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Rangbhari Ekadashi: कश्मीर से आई लकड़ी और11 किलो चांदी से तैयार हुआ बाबा विश्वनाथ का नया रजत सिंहासन

Rangbhari Ekadashi 2022 : रंगभरी एकादशी के अवसर पर रविवार की शाम को गौरा को विदा कराने ससुराल पहुंचेंगे भोलेनाथ. ऐेसे में भोले बाबा के आगमन की तैयारियां तेज हो गई हैं. इस मौके पर बाबा के लिए मेवे वाली ठंडई और विविध पकवान की व्यवस्था भी की जा रही है.

By Prabhat Khabar News Desk | March 13, 2022 12:34 PM

Rangbhari Ekadashi 2022 : काशी के पुराधिपति महादेव के गौना के अवसर पर रंग भरी एकादशी को माता गौरा को विदा कराने के लिए कश्मीर से मंगवाई गई लकड़ी से 350 साल बाद महंत परिवार ने बाबा का नया रजत सिंहासन बनवाया है. जिसपर विराजमान होकर रंगभरी एकादशी 14 मार्च को बाबा विश्वनाथ, माता पार्वती को अपने साथ गौना कराकर लाएंगे. इस अवसर पर प्रतिमा की पालकी यात्रा नए रजत सिंहासन पर निकलेगी. करीब 11 किलो चांदी से निर्मित इस सिंहासन को चिनार और अखरोट की लकड़ी से निर्मित किया गया है. टेढ़ीनीम स्थित महंत आवास पर यह सिंहासन शनिवार की देर रात शिवांजलि की तरफ से बाबा को अर्पित किया गया.

रंगभरी एकादशी के अवसर पर रविवार की शाम को गौरा को विदा कराने ससुराल पहुंचेंगे भोलेनाथ. ऐेसे में भोले बाबा के आगमन की तैयारियां तेज हो गई हैं. इस मौके पर बाबा के लिए मेवे वाली ठंडई और विविध पकवान की व्यवस्था भी की जा रही है. इस खास मौके पर जिस सिंहासन पर भोलेनाथ विराजेंगे उसे नवीन निर्मित किया गया है. दरअसल श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के पूर्व महंत डॉ. कुलपति तिवारी ने बताया कि दो साल पहले उनके आवास का हिस्सा कॉरिडोर विस्तारीकरण के दौरान अचानक गिर जाने के कारण बाबा की रजत पालकी का सिंहासन और शिवाला क्षतिग्रस्त हो गया था.

रंगभरी एकादशी महोत्सव के लिए गठित शिवांजलि के माध्यम से कश्मीर के बाबा के भक्त मनीष पंडित ने चिनार और अखरोट की लकड़ी सिंहासन के लिए उपलब्ध कराई. डॉ. कुलपति तिवारी ने बताया कि काशी के जगतगंज निवासी काष्ठ शिल्पी शशिधर प्रसाद ‘पप्पू’ ने इस पालकी को आकार दिया है.सिंहासन को दशाश्वमेध (भूतेश्वर गली) के कारीगर अशोक कसेरा ने अपने परिवार के सदस्यों के साथ मिलकर तैयार किया है. खास बात यह है कि शशिधर प्रसाद और अशोक कसेरा दोनों ने ही बाबा का सिंहासन तैयार करने के बदले में कोई मेहनताना तक नहीं लिया है.

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इन दोनों का कहना है कि बाबा की सेवा का अवसर जीवन में पहली बार मिला है. यह अपने आप में बहुत बड़ी उपलब्धि है. शिवांजली के संयोजक संजीव रत्न मिश्र ने बताया बाबा की वर्तमान पालकी का सिंहासन महंत आवास के अचानक गिरने से क्षतिग्रस्त हो जाने की जानकारी मिली थी. बाबा की पालकी में लगाने के लिए नए सिंहासन के लिए लखनऊ के रहने वाले शिवम मिश्रा के माध्यम से दिल्ली और कश्मीर के बाबा भक्तों ने सिंहासन के लिए काष्ठ और रजत की व्यवस्था की गई थी. बताया जाता है कि गौरा के गवने के दौरान केवल भक्तजन ही नहीं बल्कि सभी देवी-देवता काशी आते हैं और बाबा विश्वनाथ और मां गौरा पर रंग गुलाल उड़ाते हैं.

रिपोर्ट – विपिन सिंह

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