Rath Yatra 2022: वाराणसी में दो साल बाद अबकी सैर सपाटे पर निकलेंगे नाथों के नाथ भगवान जगन्नाथ

Rath Yatra 2022 in Varanasi: काशी में तीन दिवसीय रथयात्रा मेला आषाढ़ शुक्ल पक्ष की द्वितीय तिथि से चतुर्थी तिथि तक आयोजित होता है. आषाढ़ शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा 30 जून को भगवान स्वस्थ होंगे और मनफेर के लिए काशी की गलियों में भ्रमण पर निकलेंगे.

By Prabhat Khabar News Desk | June 15, 2022 1:57 PM
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Rath Yatra 2022 in Varanasi: जगत का पालन और पोषण करने वाले भगवान जगन्नाथ भी बीमार पड़ते है, जी हाँ सुनने में ये आपको अजीब भले ही लगे लेकिन ये होता है धर्म की नगरी काशी में. दरअसल जेष्ठ की पूर्णिमा को भगवान जगन्नाथ को ज़लाभिषेक की पंरपरा है और लोगों के प्यार में भगवान इतना स्नान कर लेते है की बीमार पड़ जाते है. इस दौरान भगवान को आयुर्वेदिक काढे का भोग लगाया जाता है.

स्‍नान की पंरपरा के अनुसार प्रभु के बीमार पड़ने से आषाढ़ कृष्ण प्रतिपदा से चतुदर्शी तक (एक पखवारा ) तक मंदिर का पट बन्द रहेगा. इस दौरान जगन्नाथ प्रभु के विग्रह का दर्शन नहीं होगा. उन्हें काढ़ा आदि का भोग लगाया जाएगा. त्रिदेव- भगवान बलभद्र, देवी सुभद्रा, और भगवान जगन्नाथ – को अनासरा घर (बीमार कक्ष) में ले जाया जाएगा. क्योंकि ऐसा माना जाता है कि वे स्नान करने के बाद बीमार पड़ जाते हैं.

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भक्तों के समतुल्य खुद को दर्शाने के उदेश्य से भगवान जगन्नाथ अपनी लीला के तहत ज्येष्ठ पूर्णिमा के अर्ध रात्रि के बाद भगवान बीमार पड़ जाते है. वैसे तो काशी नगरी को बाबा विश्वनाथ की नगरी मानी जाती है. दरअसल पिछले तीन सौ सालों से वाराणसी के लोग इस परम्परा को बखूबी निभाते चले आ रहे है. पुरे दिन स्नान करने के बाद भगवान ज़ब बीमार पड़ जाते है तो उन्हें काढे का भोग लगाया जाता है और प्रसाद स्वरुप यही काढा भक्तों को दिया जाता है. लोगों का ऐसा विश्वास है की इस काढे के सेवन से इंसान के शारीरिक ही नहीं मानसिक कष्ट भी दूर हो जाते है. इस प्रसाद को पाने के लिए भक्तो की भारी भीड़ लगी रहती है.

जगन्नाथ मंदिर के पुजारी बताते हैं कि पूरे पंद्रह दिनों तक भगवान को काढे का भोग लगाया गया तब जाकर भगवान ठीक हो पाए. भगवान सवस्थ होकर अपने ससुराल के लिये निकाल जाते है. ससुराल भला किसे नहीं भाता , साथ में बहन सुभद्रा और भाई बलभद्र भी होते है. गवान की इस बीमारी का इंतजार लाखों भक्त हर साल करते है. पुरे वर्ष में भक्तों को एक दिन ही मिलता है जब वह भगवान के स्पर्श कर सकते हैं.

काशी में तीन दिवसीय रथयात्रा मेला आषाढ़ शुक्ल पक्ष की द्वितीय तिथि से चतुर्थी तिथि तक आयोजित होता है. आषाढ़ शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा 30 जून को भगवान स्वस्थ होंगे और मनफेर के लिए काशी की गलियों में भ्रमण पर निकलेंगे. एक जुलाई को रथयात्रा मेला भी शुरू हो जाएगा. मेले के संयोजक ट्रस्टी आलोक शापुरी ने बताया कि रथयात्रा मेले का आयोजन 218 साल से अनवरत किया जा रहा है. केवल कोरोना संक्रमण काल में दो साल तक भगवान यात्रा पर नहीं निकले. सारी परंपराएं मंदिर में ही निभाई गईं. इस बार मेले के आयोजन की तैयारियां चल रही हैं. 14 जून को भगवान जगन्नाथ बीमार पड़ेंगे और 30 जून को भगवान काशी भ्रमण पर निकलेंगे.

रिपोर्ट – विपिन कुमार सिंह

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