Loading election data...

रंगभरी एकादशी 2023: काशी विश्वनाथ का गौना उत्सव आज से, हल्दी रस्म के साथ गौरा को समझाए जाएंगे ससुराल के नियम

रंगभरी एकादशी 2023: काशी विश्वनाथ के गौना उत्सव को लेकर मंगलवार से टेढ़ीनीम स्थित पूर्व महंत के आवास पर कई कार्यक्रमों का आयोजन होगा. धर्म नगरी में गौना के अनूठे उत्‍सव की शुरुआत महिलाएं सुहाग के पारंपरिक लोक गीत के साथ करेंगी. उत्‍सव में गौरा की तेल-हल्‍दी की रस्‍म अदा की जाएगी.

By Sanjay Singh | February 28, 2023 7:00 AM
an image

रंगभरी एकादशी 2023: काशी में रंगभरी एकादशी की तैयारियां शुरू हो गई हैं. इस दिन बाबा विश्वनाथ गौरा ‘मां पार्वती’ का गौना लेने जाते हैं और काशी रंगोत्सव के जश्न में डूब जाती है. इसलिए काशीवासी महाशिवरात्रि पर शिव-पार्वती विवाह के बाद से ही इसका इंतजार कर रहे थे. अब मंगलवार से बाबा विश्वनाथ के गौना उत्सव का शुभारंभ हो जाएगा. इसके लिए कई रस्में अदा की जाएंगी.

गौरा की तेल-हल्‍दी की रस्‍म अदा करेंगी महिलाएं

काशी विश्वनाथ के गौना उत्सव को लेकर मंगलवार से टेढ़ीनीम स्थित पूर्व महंत के आवास पर कई कार्यक्रमों का आयोजन होगा. धर्म नगरी में गौना के अनूठे उत्‍सव की शुरुआत महिलाएं सुहाग के पारंपरिक लोक गीत गाने के साथ करेंगी. रंगभरी एकादशी को लेकर होने वाले उत्‍सव में गौरा की तेल-हल्‍दी की रस्‍म अदा की जाएगी. बाबा विश्वनाथ गौने के लिए खादी की राजसी पोशाक धारण करेंगे, वहीं मां गौरा बरसाने का घाघरा पहनेंगी. इसे बरसाना के एक भक्त ने खास तौर पर तैयार कराने के बाद भेंट किया है. इन्हें विशेष तौर पर इस रस्म के लिए तैयार कराया गया है. भोले बाबा राजशाही स्वरूप में गौना कराने जाएंगे.

पालकी यात्रा को लेकर तैयारियां शुरू

इस तरह रंगभरी एकादशी पर होने वाले चार दिवसीय रस्मों की शुरुआत मंगलवार से होगी. मां पार्वती के गौना के लिए मंगलवार से तीन मार्च तक टेढ़ीनीम स्थित पूर्व महंत का आवास गौरा के मायके में तब्दील हो जाएगा. वहीं बाबा विश्वनाथ की पालकी यात्रा के लिए इसे तैयार किया जा रहा है. इसकी साज सज्जा की जा रही है.यात्रा के दौरान लोगों को पालकी को छूने की इजाजत नहीं होगी.

Also Read: Masan Holi 2023: क्यों खेली जाती है काशी में चिता की भस्म से होली? जानें मान्यता और कब है तारीख…
शिव-पार्वती के मंगल दाम्पत्य की कामना पर गाएंगे लोक गीत

गौना उत्सव के अगले दिन मां गौरा के विग्रह के समक्ष सुहागिनों और गवनहिरयों की टोली संध्या बेला में अन्य रस्मों को अदा करेंगी. ढोलक की थाप और मजीरे की खनक के बीच मंगल गीत गाते हुए महिलाएं गौरा को ससुराल के नियम समझाएंगी. मांगलिक गीतों से माहौल गुंजायमान हो उठेगा.

लोक संगीत के बीच बीच शिव-पार्वती के मंगल दाम्पत्य की कामना पर आधारित पारंपरिक गीतों का सिललिला काफी देर तक चलता है. मंगल गीतों में यह चर्चा भी की जाती है कि गौना के लिए कहां क्या तैयारी हो रही है. दूल्हे बाबा विश्वनाथ के स्वागत के लिए कौन-कौन से पकवान पकाए जा रहे हैं. सखियां पार्वती का साज शृंगार करने के लिए कैसे कैसे सुंदर फूल चुन कर ला रही हैं. वहीं हल्दी की रस्म के बाद नजर उतारने के लिए महिलाएं विशेष लोक गीत गाती हैं. इसके बाद लोक पंरपरा के मुताबिक रंगभरी एकादशी के दिन भगवान शंकर माता पार्वती का गौना कराएंगे.

Exit mobile version