चक्रधरपुर में राज करने वाले राजा अर्जुन सिंह की बहू अंधेरे कमरे में लड़ रही बीमारी से, घर की दशा भी खराब
राजा अर्जुन सिंह की बहू आज आर्थिक तंगी से जूझ रही है. साथ ही साथ वो कई एक अंधेरे कमरे में रहते हुए कई बीमारियों से जूझ रही हैं. 10 साल पहले ही उनके घर की बिजली काट दी थी. घर की दशा भी बेहद खराब है
चक्रधरपुर: राजा अर्जुन सिंह का चक्रधरपुर में राज हुआ करता था. उनके अधीन हजारों लोग काम करते थे. उनके भरोसे हजारों लोगों का परिवार चलता था. आज उनकी बहू सुषमा सिंह देवी (89 वर्ष) एक अंधेरे कमरे में रहते हुए कई बीमारियों से जूझ रही हैं. 20 अगस्त को फिसल कर गिर गयी थीं. इससे पैर में सूजन है.
चेहरा और शरीर के अन्य हिस्सों में भी सूजन है. चिकित्सकों ने उनके शरीर में खून की कमी बतायी है. अंतिम बार 20 अगस्त को अनुमंडल अस्पताल में उनका इलाज हुआ था. उसके बाद से कोई उपचार नहीं हुआ है. उन्हें बेहतर इलाज के लिए सदर अस्पताल चाईबासा रेफर किया गया है, लेकिन वह नहीं गयीं. उनके पुत्र कहते हैं कि मां को सदर अस्पताल के नाम से डर लगता है. वहां कोई इंतजाम नहीं है.
सुषमा सिंह अब भोजन भी कम करने लगी हैं. थोड़ी बहुत रोटी और सब्जी खा लेती हैं. हाजमे में तकलीफ होती है. झारखंड सेनानी कोष के सदस्य प्रवीर नाथ शाहदेव ने पश्चिमी सिंहभूम के उपायुक्त को पत्र लिख कर सुषमा सिंह देवी की बीमारी की जानकारी दी है. इलाज में सहयोग की अपील की है.
चक्रधरपुर के राजा थे आज तंगी में परिवार
सुषमा सिंह देवी का परिवार आर्थिक तंगी से गुजर रहा है. सुषमा सिंह के बड़े बेटे मनोज कुमार सिंहदेव का इसी वर्ष आठ जनवरी को देहांत हो गया था. दो बेटों की पहले ही मौत हो चुकी है. अब तीन और बेटे रह गये हैं. अशोक सिंहदेव जवाहर लाल नेहरू कॉलेज में आदेशपाल हैं. संतु सिंहदेव अक्सर बीमार रहते हैं. प्रसन्न सिंहदेव केनरा बैंक में आदेशपाल थे. अपाहिज होने के बाद उन्हें हटा दिया गया है. अब वह सुषमा सिंह की सेवा में लगे रहते हैं.
10 माह पहले बिजली काट दी गयी
विद्युत विभाग द्वारा सुषमा सिंह देवी के घर की बिजली 10 माह पहले काट दी गयी थी. पैसा बकाया रहने के कारण उनकी बिजली काटी गयी है. सरकारी अफसरों और विद्युत विभाग से परिजनों ने बिजली देने का आग्रह किया, लेकिन सुनवाई नहीं हुई. नतीजतन एक अंधेरे कमरे में पूरा परिवार दिन गुजार रहा है.
कभी भी धंस जायेगा घर
कभी महलों में रहनेवाले राजा के आश्रित इन दिनों खपरैल घर में रहते हैं. घर की दशा भी काफी खराब है. कभी भी मकान धंस सकता है. जगह-जगह से खपरा धंस गया है. छत से पानी टपकता है. घर में रहने के लिए पर्याप्त जगह नहीं है. दीवारें टूट-फूट गयी हैं.