Raksha Bandhan 2022: मां का प्यार देने वाले भाई की हो गयी मौत, तो रक्षाबंधन पर पौधे लगाकर बांधती हैं राखी

Raksha Bandhan 2022: धनबाद की पूनम सिंह कहती हैं कि मैंने 2011 में बड़े भैया को खो दिया. ब्रेन ट्यूमर ने उन्हें हमसे छीन लिया. जब मां गुजर गयी थीं. तब भैया ने मां का भी प्यार दिया था. उनके जाने के बाद रक्षाबंधन का दिन मुझे कचोटता था. मैंने पेड़ को अपना भाई बनाकर रक्षा सूत्र बांधना शुरू कर दिया.

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 11, 2022 7:27 PM
an image

Raksha Bandhan 2022: भाई-बहन का रिश्ता अटूट होता है. हर विपरीत परिस्थिति से लड़ने के लिए तैयार रहते हैं. दोनों एक दूसरे का साथ देने के लिए हमेशा तैयार रहते हैं. कुछ बहनें ऐसी हैं जिनकी जिंदगी उनके भाई के लिए है. रक्षाबंधन पर पढ़िए झारखंड के धनबाद जिले की ऐसी बहनों की कहानियां, जिन्होंने अपने भाई के सपने पूरे करने लिए काफी त्याग किया.

हर साल लगाती हैं पौधे, बांधती हैं राखी

धनबाद की पूनम सिंह कहती हैं कि मैंने 2011 में अपने इकलौते बड़े भैया (प्रभात सिंह) को खो दिया. ब्रेन ट्यूमर ने उन्हें हमसे छीन लिया. जब मां गुजर गयी थीं. तब भैया ने मां का भी प्यार दिया था. उनके जाने के बाद रक्षाबंधन का दिन मुझे कचोटता था. मैंने पेड़ को अपना भाई बनाकर रक्षा सूत्र बांधना शुरू कर दिया. अब हर रक्षा बंधन में पेड़ों को राखी बांधती हैं. सबों को पौधा लगाने और पेड़ काटने से बचाने के लिए जगरूक करती हूं. मेरे भैया की जगह कोई नहीं ले सकता. हर क्षण उनकी याद आती है, लेकिन जब पेड़ों को रक्षा सूत्र बांधकर उन्हें बचाने का संकल्प लेती हूं. तब ऐसा लगता है कि जैसे मेरे भैया का आशीर्वाद मुझे मिल रहा है.

Also Read: Raksha Bandhan 2022 : झारखंड में बहन ने किडनी देकर बचाई थी अपने भाई की जान, ऐसे निभाया था अपना कर्तव्य

भाई के सपने को हर हाल में करूंगी पूरा

कोयला नगर की रहनेवाली प्रियंका सिंह कहती हैं कि हम तीन भाई बहनें हैं. दो बहन, एक भाई. भाई सूरज सिंह सबसे छोटा है. डीएवी में प्लस टू का स्टूडेंट है. 2010 में जब वो चार साल का था, मेरे पापा का रोड एक्सीडेंट में निधन हो गया था. मां बहुत सीधी साधी महिला थीं. सारी जिम्मेवारी उन पर आ गयी. मां ने मुझे बीटेक कराया. मैं जॉब कर रही हूं. मेरा भाई बीटेक करना चाहता है. हर पल उसे गाइड करती हूं. चाहे जो हो जाये, मैं अपने भाई का सपना पूरा करने में हर पल उसके साथ हूं और रहूंगी. अपने भाई के लिए बस इतना ही कहना चाहती हूं मेरी दुनिया है तू. तेरी हर बलाएं मेरी मेरी हर दुआएं तेरी. मेरे भाई तू हमेशा मुस्कुराता रह. अपनी मंजिल को पा ले. मेरा मन कहता है वो दिन भी आयेगा जब भाई के नाम के साथ लिखा होगा इंजीनियर सूरज सिंह. वो दिन मेरी जिंदगी का सबसे खुशी भरा होगा.

Raksha bandhan 2022: मां का प्यार देने वाले भाई की हो गयी मौत, तो रक्षाबंधन पर पौधे लगाकर बांधती हैं राखी 3
Also Read: Sawan 2022 : सावन में बाबा बैद्यनाथ को सोना, चांदी, डॉलर के साथ नेपाली रुपयों का भी चढ़ावा, ऐसे हुई गिनती

बहन के साथ रही हमेशा मार्गदर्शक

डेंटिस्ट सुनीता सिन्हा पांच बहन-भाई में सबसे बड़ी हैं. बड़ी बहन होने के नाते छोटे भाई-बहनों के लिए बहन के साथ हमेशा मार्गदर्शक की भूमिका में रही. दोनों छोटी बहन यूपीएससी कंपीट कर आज अच्छे पोस्ट पर हैं. बड़ा भाई अविनाश सिन्हा एसएनएमएमसीएच में आर्थोपीडिशियन हैं. छोटा भाई डॉ रवि सिन्हा मई 2022 में यूपीएससी में 258वां रैंक लाया है. सुनीता के बहन-भाई अपनी बहन के प्रति आभार जताते हैं, जिनके मार्गदर्शन में उनका भविष्य संवरा. सुनीता कहती हैं कि अपने बहन-भाई को समाज में ऊंचे ओहदे पर देख खुशी होती है. असीम सुकून मिली है कि मेरे त्याग व मार्गदर्शन का इन्होंने मुझे रिवार्ड दिया.

Raksha bandhan 2022: मां का प्यार देने वाले भाई की हो गयी मौत, तो रक्षाबंधन पर पौधे लगाकर बांधती हैं राखी 4
Also Read: National Lok Adalat : झारखंड में 13 अगस्त को राष्ट्रीय लोक अदालत, बिजली से जुड़े केस का ऐसे कराएं निबटारा

रिपोर्ट : सत्या राज, धनबाद

Exit mobile version