बरेली के सैलानी पर सहरी की एक अलग रौनक, फजर नमाज के बाद बंद होता है मार्केट, शहर के कोने-कोने से आते हैं लोग

बरेली के मुस्लिम बाहुल्य मोहल्ला में रमजान में एक अलग ही रौनक है. पुराना शहर की सैलानी मार्केट में रमजान में लोग हर जगह से आते हैं. जो रात को सहरी खाने के बाद फजर (सुबह की) नमाज के बाद अपने-अपने घरों पर लौटते हैं. यहां रमजान में पूरी रात चहल-पहल रहती है.

By Prabhat Khabar News Desk | April 12, 2023 6:30 AM

बरेलीः उत्तर प्रदेश के बरेली के मुस्लिम बाहुल्य मोहल्ला में रमजान में एक अलग ही रौनक है. पुराना शहर की सैलानी मार्केट में रमजान में लोग हर जगह से आते हैं. जो रात को सहरी खाने के बाद फजर (सुबह की) नमाज के बाद अपने-अपने घरों पर लौटते हैं. यहां रमजान में पूरी रात चहल-पहल रहती है. बाइक, कार के साथ ही लोग ऑटो, रिक्शा आदि से भी परिवार के साथ पहुंचते हैं. शहर का सैलानी बाजार आम दिनों में 11 से 12 बजे तक खुलता है. लेकिन रमजान में यह बाजार सुबह फजर की नमाज के बाद बंद होता है.

यहां के होटलों पर रमजान के 30 रोजों तक सहरी का सिलसिला चलता है, तो वहीं लोग सामूहिक सहरी भी कराते हैं. इसमें बड़ी संख्या में लोग शामिल होते हैं. इसके साथ ही सैलानी की हलीम बिरयानी, कबाब- पराठा, चाय की बड़ी संख्या में बिक्री होती है. रोजा इफ्तार के बाद से लोगों का हुजूम जुटना शुरू होता है. इसमें सबसे बड़ी संख्या युवाओं की होती है.

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शहर के नगर पंचायत ठिरिया निजावत खां निवासी हाजी उवैश खां का कहते हैं कि वह अधिकतर रमजान की सहरी सैलानी पर ही आकर खाते हैं. यह सिलसिला उनके यहां के तमाम और भी लोगों का है. उनका कहना है सैलानी का कबाब पराठा और हलीम बिरयानी का स्वाद काफी लजीज है. इसकी खुशबू भी लोगों को खींचकर ले आती है

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मस्जिदों में इफ्तार की रौनक

शहर की जामा मस्जिद से लेकर देहात तक की मस्जिदों में हर रमजान में रोजा इफ्तार का सिलसिला चलता है. रोजा इफ्तार में बड़ी संख्या में रोजदार शामिल होते हैं. रोजदारों के लिए दस्तरखान पर प्लेट लगा दी जाती है. इफ्तार की प्लेट में सेब, केला, खजूर, समोसे, पकोड़े आदि खाने की चीज होती हैं. इसके साथ ही पानी जूस और शरबत भी दिया जाता है.

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रिपोर्ट मुहम्मद साजिद बरेली

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