Exclusive: अधिकतर एक्टर्स एक्टिंग से ज़्यादा इमेज बनाने वाली एडिशनल चीजों को तवज्जो देते हैं- राधिका आप्टे

उनकी फिल्म मोनिका ओ माय डार्लिंग जल्द ही ओटीटी प्लेटफार्म नेटफ्लिक्स पर दस्तक देने वाली है. इसमें राधिका आप्टे भी नजर आनेवाली हैं. उनकी इस फ़िल्म, उनके चुनावों, इंडस्ट्री के पॉपुलर ट्रेंड सहित कई मुद्दों पर उर्मिला कोरी से हुई बातचीत के प्रमुख...

By कोरी | November 4, 2022 6:42 AM

अपने सहज अभिनय और अलहदा फिल्मों और किरदारों के चुनाव से अभिनेत्री राधिका आप्टे ने सिनेमा में अपनी खास पहचान बनायी है. उनकी फिल्म मोनिका ओ माय डार्लिंग जल्द ही ओटीटी प्लेटफार्म नेटफ्लिक्स पर दस्तक देने वाली है.उनकी इस फ़िल्म, उनके चुनावों, इंडस्ट्री के पॉपुलर ट्रेंड सहित कई मुद्दों पर उर्मिला कोरी से हुई बातचीत के प्रमुख…

मोनिका ओ माय डार्लिंग ने आपको किन चुनौतियों से रूबरू करवाया?

मेरा किरदार इन्वेस्टिगेशन ऑफिसर का है,इस तरह का किरदार मैंने पहले नहीं किया था तो थोड़ा आत्मविश्वास की कमी थी .यह मेरे साथ अक्सर होता है.जब मैं कोई अलग तरह का किरदार करती हूं तो थोड़ा आत्मविश्वास हिला रहता है. इस फ़िल्म में ज़्यादा मेरे कम्फर्ट ज़ोन से अलग था क्यूंकि मेरे किरदार का जो स्टाइल का कॉमेडी था. वैसा मैंने पहले कभी नहीं किया था. मुझे इस बात की बहुत टेंशन थी कि फनी होगा या नहीं होगा. माउंटेन मैन या पार्च्ड जैसी फिल्मों की शूटिंग के दौरान हम होमवर्क के लिए पहले से चले जाते हैं. जिससे माहौल और आसपास की महिलाओं से हम बहुत कुछ सीख और समझ जाते हैं. कॉमेडी बहुत तफ होती है. जिस वजह से इस किरदार ने मुझे स्ट्रेस में भी डाला. वैसे इस फिल्म की कास्ट बहुत अच्छी है. राज , बक्श , सिकंदर और हुमा जिस वजह से मेरा काम भी आसान हुआ.

क्या एक्टिंग का दूसरा नाम आप एक्शन रिएक्शन मानती हैं?

हां, बहुत काम ऐसे एक्टर्स होते हैं जो मतलबी नहीं होते हैं. वे अपने को एक्टर्स के परफॉरमेंस को भी अपलिफ्ट करते हैं. नवाज़,राजकुमार , विजय वर्मा , गुलशन देवैया और विक्रांत मेस्सी ऐसे ही किरदारों की फेहरिस्त में आते हैं. वे सिर्फ अपनी लाइन बोलकर नहीं निकल जाते हैं. वे आपकी लाइन्स भी सुनते हैं , एक्टिंग आख़िरकार रिएक्शन का ही तो नाम है

क्या किसी ऐसे मतलबी एक्टर से भी सामना हुआ है,जिनका सिर्फ अपनी एक्टिंग पर फोकस था

मैं किसी का नाम नहीं ले पाऊँगी, लेकिन ये बताना चाहूँगी कि कई बार एक्टर अपनी लाइन्स बोलकर चले गए हैं और फिर असिस्टेंट डायरेक्टर ने क्यू दी जिसके बाद मैंने अपनी लाइनें बोली है.

इंडस्ट्री में आपने अपनी शर्तों पर एक मुकाम बनाया है,अपने आत्मविश्वास को इसमें कितना श्रेय देंगी

मुझमें ठीक ठाक वाला आत्मविश्वास है. बहुत सारी चीज़ें हैं, जिसमें मेरा आत्मविश्वास हिल जाता है. मैं बताना चाहूंगी कि मुझे स्टेज से डर लगता है. अगर मैं स्टेज पर एक्टिंग कर रही हूं , तो कोई दिक्कत नहीं है. उस वक़्त मुझमें पूरा आत्मविश्वास रहता है. स्टेज पर अवार्ड लेने और देने में मुझे बहुत डर लगता है. मुझे लगता है कि स्टेज पर पहुँचने से पहले मैं बेहोश हो जाउंगी.

आप उन चुनिंदा एक्ट्रेसेज में से हैं जो एमी इंटरनेशनल अवार्ड में नॉमिनेटेड हुई थी?कैसा अनुभव रहा

मैं बहुत ही इसके लिए ग्रेटफुल हूँ लेकिन मुझे लगता है कि दुनिया के कई ऐसे बेस्ट एक्टर्स हैं, जिन्हे अवार्ड्स नहीं मिला है और ऐसे लोगों को अवार्ड मिल जाता है , जिनकी एक्टिंग उतनी अच्छी नहीं है. एक्टर ही नहीं ज़िन्दगी में भी कई ऐसे लोग हैं , जो बहुत अच्छा काम कर रहे हैं ,लेकिन उन्हें अवार्ड नहीं मिलता है. मैं बताना चाहूंगी कि इंटरनेशनल एमी अवार्ड के नॉमिनेशन में मेरे साथ चार और महिला एक्टर्स नॉमिनेटेड हुई थी ,एक ब्राज़ीलियन एक्टर्स थी. मुझे लगता है है कि उसे वह अवार्ड मिलना चाहिए था ,लेकिन उसे वह अवार्ड नहीं मिला,किसी और एक्ट्रेस को मिला. मैंने उसे कहा भी था कि मुझे लगता है कि आपको ये अवार्ड मिलना चाहिए था. आपसे अच्छे लोग हैं, तो उन्हें सराहना मिलनी ही चाहिए.

क्या अवार्ड आपको मोटिवेशन नहीं देते है?

नॉमिनेशन हुआ है तो हर आम इंसान की तरह मैं भी जीतना ही चाहूंगी. मुझे लगता है कि ज़्यादातर लोगों की तरह वह मुझे भी चाहिए लेकिन मैं ऐसे लोगों को भी जानती हूं , जो अपना काम पूरी मेहनत से करते हैं , लेकिन उन्हें किसी भी तरह वैलिडेशन की ज़रूरत नहीं है. काश मैं उन जैसा बन पाती थी .

विक्रम वेधा में आपका रोल सीमित था,उस फिल्म को करने की क्या वजह थी?

मैं फ़िल्म के निर्देशक गायत्री और पुष्कर के साथ काम करना चाहती थी, इसलिए मैंने वह फ़िल्म की.वैसे मेरे लिए पूरा अनुभव बहुत महत्व रखता है.मैंने कई बार ऐसी फिल्मों को मना किया है.जिसमे कहानी का पूरा फोकस मेरा किरदार होता है क्योंकि मुझे फ़िल्म की स्क्रिप्ट पसंद नहीं आयी .हां मैं ये ज़रूर चाहती थी कि उस फिल्म में मेरा रोल थोड़ा ज़्यादा होता था.

आप निर्देशकों को सामने से फिल्मों के लिए अप्रोच करती हैं

हां क्यों नहीं , मुझे मालूम पड़ता है कि कोई अच्छा काम कर रहा है तो मैं सामने से उसे बोलती हूँ कि मुझे आपके साथ काम करना है. कुछ रोल होगा मेरे लिए तो प्लीज मुझे कॉल कीजियेगा. कई बार ऐसा भी हुआ कि सामने वाले निर्देशक ने मुझे कहा है कि मुझे नहीं लगा था कि आप मेरे साथ काम करना चाहेंगी.

इंडस्ट्री में आप उन चुनिंदा एक्ट्रेसेज में से हैं, जिन्होंने खुद को एक पॉपुलर इमेज में नहीं बांधा है?

हमारी हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में एक्टर को लेकर एक इमेज है. एक्टर मर्सिडीज में ही आना चाहिए. एक्टर देर से ही आएगा. एक्टर के कपडे रिपीट नहीं होने चाहिए. ये सब इमेज से मुझे पहले दिन से ही समस्या थी. मुझे मेरी सैंडल पसंद है,तो मैं क्यों नहीं उसे बार – बार रिपीट कर सकती हूँ. मुझे चार चप्पलों में पैसा नहीं डालना है. मुझे हर दिन अपने कपडे पर इस्त्री नहीं करनी हैं . अपने बालों को ब्लो ड्राई करके नहीं जाना है. मुझे एक्टिंग करना था, क्यूंकि मुझे वही पसंद था. उसके साथ जो एडिशनल चीज़ें आती हैं वो नहीं. कुछ एक्टर बोलते हैं कि मैं बड़े स्क्रीन पर ही एक्टिंग करूँगा. तुम एक्टर हो यार प्लेटफार्म से क्या लेना – देना है. एक्टिंग करो जो भी आपको मौका दे.एक्टिंग से ज़्यादा इमेज को बनाने वाली एडिशनल चीजों को ज़्यादा तवज्जो मिलती है.

एक्टिंग के साथ जो एडिशनल चीज़ें आपने नहीं अपनायी क्या उसने अपने कैरियर को प्रभावित किया?

हां, मेरा कैरियर उससे प्रभावित हुआ है.हिंदी सिनेमा में मैं ढेर सारा अलग -अलग काम करना चाहती थी.जो मुझे नहीं मिला लेकिन ओटीटी का हिस्सा बनने के बाद इंटरनेशनल फिल्मों के दरवाजे मेरे लिए ओपन हो गए.अभी मेरे पास तीन इंटरनेशनल प्रोजेक्ट्स हैं.

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