झारखंड : 1966 से रामनवमी जुलूस का नेतृत्व कर रहे हैं मंजूर खान, दुर्गापूजा के भी हैं लाइसेंसधारी
हजारीबाग के मंजूर खान 1966 से रामनवमी जुलूस का नेतृत्व कर रहे हैं. साथ ही साथ वो दुर्गापूजा के भी लाइसेंसधारी हैं. उनसे पहले उनके पिता इस्माइल खान के नाम पर ये लाइसेंस था.
हजारीबाग: चितरपुर प्रखंड के लारी गांव निवासी मंजूर खान आपसी सौहार्द्र और भाईचारे की मिसाल बन गये हैं. वह मुहर्रम के अलावा रामनवमी और दुर्गापूजा के लाइसेंसधारी हैं. 1966 से मंजूर खान के नाम पर जिला प्रशासन लारीकला व सुकरीगढ़ा गांव में रामनवमी पर्व का लाइसेंस निर्गत करता आ रहा है, जो अब तक जारी है. मंजूर 56 साल से अपनी जिम्मेदारी को बखूबी निभाते आ रहे हैं.
उन्होंने बताया कि 1966 से पहले उनके पिता इस्माइल खान के नाम पर लाइसेंस था. पिता के निधन के बाद उन्हें जिम्मेदारी दी गयी. उन्होंने कहा कि रामनवमी के लाइसेंस के अलावा दुर्गापूजा और मुहर्रम का भी लाइसेंस उनके ही नाम से है. वह शांति समिति की बैठक में भी भाग लेते हैं. उन्होंने कहा कि आज तक रामनवमी जुलूस में कोई विवाद नहीं हुआ है.
धोती-कुर्ता पहन जुलूस में होते हैं शामिल :
मंजूर खान रामनवमी जुलूस में धोती-कुर्ता पहन कर शामिल होते हैं. वहीं लाठी भी खेलते हैं. वह मुहर्रम में कुर्ता-पायजामा और दुर्गापूजा में प्रशंसक द्वारा दिया हुआ नया वस्त्र पहन कर जुलूस का नेतृत्व करते हैं. श्री खान होली भी खेलते हैं.
लाइसेंसधारी की होती है बड़ी जिम्मेदारी :
रामनवमी पर्व संचालन के लिए जिला प्रशासन गांव के किसी मुख्य व्यक्ति के नाम पर लाइसेंस जारी करता है. इनका दायित्व होता है कि वह पर्व के दौरान विभिन्न अखाड़ों में स्थापित महावीरी झंडे को साथ लेकर जुलूस में शामिल करते हैं. इसके बाद पूरे गांव में रामनवमी का जुलूस घूमता है. कई अखाड़ों में अस्त्र-शस्त्र का परिचालन भी किया जाता है. तत्पश्चात देवी मंडप स्थान पर इसका विसर्जन किया जाता है. लाइसेंसधारी पर ही पर्व को शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न कराने का दायित्व होता है.
भाईचारा को कायम रखना है : मंजूर खान
मंजूर खान ने कहा कि आपसी भाईचारे को कायम रखना है, इसलिए एक-दूसरे के धर्म और पर्व का सम्मान करें. मन में कोई कोई द्वेष नहीं रखें और एक-दूसरे के पर्व में शामिल हों, ताकि समाज व समुदाय में मजबूती बनी रहे.
Posted by: Sameer Oraon