एनडीए सरकार के खिलाफ विपक्षी पार्टियों को लेकर बनी ”’I-N-D-I-A”” गठबंधन की अगली बैठक नवंबर की शुरुआत में होने की संभावना है. इस संबंध में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष व सांसद राहुल गांधी, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और एनसीपी नेता शरद पवार ने मुख्यमंत्री व तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी के साथ फोन पर चर्चा की. सूत्रों के मुताबिक हाल में विदेश दौरे में चोट लगने के कारण डाॅक्टरों की सलाह पर फिलहाल कालीघाट स्थित अपने आवास पर स्वास्थ्य लाभ कर रहीं ममता बनर्जी से तीनों विपक्षी नेताओं ने उनके स्वास्थ्य के बारे में भी हालचाल जाना.
तृणमूल नेताओं के अनुसार, इसके बाद ”’I-N-D-I-A”” की अगली बैठक पर चर्चा की गयी. इसमें कांग्रेस और राकांपा नेता इस महीने के ही अंत में नागपुर में बैठक के पक्ष में हैं. इस पर ममता बनर्जी ने कहा है कि उस समय लक्ष्मी पूजा के कारण उनका जाना संभव नहीं होगा. ममता ने सुझाव दिया कि अगर चार-पांच नवंबर तक बैठक होती है, तो वह जा सकती हैं.जानकारी के अनुसार, ममता बनर्जी के सुझाव पर तीनों नेताओं ने सहमति व्यक्त की. ऐसे में माना जा रहा है कि अगर सब कुछ ठीक रहा, तो ””I-N-D-I-A”” की अगली बैठक चार-पांच नवंबर को नागपुर में होगी और ममता बनर्जी उसमें शामिल होंगी.
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नागपुर के अलावा लखनऊ, कोलकाता और दिल्ली में भी अगली बैठक को लेकर चर्चा है. हालांकि पिछले महीने 13 सितंबर को विपक्षी दलों के समन्वय समिति की बैठक में जिन पांच शहरों को शाॅर्ट लिस्टेड किया गया था, उसमें नागपुर फाइनल हुआ था. गौरतलब है कि विपक्षी गठबंधन की इससे पहले तीन बैठकें हो चुकी है. पटना, मुंबई व बेंगलुरु में होने वालीं तीनों बैठकों में ममता हिस्सा ले चुकी हैं. हालांकि विपक्षी गठबंधन में सीट समझौते को लेकर अभी भी पेंच फंसा हुआ है.
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सहयोगी दलों को अहसास हो रहा है कि विभिन्न राज्यों में सीट समझौते में बंगाल एक बड़ा कांटा है. हाल में एनसीपी नेता शरद पवार ने खुलेआम कहा था कि विधानसभा चुनाव में बंगाल में कांग्रेस, तृणमूल व वामदल भले एक दूसरे के खिलाफ लड़े थे, लेकिन 2024 के लोकसभा चुनाव में उन्हें साथ मिलकर लड़ना चाहिए. हालांकि पवार के इस बयान पर बंगाल कांग्रेस के अध्यक्ष व वरिष्ठ सांसद अधीर रंजन चौधरी व माकपा नेताओं ने आपत्ति जतायी थी. दरअसल, ममता के घुर विरोधी माने जानेवाले अधीर व माकपा नेतृत्व राष्ट्रीय स्तर पर गठबंधन के बावजूद बंगाल में ममता के साथ मिलकर किसी हाल में लड़ने को तैयार नहीं है. ऐसे में यहां सीट समझौते की राह आसान नहीं दिख रही है. इसके अलावा कांग्रेस राष्ट्रीय स्तर पर जातीय गणना के मुद्दे पर भी तृणमूल को मनाने के लिए बात करना चाहती है. हालांकि तृणमूल नेतृत्व ने इस मुद्दे पर अभी तक चुप्पी साध रखी है.
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