Ramzan 2022 Do’s & Dont’s: रमजान के आगाज होने जा रहा है.चांद का दीदार होते ही इबादत का दौर शुरु हो जाएगा. 30 दिन तक रोजे रख मुसलमान खुदा की इबादत में जुट जाएंगे. रमज़ान के महीने में लोग दिनभर उपवास करते हैं और सुबह सूरज उगने के पहले खाना खाते हैं. हालांकि पुरुषों और महिलाओं के लिए कुछ नियम बनाए गए हैं जो उन्हें हर हालत में पालन करना चाहिए. आइए जानते हैं.
आने वाले एक महीने में मुस्लिम समुदाय रोज़े रखकर अल्लाह की इबादत करेगा. रमज़ान के पूरे महीने कुछ खास बातों का ध्यान रखना ज़रूरी है. आइए जानते हैं कि रमज़ानों में क्या करना चाहिए और क्या बिलकुल नहीं:
1. इंसान रमजान की हर रात उससे अगले दिन के रोजे की नियत कर सकता है. बेहतर यही है कि रमजान के महीने की पहली रात को ही पूरे महीने के रोजे की नियत कर लें.
2. अगर कोई रमजान के महीने में जानबूझ कर रमजान के रोजे के अलावा किसी और रोजे की नियत करे तो वो रोजा कुबूल नहीं होगा और ना ही वो रमजान के रोजे में शुमार होगा.
3. बेहतर है कि आप रमजान का महीना शुय होने से पहले ही पूरे महीने की जरूरत का सामान खरीद लें, ताकि आपको रोजे की हालत में बाहर ना भटकना पड़े और आप ज्यादा से ज्यादा वक्त इबादत में बिता सकें.
4. रमजान के महीने में इफ्तार के बाद ज्यादा से ज्यादा पानी पीयें. दिनभर के रोजे के बाद शरीर में पानी की काफी कमी हो जाती है. मर्दों को कम से 2.5 लीटर और औरतों को कम से कम 2 लीटर पानी जरूर पीना चाहिए.
5. इफ्तार की शुरुआत हल्के खाने से करें. खजूर से इफ्तार करना बेहतर माना गया है. इफ्तार में पानी, सलाद, फल, जूस और सूप ज्यादा खाएं और पीएं. इससे शरीर में पानी की कमी पूरी होगी.
6. सहरी में ज्यादा तला, मसालेदार, मीठा खाना न खाएं, क्यूंकि ऐसे खाने से प्यास ज्यादा लगती है. सहरी में ओटमील, दूध, ब्रेड और फल सेहत के लिए बेहतर होता है.
7. रमजान के महीने में ज्यादा से ज्यादा इबादत करें, अल्लाह को राजी करना चाहिए क्यूंकि इस महीने में कर नेक काम का सवाब बढ़ा दिया जाता है.
8. रमजान में ज्यादा से ज्यादा कुरान की तिलावत, नमाज की पाबंदी, जकात, सदाक और अल्लाह का जिक्र करके इबादत करें. रोजेदारों को इफ्तार कराना बहुत ही सवाब का काम माना गया है.
9. अगर कोई शख्स सहरी के वक्त रोजे की नियत करे और सो जाए, फिर नींद मगरिब के बाद खुले तो उसका रोजा माना जाएगा, ये रोजा सही है.
10. रमजान के महीने को तीन अशरों में बांटा गया है. पहले 10 दिन को पहला अशरा कहते हैं जो रहमत का है. दूसरा अशरा अगले 10 दिन को कहते हैं जो मगफिरत का है और तीसरा अशरा आखिरी 10 दिन को कहा जाता है जो कि जहन्नुम से आ जाती का है.