…तो नेताओं के ‘भड़काऊ’ बयानों की वजह से बंगाल चुनाव में हो रही है हिंसा?
चार चरणों में 135 विधानसभा सीटों के लिए मतदान हो चुके हैं. हर चरण के चुनाव के साथ हिंसा की रफ्तार बढ़ती ही जा रही है. इसकी क्या वजह है? सवाल यह भी उठने लगे हैं कि क्या राजनेताओं के भाषण व बयान ‘भड़काऊ’ हैं, जिससे हिंसा को बढ़ावा मिल रहा है या राजनीतिक दलों ने बंगाल में हिंसा को वोट बटोरने का हथियार बना रखा है?
कोलकाता : बंगाल में आठ चुरणों में हो रहे विधानसभा चुनाव के चार चरण बीत चुके हैं. जैसे-जैसे चुनाव हो रहे हैं, हिंसा भी बढ़ रही है. शनिवार को राज्य में चौथे चरण का मतदान भी रक्तरंजित रहा. कूचबिहार के शीतलकुची में केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआइएसएफ) के जवानों की फायरिंग में चार लोगों की मौत हो गयी. यहीं मतदान करने गये एक युवक की गोली मारकर हत्या कर दी गयी.
अब तक चार चरणों में 135 विधानसभा सीटों के लिए मतदान हो चुके हैं. हर चरण के चुनाव के साथ हिंसा की रफ्तार बढ़ती ही जा रही है. इसकी क्या वजह है? सवाल यह भी उठने लगे हैं कि क्या राजनेताओं के भाषण व बयान ‘भड़काऊ’ हैं, जिससे हिंसा को बढ़ावा मिल रहा है या राजनीतिक दलों ने बंगाल में हिंसा को वोट बटोरने का हथियार बना रखा है?
इस बारे में कुछ राजनीतिक दलों के नेताओं से बात करने पर उन्होंने स्वीकार किया कि राजनीतिक दलों के नेताओं के बयान की वजह से हिंसा बढ़ रही है. पूर्व सांसद व माकपा के वरिष्ठ नेता मोहम्मद सलीम ने कहा कि उनकी पार्टी शुरू से ही यह मसला उठाती रही है.
मोहम्मद सलीम लगातार आरोप लगा रहे हैं कि भाजपा और तृणमूल कांग्रेस के नेता विभाजन की राजनीति कर रहे हैं. दोनों दलों के नेताओं के भाषण व बयान माहौल बिगड़ रहा है. ऐसा राज्य में चार चरणों के तहत हुए मतदान के दौरान देखा गया है.
उनका कहना है कि इस विषय पर भी गौर करना चाहिए कि केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल व स्थानीय पुलिस बल का इस्तेमाल राजनीतिक फायदे के लिए नहीं हो. यदि ऐसा हो रहा है, तो यह लोकतंत्र के लिए सही नहीं है. अगले चरणों में निष्पक्ष व शांतिपूर्ण मतदान हो, इसके लिए चुनाव आयोग को ठोस कदम उठाने चाहिए.
भाकपा (माले) के पोलित ब्यूरो के सदस्य कार्तिक पाल का कहना है कि मौजूदा समय में बंगाल की राजनीति सबसे बुरे दौर से गुजर रही है. यहां लोगों के विकास की बातें नहीं करके राजनीतिक दलों के नेता एक-दूसरे को घेरने के लिए सारी सीमाएं लांघ रहे हैं.
उन्होंने कहा कि राजनेता लोगों के बीच सांप्रदायिकता को बढ़ावा देने वाली बातें कहने से भी नहीं चूक रहे. चुनाव में हुई हिंसा की एक वजह भड़काऊ भाषण भी है. चुनाव आयोग को निष्पक्ष और शांतिपूर्ण मतदान कराने के लिए भड़काऊ और आपत्तिजनक भाषण व बयानबाजी करने वाले नेताओं पर कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए.
Posted By : Mithilesh Jha