Rahu ketu rashi parivartan 2020: राहु-केतु का जीवन के विभिन्न हिस्सों पर प्रभाव पड़ता है. करीब 18 महीने के बाद छाया ग्रह राहु-केतु अपनी राशि बदलने वाले हैं. 23 सितंबर को राहु वृषभ राशि में और केतु वृश्चिक राशि में प्रवेश करेंगे. ज्योतिष में शनि के बाद राहु-केतु ही ऐसे ग्रह हो जो एक राशि में 18 महीनों तक रहते हैं. राहु ग्रह हमेशा वक्री चाल से चलते हैं यानी इनकी चाल पीछे की होती है. जैसे राहु मिथुन से वृषभ राशि में वक्री होकर अगले 18 महीनों तक इसी राशि में भ्रमण करेंगे.
राहु का वृषभ राशि में प्रवेश में हो रहा है और केतु का वृश्चिक राशि में. वृषभ राशि के स्वामी शुक्र हैं और यह राहु के साथ मित्रवत व्यवहार रखते हैं. इनका प्रभाव व्यक्ति को व्यावहारिक रूप से चालाक बनाता है. स्वार्थ के लिए असत्य का रास्ता चुनने वाले और झूठ बोलने वालों पर ये ग्रह ज्यादा हावी रहते हैं. इनका असर जिन पर हो, उनकी युवावस्था संघर्ष में बीतती है. ऐसे लोग सेहत और खान-पान का ख्याल भी बिल्कुल नहीं रखते है. इसी कारण ये कई तरह की बीमारियों का शिकार भी होते हैं.
राहु एक छाया ग्रह है. हिन्दू धर्म में राहु को अशुभ माना जाता है. शनि की ही तरह राहु को क्रूर ग्रह माना जाता है. राहु-केतु के प्रभाव में लोग आमतौर पर चमड़े, शराब, नशीले पदार्थ और कभी-कभी इलेक्ट्रोनिक्स का व्यवसाय करते हैं. इनका झुकाव अचानक धन कमाने की तरफ होता है. ये आम तौर पर शेयर बाजार, सट्टा लॉटरी और राजनीति में भी भाग्य आजमाते हैं. काम और रोजगार कितना भी अच्छा क्यों न हो, इनको जीवन में लगातार उतार-चढ़ाव का सामना करना पड़ता है.
जिन लोगों पर राहु-केतु का प्रभाव पड़ता है उनका पारिवारिक जीवन अच्छा नहीं होता है. ऐसे लोगों के जिंदगी में तनाव रहता है. उनकी एक से ज्यादा विवाह होने की सम्भावना होती है. उन लोगों को पारिवारिक संपत्ति या तो नहीं मिलती या मुकदमों में फंस जाती है. संतान उत्पत्ति में देरी होती है और एक संतान समस्या का कारण बनती है.
News Posted by: Radheshyam Kushwaha