रमजान में बरेलवी मौलानाओं की दुनिया में मांग, सऊदी हुकूमत के फैसले से उलमा खफा, 30 मिनट छोटा होगा रोजा…

माह-ए-रमजान में पिछले वर्ष की अपेक्षा इस बार रोजा छोटा होगा. यह कमी साल दर साल हो रही है. इस बार रोजा एक 30 से 40 मिनट तक छोटा रहेगा. इस बार मुकद्दस रमजान का सबसे लंबा रोजा 14 घंटे 20 मिनट का होगा, जबकि वर्ष पिछले वर्ष 14 घंटे 52 मिनट का रोजा था. रोजेदारों को माह-ए-रमजान का बेसब्री से इंतजार है.

By Prabhat Khabar News Desk | March 19, 2023 12:35 PM
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Bareilly: मुसलमानों के पवित्र माह (पाक महीने) रमजान का आगाज 23 या 24 मार्च से हो रहा है. रमजान को लेकर बाजार में रौनक बढ़ी है, तो वहीं मस्जिदों का रंग रोगन और सफाई की जा रही है. इनमें रमजान का चांद देखने के बाद उसी दिन से विशेष नमाज (तरावीह) शुरू की जाएगी. तरावीह की नमाज के लिए देश और दुनिया की मस्जिदों में बरेलवी मौलाना (इमाम) की मांग अधिक है.

बरेली के इस्लामिक यूनिवर्सिटी जमीयतुर्रजा, समेत सभी मदरसों से मौलाना (हाफिज) जा रहे हैं. इनको ईद पर अच्छा नजराना दिया जाता है. यह देश दुनिया की मस्जिदों के कुरान को तिलावत करते हैं.

पिछले वर्ष से छोटा होगा रोजा

माह-ए-रमजान में पिछले वर्ष की अपेक्षा इस बार रोजा छोटा होगा. यह कमी साल दर साल हो रही है. इस बार रोजा एक 30 से 40 मिनट तक छोटा रहेगा. इस बार मुकद्दस रमजान का सबसे लंबा रोजा 14 घंटे 20 मिनट का होगा, जबकि वर्ष पिछले वर्ष 14 घंटे 52 मिनट का रोजा था. फिलहाल रोजेदारों को माह-ए-रमजान का बेसब्री से इंतजार है. मुस्लिम क्षेत्रों में रमजान की तैयारी शुरू हो गई हैं.

चांद से तय होंगे रमजान

इस्लाम में चांद के हिसाब से महीने तय होते हैं. इसके साथ ही चांद से ही हर रोजे की समय अवधि तय होती है. हर रमजान में समय का फर्क पड़ता है, जिसके चलते इस साल रोजे का समय कम होगा. पिछले साल रमजान का महीना अप्रैल में शुरू होकर तीन मई को पूरा हुआ था. इस बार रमजान मुबारक का महीना 23 या 24 मार्च से शुरू हो जाएगा और 23 अप्रैल को पूरा हो जाएगा. जिसके चलते पिछले साल के मुकाबले रोजा 30 मिनट छोटा रहेगा.

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दरगाह आला हजरत से समय सारिणी के साथ कैलेंडर जारी

दरगाह आला हजरत के प्रमुख मौलाना सुब्हान रजा खान (सुब्हानी मियां) व सज्जादानशीन मुफ्ती अहसन रजा कादरी (अहसन मियां) ने सहरी व इफ्तार की समय सारिणी (जंत्री) के साथ कैलेंडर जारी किया है. इसमें पहले रोजे से लेकर आखिरी रोजे तक की सहरी व इफ्तार का समय बताया गया है. जंत्री में रोजा व इफ्तार की दुआ के अलावा सदका-ए-फित्र, एतेकाफ, तरकीब नमाज ईद, फजाइल रमजान, नमाज-ए-तरावीह व मकरुआत रोजा आदि का मसला भी कलैंडर में दिया गया है. इसको देश-विदेश में अकीदतमंदों व मुरीदों को सोशल मीडिया और डाक द्वारा भेजा जा रहा है.

सऊदी हुकूमत के फैसले से उलमा खफा

पिछले दिनों सऊदी हुकूमत ने लाउडस्पीकर के इस्तेमाल पर रोक लगाई है. इसको लेकर बरेलवी उलमा ने नाराजगी जताई है. उन्होंने फैसला वापस लेने की बात कही है. बोले, “जहां स्पीकर का इस्तेमाल हो रहा है, वहां रोका नहीं जाना चाहिए, और जहां लाउडस्पीकर का इस्तेमाल नहीं हो रहा है.वहां पर इसकी आवश्यकता नहीं है. वहीं हिंदुस्तान में हर तरीके से आजादी हासिल है. तमाम मजहब में लाउडस्पीकर का इस्तेमाल हो रहा है और आजादी के साथ इस्तेमाल हो रहा है. सऊदी अरब में 98 प्रतिशत मुस्लिम आबादी है.

हिंदुस्तान में कहीं कोई किसी तरह की पाबंदी नहीं है. लाउडस्पीकर का इस्तेमाल होता है. कुछ समय पहले हाईकोर्ट के आदेश के मुताबिक लाउडस्पीकर का इस्तेमाल कम कर लिया गया है. उसकी आवाज को थोड़ा कम कर लिया गया है. यदि हुकूमत का कोई आदेश आता है तो उसका पालन करने के लिए लोग तैयार हो जाते हैं. यहां पर अभी तक कोई ऐसा आदेश नहीं आया है कि पाबंदी लगा दी गई हो. हमेशा की तरह इस साल भी रमजान शानदार तरीके से गुजरेगा. शानदार तरीके से लोग रोजा और इफ्तार करेंगे. उलमा ने कहा कि सऊदी अरब की हुकूमत से पूरी दुनिया को मायूसी हुई है.

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