आजम खां को हेट स्पीच मामले में रामपुर एमपी एमएलए कोर्ट ने किया बरी, सजा होने पर रद्द हुई थी विधानसभा सदस्यता

समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता आजम खां को रामपुर की एमपी-एमएलए कोर्ट से बड़ी राहत मिली है. कोर्ट ने उन्हें लोकसभा चुनाव 2019 के दौरान हेट स्पीच के मामले में बरी कर दिया. इसी केस की वजह से आजम की विधायकी गई थी और उप चुनाव में भाजपा के आकाश सक्सेना ने जीत दर्ज कर विधायक बने.

By Sanjay Singh | May 24, 2023 2:20 PM
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समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के राष्ट्रीय महासचिव और रामपुर (Rampur) के पूर्व विधायक आजम खां (Azam Khan) को कोर्ट से बड़ी राहत मिली है. रामपुर की स्पेशल एमपी-एमएलए कोर्ट (Rampur MP-MLA Court) ने बुधवार को हेट स्पीच मामले (Hate Speech Case) मामले में उन्हें बरी कर दिया. इस मामले में सजा के बाद आजम खां की विधानसभा सदस्यता रद्द हुई थी.

लोकसभा चुनाव 2019 के दौरान भड़काऊ भाषण देने के मामले में आजम खां को इस केस में तीन साल की सजा सुनाई गई थी. उन्होंने वहां चुनावी भाषण के दौरान रामपुर के तत्कालीन जिलाधिकारी के खिलाफ कथित तौर पर अमर्यादित टिप्पणी की थी. इसके बाद उन पर एफआईआर दर्ज की गई थी.

इसके बाद इस मामले में तीन साल की सजा के आधार पर आजम खां की विधानसभा सदस्यता रद्द कर दी गई थी. बाद में उन्हें बेटे अब्दुल्ला आजम समेत छजलैट केस में भी उन्हें दो साल की सजा सुनाई गई थी. अब भड़काऊ भाषण मामले में आजम को राहत मिलने के बाद उनके समर्थकों ने खुशी जाहिर की है. बरी होने के बाद उन्हें विधानसभा अयोग्यता मामले में कितनी राहत मिलती है, ये देखने वाली बात होगी.

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कोर्ट के इस फैसले के बाद आजम खान के वकील विनोद शर्मा ने कहा कि हमें न्यायालय ने दोष मुक्त कर दिया है. हेट स्पीच वाले जिस मामले में सजा सुनाई गई थी, अब कोर्ट ने हमें निर्दोष बता दिया है. जो 185 से संबंधित मुकदमे थे, कोर्ट का उसमें फैसला आया है.

आज़म खां को हेट स्पीच मामले में रामपुर की एमपी-एमएलए कोर्ट से बरी किए जाने पर रामपुर सदर से भाजपा विधायक आकाश सक्सेना ने कहा कि कोर्ट जो निर्णय करता है, वह सही करता है. मामले में असंतुष्ट होने पर दोनों पक्षों को अपील करने का अधिकार है. अभियोजन पक्ष कोर्ट का फैसला पूरी तरह देखने के बाद अपना निर्णय करेगा.

भाजपा प्रवक्ता मनीष शुक्ला ने कहा कि वादी-प्रतिवादी को अपील के लिए आगे न्यायालय जाने का अधिकार है. लेकिन, विधानसभा सदस्यता खत्म करने का जो सवाल है, उस पर नियम यही है कि सजा सुनाए जाने के बाद सीट खाली हो जाती है. उन्होंने कहा कि समाजवादी पार्टी को इस बारे में नियम-कानून पढ़ने चाहिए. इससे जुड़ा अध्यादेश पढ़ना चाहिए.

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