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पुष्प वर्षा और जयकारों के बीच हुआ राघव शक्ति मिलन, पूरे देश में केवल गोरखपुर में होता है आयोजन, जानें खासियत

श्रीराम एवं माता दुर्गा के मिलन के कार्यक्रम को राघव शक्ति मिलन के नाम से जाना जाता है. इस कार्यक्रम को देखने के लिए हजारों की संख्या में लोग बसंतपुर तिराहे पर इकट्ठा होते हैं. जैसे ही दुर्गाबाड़ी की प्रतिमा और श्रीराम का रथ बसंतपुर तिराहे पर पहुंचता है. लोग उन पर फूलों की वर्षा करते हैं.

Gorakhpur News: देश भर में राघव शक्ति मिलन गोरखपुर में मनाया जाता है. यह परंपरा काफी पुरानी है. राघव शक्ति मिलन में गोरखपुर की सबसे प्राचीनतम दुर्गाबाड़ी की मूर्ति और बर्डघाट रामलीला की श्रीराम का बसंतपुर तिराहे पर मिलन होता है. भगवान श्रीराम मां दुर्गा की आरती उतारते हैं. इसे ही राघव शक्ति मिलन कहते हैं विजयादशमी के दिन देश भर में सिर्फ गोरखपुर में होता है राघव शक्ति मिलन. यह परंपरा का निर्वहन 1948 से लगातार चलते आ रही है. कोरोना काल में इस ऐतिहासिक कार्यक्रम पर ग्रहण लग गया था.कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए कमेटी ने उस वर्ष कार्यक्रम को नहीं करने का निर्णय लिया था. विजयादशमी के दिन गोरखपुर के बर्डघाट रामलीला के श्रीराम रावण का वध करने के बाद माता जानकी, लक्ष्मण और हनुमान जी के साथ दुर्गा मिलन चौक बसंतपुर तिराहे पर पहुंचते हैं.जहां पर गोरखपुर शहर की सबसे प्राचीनतम दुर्गाबाड़ी की प्रतिमा का श्रीराम पूजन अर्चन कर आरती करते हैं और युद्ध में विजय के लिए माता रानी के प्रति आभार व्यक्त करते हुए उनका आशीर्वाद लेते हैं.

गोरखपुर में राघव शक्ति मिलन कार्यक्रम की शुरुआत 1948 में हुई थी.स्वर्गीय मोहन लाल यादव,स्वर्गीय रामचंद्र सैनी,स्वर्गीय रघुवीर मास्टर और स्वर्गीय लाल यादव ने राघव शक्ति मिलन कमेटी की स्थापना की और इस कार्यक्रम को व्यवस्थित तरीके से शुरू किया. और आज भी इस परंपरा का निर्वहन हो रहा है.श्रीराम एवं माता दुर्गा के मिलन के कार्यक्रम को राघव शक्ति मिलन के नाम से जाना जाता है. इस कार्यक्रम को देखने के लिए हजारों की संख्या में लोग बसंतपुर तिराहे पर इकट्ठा होते हैं. जैसे ही दुर्गाबाड़ी की प्रतिमा और श्रीराम का रथ बसंतपुर तिराहे पर पहुंचता है. लोग उन पर फूलों की वर्षा करते हैं. जैसे ही श्रीराम मां दुर्गा की आरती उतारते हैं पूरा वातावरण जय घोष के बीच भक्ति में हो जाता है. इस बार भी इस कार्यक्रम को देखते हुए भारी पुलिस बल लगाई गई थी. बसंतपुर तिराहे पर श्रीराम के रथ के आने के पहले बजरंगदल ,परशुराम दल सहित कई दल के सदस्यों ने करतब दिखाया.

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मान्यता है कि जब लंका में विजय प्राप्त करने के बाद श्रीराम, माता जानकी और लक्ष्मण के साथ जब वह अयोध्या लौट रहे थे तो सबसे पहले उन्होंने मां शक्ति की आराधना कर लंका में मिली विजय पर माता के प्रति आभार प्रकट करते हुए उनका आशीर्वाद लिया था. इसी का जीता जागता स्वरूप राघव शक्ति मिलन कार्यक्रम गोरखपुर में देखने को मिलता है.

गोरखपुर मंगलवार को विजयदशमी के दिन अपनी प्राचीन परंपरा राघव शक्ति मिलन का साक्षी बना. जय घोष के बीच भगवान राम और मां शक्ति का मिलन मंगलवार को बसंतपुर तिराहे पर हुआ. भगवान राम ने मां की आरती की. इस दौरान भारी संख्या में लोग मौजूद रहे. जयकारों से पूरा माहौल गूंजमान हो गया. दुर्गाबाड़ी की प्रतिमा के बाद सैकड़ों की संख्या में प्रतिमाएं उसके पीछे थी. जैसे ही राघव शक्ति मिलन का कार्यक्रम हुआ, दुर्गाबाड़ी की प्रतिमा विसर्जन के लिए राजघाट की तरफ बढ़ गई. उसके बाद सारी मूर्तियां धीरे-धीरे बसंतपुर चौराहे से होते हुए राजघाट की तरफ निकली गई.

रिपोर्ट–कुमार प्रदीप,गोरखपुर

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