रामगढ़ छावनी परिषद क्षेत्र में बेसमेंट के व्यावसायिक उपयोग मामले में झारखंड हाईकोर्ट ने दिया ये आदेश
पूर्व विधायक शंकर चौधरी ने उच्च न्यायालय के आदेश की जानकारी देते हुए बताया कि एक रिट पिटीशन दायर की गयी है. इसमें छावनी परिषद क्षेत्र के शॉपिंग कॉम्प्लेक्स व व्यावसायिक भवनों से बेसमेंट हटाने की मांग की गई है. इसी मामले में सुनवाई कर खंडपीठ ने आदेश दिया है.
रामगढ़ : झारखंड उच्च न्यायालय के न्यायाधीश सुजीत नारायण प्रसाद व रत्नाकर भेंगरा की खंडपीठ ने रामगढ़ छावनी परिषद क्षेत्र में बेसमेंट के व्यावसायिक उपयोग की जांच के लिए विशेष कमेटी बनाने का आदेश दिया है. न्यायालय ने पूर्व विधायक शंकर चौधरी व बलजीत सिंह बेदी द्वारा दायर जनहित याचिका डब्ल्यूपी (पीआईएल) नंबर 1717 / 2022 पर सुनवाई करते हुये ये आदेश जारी किया है. मंगलवार को पूर्व विधायक शंकर चौधरी ने पत्रकारों को हाईकोर्ट के आदेश की जानकारी दी. उनके साथ बलजीत सिंह बेदी भी मौजूद थे.
उच्चस्तरीय कमेटी बनाने का निर्देश
पूर्व विधायक शंकर चौधरी ने उच्च न्यायालय के आदेश की जानकारी देते हुए बताया कि एक रिट पिटीशन दायर की गयी है. इसमें छावनी परिषद क्षेत्र के शॉपिंग कॉम्प्लेक्स व व्यावसायिक भवनों से बेसमेंट हटाने की मांग की गई है. इस संबंध में छावनी परिषद क्षेत्र में अवैध निर्माण व बेसमेंट के व्यावसायिक उपयोग की जांच के लिए एक उच्चस्तरीय कमेटी बनाने का निर्देश हाईकोर्ट ने दिया है. शंकर चौधरी व अन्य बनाम स्टेट गवर्नमेंट ऑफ झारखंड थ्रू चीफ सेक्रेटरी दायर जनहित याचिका में झारखंड के मुख्य सचिव, झारखंड सरकार के नगर विकास विभाग के प्रधान सचिव, यूनियन ऑफ इंडिया के प्रधान सचिव मिनिस्ट्री ऑफ डिफेंस तथा मुख्य अधिशाषी अधिकारी (सीइओ) छावनी परिषद रामगढ़ को पार्टी बनाया गया है.
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हाईकोर्ट में दायर की गयी जनहित याचिका
याचिका दायर करने वालों की ओर से अधिवक्ता देवेश आजमानी तथा अधिकारियों की ओर से अधिवक्ता अनिल कुमार, शिव कुमार शर्मा, आशुतोष आनंद तथा कल्याण राय हाईकोर्ट में पक्ष रख रहे हैं. दिये गये निर्देशों का पालन कर दो सप्ताह में काउंटर एफिडेविट फाइल करने का आदेश प्रतिवादियों के अधिवक्ताओं को दिया गया है. इसके साथ ही इस मामले की सुनवाई फिर चार सप्ताह बाद की जाएगी. आपको बता दें कि पूर्व विधायक गैर कानूनी ढंग से बेसमेंट का व्यावसायिक उपयोग करने के खिलाफ लंबे समय से आवाज उठा रहे थे. उन्होंने आरोप लगाया था कि मोटी रकम लेकर बेसमेंट का व्यावसायिक उपयोग करने वालों व अवैध निर्माण करने वालों पर कार्रवाई नहीं की जा रही है. इस संबंध में उन्होंने कई पत्र छावनी परिषद के सीइओ, रक्षा संपदा के अधिकारी व राज्य सरकार को लिखे थे. कार्रवाई न होने पर उन्होंने झारखंड हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी.
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