Rath Yatra 2022: झारखंड में रथ यात्रा के दौरान मत्स्य-कच्छप अवतार में प्रभु जगन्नाथ ने दिए दर्शन
Rath Yatra 2022: गुरु सुशांत कुमार महापात्र ने बताया कि बहुडा रथ यात्रा 9 जुलाई को है. इससे पूर्व गुंडिचा मंदिर में इस वर्ष नृसिंह, वाराह और कल्कि अवतार के रूप में भी वेश सज्जा की जाएगी. सरायकेला की रथ यात्रा में आयोजित होने वाली वेश (रुप सज्जा) ही यहां की विशेषता है.
Rath Yatra 2022: झारखंड के सरायकेला के गुंडिचा मंदिर में मंगलवार को हेरा पंचमी पर भगवान जगन्नाथ व बलभद्र ने भक्तों को मत्स्य-कच्छप अवतार में दर्शन दिए. इसके साथ ही संकट तारिणी व्रत होने के दौरान गुंडिचा मंदिर में मां सुभद्रा भक्तों को विपदातारिणी स्वरूप में दर्शन दीं. तीनों ही प्रतिमाओं को आकर्षक रूप से सजाया गया था. प्रभु के इस अवतार को देखने के लिये भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी. झारखंड में सिर्फ सरायकेला में ही रथ यात्रा के दौरान प्रभु अलग अलग स्वरूप में भक्तों को दर्शन देते हैं. इस वर्ष भी गुरु सुशांत कुमार महापात्र के निर्देशन में कलाकार सुमित महापात्र, अमित महापात्र, उज्जवल सिंह, पार्थ सारथी दास, शुभम कर , मुकेश साहू , मानू सत्पथी, विक्की सत्पथी एव गौतम बनर्जी द्वारा भगवान की वेश सज्जा की गई.
नरसिंह, वाराह और कल्कि अवतार में भी वेश सज्जा की जाएगी
गुरु सुशांत कुमार महापात्र ने बताया कि बहुडा रथ यात्रा 9 जुलाई को है. इससे पूर्व गुंडिचा मंदिर में इस वर्ष नरसिंह, वाराह और कल्कि अवतार के रूप में भी वेश सज्जा की जाएगी. सरायकेला की रथ यात्रा में आयोजित होने वाली वेश (रुप सज्जा) ही यहां की विशेषता है. कहा जाता है कि पहले गुंडिचा मंदिर में रहने के दौरान प्रभु जगन्नाथ, बलभद्र व देवी सुभद्रा की हर दिन अलग अलग वेश सज्जा की जाती थी. परंतु वर्तमान में भगवान श्री हरि विष्णु के दशावतारों के रूप में की जाने वाली वेश परंपरा वर्तमान में दो-तीन दिन ही हो पाती है.
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वेश परंपरा की शुरुआत हुई 70 के दशक में
बताया जाता है कि सरायकेला रथ यात्रा में वेश परंपरा की शुरुआत 70 के दशक में शुरू हुई थी. पहले गुरु प्रशन्न कुमार महापात्र, डोमन जेना जैसे वरीय कलाकारों द्वारा प्रभु जगन्नाथ के अलग अलग वेश में सजा कर प्रदर्शित किया जाता था. वर्तमान में गुरु सुशांत कुमार महापात्र के निर्देशन में स्थानीय कलाकारों द्वारा सरायकेला रथ यात्रा में वेश परंपरा का निर्वहन किया जा रहा है. इसके तहत गुंडिचा मंदिर मौसी बाड़ी का कपाट बंद कर मध्य रात्रि से वेश सज्जा प्रारंभ की जाती है. अहले सुबह गुंडिचा मंदिर का कपाट खुलते ही अवतार के स्वरूप में महाप्रभु श्री जगन्नाथ, बहन सुभद्रा और बड़े भाई बलभद्र के दर्शन भक्त करते हुए पूजा अर्चना करते हैं.
रथ यात्रा की विशेषता है वेश परंपरा
सरायकेला में वेश परंपरा की शुरुआत 70 के दशक में शुरू हुई थी. रथ यात्रा के दौरान गुंडिचा मंदिर में प्रभु जगन्नाथ, बलभद्र व सुभद्रा की वेश परंपरा की यहां की रथ यात्रा की विशेषता है. गुंडिचा मंदिर में प्रभु जगन्नाथ, बलभद्र व सुभद्रा को अलग-अलग वेश (रूप) में दर्शन के लिये विभिन्न क्षेत्रों में श्रद्धालु पहुंचते हैं. इस वर्ष मत्स्य-कच्छप, वराह-नृसिंह व कलकी अवतार पर आधारित वेश सज्जा किया जायेगा.
रिपोर्ट : शचिंद्र कुमार दाश/ धीरज सिंह, सरायकेला-खरसावां