Rama Ekadashi 2022 Katha: रमा एकादशी के दिन पढ़ें यह व्रत कथा, मिलेगा फायदा
Rama Ekadashi 2022 Katha: कार्तिक कृष्ण पक्ष रमा एकादशी तिथि 20 अक्टूबर वीरवार शाम 04 बजकर 05 मिनट पर शुरू होगी. रमा एकादशी के दिन भगवान विष्णु के साथ धन, ऐश्वर्य और वैभव की देवी माता लक्ष्मी की भी पूजा अर्चना की जाती है.
Rama Ekadashi 2022 Katha: इस साल रमा एकादशी कल यानी 21 अक्टूबर दिन शुक्रवार को है. इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करते हैं और व्रत रखते हैं. कार्तिक कृष्ण पक्ष रमा एकादशी तिथि 20 अक्टूबर वीरवार शाम 04 बजकर 05 मिनट पर शुरू होगी और 21 अक्टूबर शुक्रवार शाम 05 बजकर 23 मिनट पर समाप्त होगी.
भगवान विष्णु के साथ होती है मां लक्ष्मी की पूजा
रमा एकादशी के दिन भगवान विष्णु के साथ धन, ऐश्वर्य और वैभव की देवी माता लक्ष्मी की भी पूजा अर्चना की जाती है. माता लक्ष्मी जी को रमा भी कहते हैं. कार्तिक कृष्ण पक्ष एकादशी पर भगवान विष्णु संग रमा की भी पूजा होती है. इसलिए इसे रमा एकादशी कहते हैं.जो भक्त इस दिन भगवान विष्णु जी के साथ मात लक्ष्मी की पूजा करते हैं. उनके घर से दुख, दरिद्रता एवं नकारात्मकता दूर हो जाती है.
रमा एकादशी व्रत कथा
पौराणिक कथा के अनुसार एक नगर के राजा मुचुकुंद ने पुत्री चंद्रभागा की शादी राजा चंद्रसेन के बेटे शोभन के साथ कर दी. शारीरिक रूप से शोभन बहुत दुर्बल था. वह एक समय भी अन्न के बिना नहीं रह सकता था. कार्तिक माह में दोनों राजा मुचुकुंद के यहां गए उस समय रमा एकादशी थी. पिता के राज्य में रमा एकादशी का व्रत मनुष्य के साथ पशु भी करते थे. चंद्रभागा चिंतित थी क्योंकि पति भूखा नहीं रह सकता था, इसलिए उसने शोभन से दूसरे राज्य में जाकर भोजन ग्रहण करने को कहा.
रमा एकादशी व्रत के प्रभाव से मिला अपार धन
शोभन ने चंद्रभागा की बात नहीं मानी और रमा एकादशी का व्रत करने की ठानी. सुबह तक शोभन के प्राण निकल चुके थे. पति की मृत्यु के बाद चंद्रभागा पिता के यहां रहकर ही पूजा-पाठ और व्रत करती थी. वहीं एकादशी व्रत के प्रभाव से शोभन को अगले जन्म में देवपुर नगरी का राज्य प्राप्त हुआ जहां धन-धान्य और ऐेश्वर्य की कोई कमी नहीं थी. एक बार राजा मुचुकुंद के नगर का ब्राह्मण सोम शर्मा देवपुर के पास से गुजरता है और शोभन को पहचान लेता है. ब्राह्मण पूछता है कि शोभन को यह सब ऐश्वर्य कैसे प्राप्त हुआ. तब शोभन उसे बताता है कि यह सब रमा एकादशी का फल है लेकिन यह सब अस्थिर है.
मां लक्ष्मी की कृपा से प्राप्त हुआ ऐश्वर्य
शोभन ब्राह्मण से धन-संपत्ति को स्थिर करने का उपाय पूछता है. इसके बाद ब्राह्मण नगर को लौट चंद्रभागा को पूरा वाक्या बताता है. चंद्रभागा ने बताया कि वह पिछले आठ वर्षों से एकादशी व्रत कर रही है इसके प्रभाव से पति शोभन को पुण्य फल की प्राप्ति होगी. वह इतना कहकर शोभन के पास चली जाती है. पत्नी व्रता धर्म निभाते हुए चंद्रभागा अपने किए ग्यारस के व्रत का पुण्य शोभन को सौंप देती है इसके बाद भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की कृपा से देवपुर का ऐश्वर्य स्थिर हो जाता है और दोनों खुशी-खुशी जीवन यापन करते हैं.