रामगढ़ विधायक सुनीता का शिक्षिका से लेकर विधायक तक का सफर, 2019 में हार के बाद इस रणनीति के साथ मैदान में उतरी
2019 विधानसभा में देवी से हार का सामना करना पड़ा. लेकिन महज तीन साल के बाद ही रामगढ़ विधानसभा उपचुनाव हुआ, तो एनडीए ने उन्हें अपना प्रत्याशी बनाया. नीता ने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी बजरंग महतो को 21 हजार से अधिक मतों से हरा दिया
रामगढ़, सुरेंद्र कुमार/शंकर पोद्दार: कहते हैं लहरों से डरकर नौका पार नहीं होती और कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती, यूं ही किसी की जय जयकार नहीं होती. इसी कहावत को चरितार्थ किया रामगढ़ उपचुनाव में सुनीता चौधरी ने, जिन्होंने पहली हार के बावजूद तिलमिलाई नहीं और दूसरी बार उपचुनाव में सफलता अर्जित की. बताया जाता है कि सुनीता चौधरी शिक्षिका के पद पर कार्यरत थीं. लेकिन 2019 में उन्होंने शिक्षिका के पद से त्यागपत्र देकर रामगढ़ विधानसभा में चुनाव लड़ी.
इस चुनाव में उन्हें ममता देवी से हार का सामना करना पड़ा. लेकिन महज तीन साल के बाद ही रामगढ़ विधानसभा उपचुनाव हुआ, तो एनडीए ने उन्हें अपना प्रत्याशी बनाया. चुनाव से पूर्व ही कयास लगाये जाने लगा था कि मुख्य मुकाबला कांग्रेस और आजसू के बीच ही है. हुआ भी ऐसा है. सुनीता ने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी बजरंग महतो को 21 हजार से अधिक मतों से हरा दिया. इस तरह उन्होंने पिछली हार का बदला भी चुकता कर लिया.
किग मेकर बनें चंद्रप्रकाश
सांसद चंद्रप्रकाश चंद्रप्रकाश चौधरी रामगढ़ विधानसभा क्षेत्र से तीन बार विधायक रह चुके है. वे जब गिरिडीह से लोकसभा चुनाव जीत कर सांसद चुने गये, तो उन्होंने 2019 में हुए विधानसभा चुनाव में रामगढ़ विधानसभा में अपने जगह अपनी पत्नी को उतारा. जिसमें उन्हें हार का सामना करना पड़ा. लेकिन इस बार उन्होंने किंग मेकर की भूमिका अदा की. वे सुबह से लेकर देर रात तक लोगों से मिलते रहे और मतदाताओं के समक्ष पुराने गिले शिकवे को दूर कर सुनीता चौधरी को वोट देने की अपील करते रहे.
जिस कारण सांसद का यह व्यवहार लोगों को काफी पसंद आया और एकजुट होकर लोगों ने सुनीता चौधरी के पक्ष में मतदान किया. इस बार चंद्रप्रकाश चौधरी की यह भी रणनीति रही कि उनके जितने भी अपने पुराने कार्यकर्ता थे, उन्हें अपने गांव में ही सीमित कर रखा था. उन्होंने स्वयं सभी गांवों का दौरा कर रामगढ़ में किये गये विकास कार्यों की जानकारी दी. जिसका आज सुखद परिणाम आया.
चूल्हा प्रमुख सम्मेलन में ही गाड़ दिया था जीत का झंडा
आजसू का इस बार कोई बड़ा कार्यक्रम नहीं हुआ. लेकिन चुनाव प्रचार के दौरान गोला के सीपीसी कॉलेज में नौ फरवरी को चूल्हा प्रमुख सम्मेलन का आयोजन किया गया था. इसमें लगभग 20 हजार से अधिक लोग शामिल हुए. सम्मेलन को देखने से प्रतीत हो रहा था कि आजसू इस बार रामगढ़ विधानसभा में अपनी जीत का झंडा गाड़ चुकी है.
सुदेश महतो का रहा महत्वपूर्ण योगदान
एनडीए प्रत्याशी सुनीता चौधरी के चुनाव जीतने में आजसू सुप्रीमो सुदेश महतो का महत्वपूर्ण योगदान रहा. उन्होंने अपने स्तर से कई चुनावी सभा की और लोगों के दिलों में आजसू के लिए जगह बनायी. गांव-गांव जाकर लोगों से मिलने की रणनीति काम कर गयी.
भाजपा नेताओं ने भी की खूब मेहनत
बताते चलें कि इस उपचुनाव में एनडीए प्रत्याशी घोषित होने के बाद सुनीता चौधरी के पक्ष में पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी, पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास के अलावे केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा, केंद्रीय मंत्री अन्नपूर्णा देवी, सांसद जयंत सिन्हा, सांसद विद्युतवरण महतो, सांसद ज्योतिर्मय सिंह महतो सहित कई चोटी के नेताओं ने जगह-जगह सभा कर सुनीता चौधरी को वोट देने की अपील की. भाजपा कार्यकर्ताओं की पन्ना प्रमुख, बूथ कार्यकर्ता सम्मेलन कर लोगों से मिलने की रणनीति बेहद कारगर साबित हुई.