पश्चिम बंगाल के रानीगंज मारवाड़ी रिलीफ सोसाइटी अस्पताल में तीन वर्षीय एक बालक माहिरी जैसवारा की समय पर चिकित्सा न होने पर मौत हो जाने का आरोप है. यह आरोप बालक के परिजनों ने लगाते हुए आक्रोश जताया. बच्चे के पिता अरुण जैसवारा ने बताया की बच्चे की अचानक तबीयत बिगड़ने के कारण उसे रानीगंज स्थित मारवाड़ी अस्पताल में चिकित्सा के लिए लेकर गये. जहां अस्पताल प्रबंधन से बात करने के बाद कर्मचारियों ने अस्पताल में कार्यरत डॉक्टर पियाली दासगुप्ता को इलाज करने के लिए बुलाया. मगर बच्चे के बिगड़ती हालत के बाद भी एक घंटे तक डॉक्टर नहीं आईं. जिसके बाद प्रबंधन को बार -बार बोलने के बाद प्रबंधन ने जवाब दिया कि मैडम अब फोन नहीं उठा रही हैं. जिसके बाद वे बच्चे को लेकर एक निजी अस्पताल में गये. जहां डॉक्टरो ने बच्चे को मृत घोषित कर दिया.
बालक के परिजनों ने कहा कि समय पर डॉक्टर के नहीं आने से उनके बच्चे की मौत हो गयी. अरुण जैसवारा का कहना है कि जिस प्रकार से अस्पताल के डॉक्टर का रवैया था वैसा अन्य किसी के साथ न हो इसीलिए उन्होंने अस्पताल प्रबंधन के इस रवैये के खिलाफ शिकायत करने का फैसला किया है. घटना को लेकर रानीगंज के लोगों में काफी रोष है. लोगों का कहना है कि डॉक्टर को पृथ्वी पर भगवान का रूप माना जाता है. मगर डॉक्टर का इस तरह की लापरवाही वाला रवैया शर्मसार करने वाला है. उससे लोगो का विश्वास इन जैसे डॉक्टरों पर से उठ जायेगा. वहीं अस्पताल के संयुक्त सचिव राजेंद्र प्रसाद खैतान ने कहा कि उन्हें इस घटना की जानकारी ली तो मालूम हुआ कि रविवार होने के कारण रानीगंज के सभी चिकित्सकों का चेंबर बंद था.
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सभी जगह चक्कर काटने एवं निराश होने के पश्चात उसे अस्पताल लाया गया. बालक की स्थिति अत्यंत चिंताजनक थी. परिजनों के आग्रह पर अस्पताल के कर्मियों ने डॉक्टर पियाली दासगुप्ता को फोन किया. डॉक्टर ने बताया कि वह स्टेशन पर हैं. एक घंटे में वह आ जायेंगी. मरीज को इलाज के लिए उसके घर भेज दें. बालक के परिजन उसे वहां से ले गये लेकिन डॉ दासगुप्ता के घर नहीं गये. उन्होंने कहा कि अस्पताल प्रबंधन या चिकित्सक पर आरोप लगाना गलत है. श्री खैतान ने यह भी प्रश्न उठाया कि आखिर रविवार को शहर के सारे चिकित्सक अपना चेंबर अगर बंद रखते हैं तो आपात स्थिति में इलाज क्यों नहीं करते.
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