प्रति वर्गफीट की दर से शुल्क निर्धारित करेगी.