Jharkhand News: फ्रेट कॉरिडोर निर्माण को लेकर बुधवार को रेलवे के आसनसोल डिवीजन के अधिकारियों की उपस्थिति में धनबाद के कुमारधुबी स्टेशन के समीप नया नगर व औघड़ डंगाल के 39 घरों को जेसीबी से तोड़ दिया गया. इस दौरान काफी संख्या में आरपीएफ के महिला-पुरुष जवान तैनात थे. पहले तो लोगों ने कुछ दिनों की मौहलत मांगी, लेकिन रेलवे के टस से मस न होने पर आनन-फानन में घरों से सामानों को बाहर निकालने लगे. सबसे पहले औघड़ डंगाल स्थित महेश व दुर्गा पंडित की दुकान व घर को तोड़ना शुरू किया गया. दोनों दुकानों को टूटता देख अन्य लोग भी अपने-अपने घरों से सामान निकालने लगे. लगभग सामान तलोग निकाल चुके थे. रेल प्रबंधन की कार्रवाई से 39 परिवार बेघर हो गये. रेल प्रशासन ने लगभग 120 मीटर तक की जगह से अतिक्रमण मुक्त किया. यह कार्रवाई लगभग साढ़े चार घंटों तक चली. मौके पर इलेक्ट्रिक अभियंता रजनीश कुमार, सीनियर सेक्शन इंजीनियर सुधांशु कुमार, आइओडब्ल्यू के सुलभ कुमार, मिथिलेश कुमार, एसएसपी विपिन कुमार व अन्य शामिल थे.
दूसरे चरण में टूटेंगे 250 मकान
रेलवे के सीनियर एई विनोद कुमार ने कहा कि फ्रेट कॉरिडोर निर्माण में काफी विलंब हो रहा था. यहां विभाग का विद्युत सब स्टेशन बनाया जाना है. लोगों को पहले ही जगह खाली करने का नोटिस दिया जा चुका है. लेकिन लोगों ने नहीं सुना. इसको लेकर आज 39 घरों को तोड़ कर रेलवे की जमीन से अतिक्रमण मुक्त कराया गया. अब दूसरे चरण की कार्रवाई जल्द शुरू की जायेगी. उसके अंतर्गत लगभग 250 घरों को तोड़ा जायेगा.
तीस साल से रह रहे थे लोग, तीन घंटे में उजाड़ दिया गया आशियाना
कुमारधुबी स्टेशन के नयानगर व औघड़ डंगाल के लोगों का गुस्सा व गम चेहरे पर साफ झलक रहा था. लगभग तीस वर्षों से रह रहे लोगों ने कभी नहीं सोचा था कि यह दिन भी देखना पड़ेगा. घरों को टूटते देख लोगों के आंखों से आंसू निकल रहे थे. लोगों का नेताओं के प्रति गुस्सा भी स्पष्ट तौर पर झलक रहा था. रेल प्रबंधन की कार्रवाई से पहले चरण में 39 परिवार बेघर हो गये. 28 मार्च को मासस द्वारा आयोजित सभा में पूर्व विधायक ने जीएम से हुई वार्ता से लोगों को आश्वस्त किया था कि 45 मीटर से अधिक रेलवे नहीं तोड़ेगी और तीन माह तक अतिक्रमण नहीं हटेगा. वहीं एक मार्च को नयानगर में सांसद पीएन सिंह व विधायक अपर्णा सेनगुप्ता लोगों को भरोसा देकर गये थे कि 45 मीटर से अधिक नहीं टूटेगा, लेकिन उनके आश्वासन के मात्र एक सप्ताह के अंदर ही रेल प्रशासन ने अतिक्रमण हटा दिया. उनका कहना था कि यदि शुरू में ही यह साफ हो जाता कि अतिक्रमण हटेगा तो उस अनुरूप लोग घर खाली करते.
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समाजसेवियों ने करायी भोजन की व्यवस्था
बेघर हुए लोगों को समाजसेवियों ने सभी लोगों को भोजन की व्यवस्था अपने स्तर से किया. समाजसेवी प्रभु पासवान ने बताया कि सभी परिवारों के लिए भोजन की व्यवस्था की गयी है. उसमें धनंजय कुमार, संजय यादव, भोला यादव, संतोष कुमार, पिंटू दास का भी योगदान है.
मुखिया व मासस नेता के आग्रह को ठुकराया
जैसे ही आरपीएफ के जवान खाली करने पहुंचे. स्थानीय मुखिया मनोज राउत व मासस नेता मुन्ना यादव ने पीड़ितों की भावना से रेलवे के अधिकारियों को अवगत कराया. कहा कि सभी दिहाड़ी मजदूर हैं. किसी में यह कुबत नहीं है कि तुरंत आश्रय बना ले, इसलिए कुछ दिनों का समय दिया जाए. श्री यादव ने कहा कॉरिडोर के जीएम से पूर्व विधायक अरूप चटर्जी की वार्ता हुई थी, जिसमें आश्वासन मिला था कि 35 मीटर तक ही हटाया जायेगा, फिर ऐसा क्यों किया जा रहा है. लेकिन, रेलवे के अधिकारियों ने उनकी बात नहीं मानी और सीधे आरपीएफ का घरों को तोड़ने का आदेश दे दिया.